Parliament में गतिरोध दूर करने की कोशिश में सरकार, खड़गे सहित विपक्षी नेताओं से मिले पीयूष गोयल और प्रह्लाद जोशी
सदन के सुचारू कामकाज को सुनिश्चित करने के लिए राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ द्वारा बुलाई गई बैठक में विपक्षी गठबंधन इंडिया के शामिल नहीं होने के बाद राज्यसभा के नेता पीयूष गोयल और संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने खड़गे से मुलाकात की, जो उच्च सदन में विपक्ष के नेता भी हैं।
केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल और प्रह्लाद जोशी गुरुवार को राज्यसभा में गतिरोध दूर करने के लिए कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे और अन्य विपक्षी नेताओं के पास मिले। राज्यसभा में मणिपुर मुद्दे पर बार-बार व्यवधान देखा जा रहा है। सदन के सुचारू कामकाज को सुनिश्चित करने के लिए राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ द्वारा बुलाई गई बैठक में विपक्षी गठबंधन इंडिया के शामिल नहीं होने के बाद राज्यसभा के नेता पीयूष गोयल और संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने खड़गे से मुलाकात की, जो उच्च सदन में विपक्ष के नेता भी हैं।
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मोदी के बयान की मांग
बैठक के दौरान इंडिया ब्लॉक के नेताओं ने सुझाव दिया कि गतिरोध को खत्म करने के लिए मणिपुर पर राज्यसभा में निर्बाध तरीके से चर्चा शुरू की जानी चाहिए। एक सूत्र ने कहा, उम्मीद है कि मोदी सरकार इस पर सहमत होगी। विपक्षी गुट मणिपुर में महीनों से चल रही जातीय हिंसा पर सदन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान की मांग कर रहा है। हालांकि सरकार ने कहा है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह सदन में बयान देंगे। विपक्षी सूत्रों ने कहा कि प्रधानमंत्री का एक बयान और मणिपुर पर व्यापक चर्चा पर समझौता नहीं किया जा सकता। विपक्षी दल भी नियम 267 के तहत मणिपुर की स्थिति पर चर्चा की मांग कर रहे हैं, जो किसी मुद्दे पर चर्चा के लिए सूचीबद्ध व्यवसाय को दिन भर के लिए निलंबित करने की अनुमति देता है।
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रास्ते की पेशकश
दूसरी तरफ, उच्च सदन में कांग्रेस के मुख्य सचेतक जयराम रमेश ने कहा कि विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ (इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस) के घटक दलों ने गतिरोध खत्म करने के लिए बीच का रास्ता सुझाया है और उम्मीद है कि सरकार इसे स्वीकार करेगी। हालांकि, उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि विपक्ष ने क्या पेशकश की है। रमेश ने ट्वीट किया, ‘‘विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के घटक दलों ने गतिरोध को दूर करने और राज्यसभा में मणिपुर पर निर्बाध तरीके से चर्चा कराने के लिए सदन के नेता (गोयल) को बीच के रास्ते की पेशकश की है। उम्मीद है कि मोदी सरकार इसे स्वीकार कर लेगी।’’
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