Women's Reservation Bill पर शुरू हुई राजनीति, कांग्रेस ने लगाया विश्वासघात का आरोप, भाजपा बोली- ऐतिहासिक काम हुआ

amit shah jairam ramesh
ANI
अंकित सिंह । Sep 19 2023 7:54PM

विधेयक को "महिला आंदोलन और उनके संघर्ष के साथ विश्वासघात" बताते हुए कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा कि जो विधेयक पेश किया गया है वह दुर्भाग्य से महिला आंदोलन और नीति निर्माण और विधायी मामलों में अधिक प्रतिनिधित्व के लिए उनके संघर्ष के साथ विश्वासघात है।

महिला आरक्षण विधेयक, या 'नारी शक्ति वंदन अधिनियम', जो महिलाओं के लिए लोकसभा और राज्य विधानसभाओं की 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित करने का प्रावधान करता है, मंगलवार को संसद के निचले सदन में पेश किया गया था। कांग्रेस ने इस बिल की निंदा करते हुए इसे "करोड़ों भारतीय महिलाओं की उम्मीदों के साथ बहुत बड़ा धोखा" बताया है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश के अनुसार, प्रशासन केवल 'अस्पष्ट प्रतिज्ञा' कर रहा है। ट्वीटर पर जयराम रमेश ने लिखा कि महिला आरक्षण विधेयक के अधिनियम बनने के बाद आयोजित पहली दशकीय जनगणना के बाद ही महिलाओं के लिए आरक्षण लागू होगा। यह जनगणना कब होगी? विधेयक में यह भी कहा गया है कि आरक्षण अगली जनगणना के प्रकाशन और उसके बाद परिसीमन प्रक्रिया के बाद ही प्रभावी होगा। क्या 2024 चुनाव से पहले होगी जनगणना और परिसीमन?

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कांग्रेस ने एक्स पर लिखा कि महिला आरक्षण बिल की क्रोनोलॉजी समझिए। यह बिल आज पेश जरुर हुआ लेकिन हमारे देश की महिलाओं को इसका फायदा जल्द मिलते नहीं दिखता। ऐसा क्यों? क्योंकि यह बिल जनगणना के बाद ही लागू होगा। आपको बता दें, 2021 में ही जनगणना होनी थी, जोकि आज तक नहीं हो पाई। आगे यह जनगणना कब होगी इसकी भी कोई जानकारी नहीं है। खबरों में कहीं 2027 तो 2028 की बात कही गई है। इसके साथ ही पार्टी ने आगे कहा कि इस जनगणना के बाद ही परिसीमन या निर्वाचन क्षेत्रों का पुनर्निर्धारण होगा, तब जाकर महिला आरक्षण बिल लागू होगा। मतलब PM मोदी ने चुनाव से पहले एक और जुमला फेंका है और यह जुमला अब तक का सबसे बड़ा जुमला है। मोदी सरकार ने हमारे देश की महिलाओं के साथ विश्वासघात किया है, उनकी उम्मीदों को तोड़ा है।

जयराम रमेश ने कहा कि चुनावी जुमलों के इस मौसम में, यह सबसे बड़ा जुमला है! यह देश की करोड़ों महिलाओं और लड़कियों की उम्मीदों के साथ बहुत बड़ा विश्वासघात है। हमने पहले भी बताया है कि मोदी सरकार ने अभी तक 2021 में होने वाली दशकीय जनगणना नहीं की है। भारत G20 का एकमात्र देश है जो जनगणना कराने में विफल रहा है। उन्होंने कहा कि अब कहा गया है कि महिला आरक्षण विधेयक के अधिनियम बनने के बाद, जो पहली दशकीय जनगणना होगी, उसके उपरांत ही महिलाओं के लिए आरक्षण लागू होगा। यह जनगणना कब होगी? विधेयक में यह भी कहा गया है कि आरक्षण अगली जनगणना के प्रकाशन और उसके बाद परिसीमन प्रक्रिया  के बाद प्रभावी होगा। क्या 2024 चुनाव से पहले जनगणना और परिसीमन हो जाएगा? यह विधेयक आज सिर्फ हेडलाइन बनाने के लिए है, जबकि इसका कार्यान्वयन बहुत बाद में हो सकता है।  यह कुछ और नहीं बल्कि EVM - EVent Management है।

