Madhya Pradesh में चांदीपुरा वायरस का कोई मामला नहीं, स्थिति से निपटने के लिए तैयार: स्वास्थ्य मंत्री

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एक्यूट एंसेफलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) कई अलग-अलग वायरस, बैक्टीरिया, कवक, परजीवी, स्पाइरोकेट्स, रसायन/विषाक्त पदार्थों आदि के कारण होने वाली नैदानिक ​​​​रूप से समान तंत्रिकातंत्र संबंधी लक्षणों का एक समूह है।

मध्य प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र शुक्ला ने रविवार को कहा कि राज्य में चांदीपुरा वायरस (सीएचपीवी) का कोई मामला नहीं पाया गया है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और विशेषज्ञों ने गुजरात, राजस्थान और मध्यप्रदेश में वायरल संक्रमण और ‘एक्यूट एंसेफलाइटिस सिंड्रोम’ (एईएस) के मामलों की समीक्षा किये जाने के कुछ दिनों बाद मंत्री का यह बयान सामने आया है।

शुक्ला ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग के पास वायरस की पहचान करने के लिए सभी आवश्यक उपकरण और सुविधाएं हैं, जो एईएस के कारणों में से एक है। शुक्ला ने कहा, ‘‘राज्य का स्वास्थ्य विभाग लगातार स्थिति पर नजर रख रहा है। मध्य प्रदेश में चांदीपुरा वायरस का कोई मामला नहीं पाया गया है।’’

उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विभाग आईडीएसपी पोर्टल पर सभी विवरण को अद्यतन कर रहा है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार स्थिति के अनुसार केंद्र के दिशानिर्देशों का पालन करेगी।

उपमुख्यमंत्री ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग इस स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है। एक्यूट एंसेफलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) कई अलग-अलग वायरस, बैक्टीरिया, कवक, परजीवी, स्पाइरोकेट्स, रसायन/विषाक्त पदार्थों आदि के कारण होने वाली नैदानिक ​​​​रूप से समान तंत्रिकातंत्र संबंधी लक्षणों का एक समूह है।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, एईएस के ज्ञात वायरल कारणों में जेई, डेंगू, एचएसवी, सीएचपीवी, वेस्ट नील आदि शामिल हैं। चांदीपुरा वायरस (सीएचपीवी) ‘रबडोविरिडे’ परिवार का सदस्य है जो देश के पश्चिमी, मध्य और दक्षिणी हिस्सों में खासकर मानसून के मौसम में संक्रमण के छिटपुट मामलों और प्रकोप का कारण बनता है। यह रेत मक्खियों और कुटकी (टिक्स)जैसे वाहकों द्वारा फैलता है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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