भारतीय रेलवे की नई पहल, Apple जैसी टेक्नोलॉची से ट्रेन हादसों पर लगेगी लगाम, जानें क्या है LiDAR सिस्टम?

Ashwini Vaishnav.
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Kusum । Nov 9 2024 8:11PM

रेलवे एक खास टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर रही है। इस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल Apple अपने लेटेस्ट आईफोन में करता है। इस टेक्नोलॉजी का नाम LiDAR है। इस लाइट डिटेक्टिंग एंड रेंजिंग यानी LiDAR टेक्नोलॉजी के बाद ट्रेन को पटरियों से उतरने से रोका जा सकेगा।

इस साल कई रेल दुर्घटनाएं हुईं हैं, लेकिन अब इन रेल दुर्घटनाओं को रोकने के लिए रेलवे एक खास टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर रही है। इस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल Apple अपने लेटेस्ट आईफोन में करता है। इस टेक्नोलॉजी का नाम LiDAR है। इस लाइट डिटेक्टिंग एंड रेंजिंग यानी LiDAR टेक्नोलॉजी के बाद ट्रेन को पटरियों से उतरने से रोका जा सकेगा। साथ ही अगर पटरी में कोई खराबी हुई या फिर किसी ने जानबूझकर ट्रेन की पटरियों को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की तो उसे समय पर पकड़ा जा सकता है। 

LiDAR टेक्नोलॉजी क्या है?

LiDAR टेक्नोलॉजी की मदद से पटरियों पर फ्रैक्चर, फॉल्ट और गायब सेक्शन का पता लगाया जा सकेगा। इस टेक्नोलॉजी में कई तरह के सेंसर इस्तेमाल किए जाते हैं। इन सेंसर की मदद से रेलवे ट्रैक के 3D मॉडल बनाए जाते हैं। इस टेक्नोलॉजी में पटरियों की मैपिंग की जाती है। साथ ही पटरी की सेफ्टी और दूरी मापने के लिए लेजर बीम का यूज किया जाता है। इस टेक्नोलॉजी से ट्रैक की रियल टाइम जानकारी मिलती है। इसमें सेंसर को चलती ट्रेनों और नेटवर्क के साथ उचित लोकेशन पर लगाया जाएगा। 

बता दें कि, ट्रेन दुर्घटनाओं का पता लगाया जा सकेगा। रिपोर्ट की मानें तो LiDAR टेक्नोलॉजी को 1 हजार ट्रेनों में लगाया जाएगा। साथ ही 1500 किलोमीटर ट्रैक को कवर किया जाएगा। 

 

LiDAR सिस्टम लगाने के काम को 18 से 24 माह में पूरा किया जा सकेगा। मौजूदा समय में पटरियों की देखरेख का काम मैन्युअल तरीके से किया जाता है, जिसकी वजह से सही समय पर ट्रेन पटरियों के खराब होने की जानकारी नहीं मिलती हैं जो ट्रेन हादसे की वजह बनती है। 

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