विधेयक को "महिला आंदोलन और उनके संघर्ष के साथ विश्वासघात" बताते हुए कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा कि जो विधेयक पेश किया गया है वह दुर्भाग्य से महिला आंदोलन और नीति निर्माण और विधायी मामलों में अधिक प्रतिनिधित्व के लिए उनके संघर्ष के साथ विश्वासघात है। विधेयक के खंड 334 ए में कहा गया है कि आरक्षण संवैधानिक संशोधन विधेयक के पारित होने और उसके बाद होने वाले परिसीमन के बाद पहली जनगणना के बाद लागू होगा। तो मूलतः इसका मतलब यह है कि यह आरक्षण किसी भी स्थिति में 2029 से पहले लागू नहीं होगा। राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने विधेयक पर चिंता व्यक्त की और कहा कि भाजपा आगामी लोकसभा चुनावों में राजनीतिक लाभ लेना चाहती है। खड़गे ने कहा: "वे हमें श्रेय नहीं देते हैं, लेकिन मैं उनके ध्यान में लाना चाहता हूं कि महिला आरक्षण विधेयक 2010 में पहले ही पारित हो चुका था, लेकिन इसे रोक दिया गया था।"

सिब्बल ने कहा कि वे (भाजपा सरकार) 2024 में राजनीतिक लाभ चाहते हैं और महिलाओं को बताना चाहते हैं कि उन्होंने ऐसा ऐतिहासिक काम किया है। उन्हें यह 2014 में करना चाहिए था। इसमें ऐतिहासिक क्या है? जनगणना और परिसीमन होगा महिला आरक्षण बिल लागू होने से पहले. यदि जनगणना और परिसीमन नहीं हुआ तो क्या होगा? वे महिलाओं को सिर्फ सपने दिखा रहे हैं कि उन्हें 2029 में आरक्षण मिलेगा...उन्हें राजनीति के अलावा कुछ नहीं सूझ रहा है। दिल्ली की मंत्री आतिशी ने कहा कि आज महिला आरक्षण विधेयक का मुख्य उद्देश्य "महिलाओं को बेवकूफ बनाना" था। पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा, "आप सैद्धांतिक रूप से महिला आरक्षण विधेयक का समर्थन करती है लेकिन आज जो विधेयक पेश किया गया वह महिला आरक्षण विधेयक नहीं है, यह महिलाओं को मूर्ख बनाने वाला विधेयक है।"

भाजपा का पलटवार

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि भारत भर में लोग संसद में नारी शक्ति वंदन अधिनियम की शुरूआत का आनंद उठा रहे हैं। यह महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए मोदी सरकार की अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाता है। अफसोस की बात है कि विपक्ष इसे पचा नहीं पा रहा है। और, इससे भी अधिक शर्मनाक बात यह है कि प्रतीकात्मकता को छोड़कर, कांग्रेस कभी भी महिला आरक्षण को लेकर गंभीर नहीं रही। या तो उन्होंने कानूनों को समाप्त होने दिया या उनके मित्र दलों ने विधेयक को पेश होने से रोक दिया। उनका दोहरा चरित्र कभी छुपेगा नहीं, चाहे वे श्रेय लेने के लिए कितने ही स्टंट क्यों न कर लें। केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि आज एक क्रांतिकारी कदम उठाया गया है जब नई संसद के पहले दिन जब महिला आरक्षण विधेयक लाया गया। कल तक विधेयक लाने वालों ने इसे पारित करने के लिए कोई प्रयास नहीं किया। मोदी जी यह विधेयक लाए हैं और वह सुनिश्चित करेंगे कि यह संसद में पारित हो। 

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स्मृति ईरानी ने कहा कि गांधी परिवार केवल अपने परिवार की महिलाओं को सशक्त बनाने में रुचि रखता है। उन्हें गरीब या दलित महिलाओं को सशक्त बनाने में कोई दिलचस्पी नहीं है। उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सोनिया गांधी आज अनुपस्थित रहीं। जब बिल पर चर्चा चल रही थी तो उनका बेटा भी चला गया। यह और भी दुर्भाग्यपूर्ण है कि जब अध्यक्ष ने पूछा कि विधेयक का समर्थन किसने किया, तो भाजपा और एनडीए ने इसका समर्थन किया लेकिन कांग्रेस पार्टी ने नहीं किया। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने खड़गे पर पलटवार करते हुए कहा, "हम विपक्ष के नेता का सम्मान करते हैं, लेकिन यह व्यापक बयान देना कि सभी पार्टियां ऐसी महिलाओं को चुनती हैं जो प्रभावी नहीं हैं, बिल्कुल अस्वीकार्य है। हम सभी को हमारी पार्टी, पीएम द्वारा सशक्त बनाया गया है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू एक सशक्त महिला हैं।''

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