Khalistan समर्थक पार्टी ही गिरा देगी सरकार, जस्टिन ट्रूूडो पर कैसे टूटा मुसीबत का पहाड़, भारत खुश तो बहुत होगा आज

Trudeau
@JustinTrudeau/@theJagmeetSingh
अभिनय आकाश । Sep 5 2024 2:36PM

ट्रूडो के सामने तुरंत में पद छोड़ने और फिर से नए सिरे से चुनाव कराने का खतरा है। लेकिन सरकार गिरने का जोखिम लगातार बना हुआ है। सप्लाई और कॉन्फि़डेंस डील गठबंधन सरकारों से अलग होती है, जहां पर कई पार्टियों संयुक्त रूप से कैबिनेट में काम करती हैं और साथ मिलकर सरकार चलाती है।

खालिस्तानियों के हमदर्द और कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की कुर्सी खतरे में आ गई है। बात-बात पर भारत से तकरार रखने वाले जस्टिन ट्रूडो को उस वक्त बड़ा झटका लगा जब जगमीत सिंह की न्यू डेमक्रेटिक पार्टी (एनडीपी) ने सप्लाई एंड कॉन्फिडेंस डील से खुद को अलग कर लिया। जगमीत सिंह की एनडीपी जस्टिन ट्रूडो की अल्पमत वाली लिबरल सरकार को सत्ता में बनाए रखने में मदद कर रही थी। हालांकि इसका मतलब ये नहीं है कि ट्रूडो के सामने तुरंत में पद छोड़ने और फिर से नए सिरे से चुनाव कराने का खतरा है। लेकिन सरकार गिरने का जोखिम लगातार बना हुआ है। सप्लाई और कॉन्फि़डेंस डील गठबंधन सरकारों से अलग होती है, जहां पर कई पार्टियों संयुक्त रूप से कैबिनेट में काम करती हैं और साथ मिलकर सरकार चलाती है। 

इसे भी पढ़ें: Firing At AP Dhillon House: मशहूर सिंगर एपी ढिल्लों के घर के बाहर ताबड़तोड़ फायरिंग, लॉरेंस बिश्नोई गैंग ने ली जिम्मेदारी

ट्रूडो की कुर्सी कैसे खतरे में आ गई?

जस्टिन ट्रूडो को अब हाउस ऑफ कॉमन चैंबर में अन्य विपक्षी सांसदों का समर्थन हासिल करना होगा। तभी वो बजट पास करा पाएंगे और विश्वास मत जीत सकेंगे। जगमीत सिंह ने एक वीडियो में कहा कि वो 2022 में दोनों नेताओं के बीच हुए एक समझौते को रद्दी की टोकरी में डाल रहे हैं। उन्होंने ट्रूडो पर दक्षिणपंथी कंजर्वेटिव का मुकाबला करने में सक्षम नहीं होने का आरोप लगाया है। सर्वेक्षणों से ये संकेत मिलता है कि कंजर्वेटिव अक्टूबर 2025 के अंत तक होने वाले चुनाव में आसानी से जीत हासिल करने के लिए तैयार हैं। एनडीपी की डील से हटने की योजना महीनों से चल रही थी। जगमीत सिंह ने कहा कि लिबरल बहुत कमजोर हैं। बहुत स्वार्थी हैं और लोगों के लिए लड़ने के लिए कॉरपोरेट हितों के प्रति समर्पित हैं। वो बदलाव नहीं ला सकते और लोगों की उम्मीदों पर खरे नहीं उतर सकते। उन्होंने आगे कहा कि उनहोंने लोगों को निराश किया है। वो कॉरपोरेट लालच पर अंकुश लगाने में पूरी तरह विफल रहे हैं। उन्होंने कहा कि उनका संगठन ही एक ऐसी पार्टी है जो अगले चुनाव में कंजर्वेटिव पार्टी की जीत की कोशिश को नाकाम कर सकती है। 

कुर्सी बचाने के लिए खालिस्तान समर्थक को खुश रखना मजबूरी

साल 2019 में कनाडा में आम चुनाव हुए थे। ट्रूडो ने चुनाव में जीत तो दर्ज कर ली थी लेकिन वो सरकार नहीं बना सकते थे। उनकी लिबरल पार्टी ऑफ कनाडा को 157 सीटें मिली थी। विपक्ष की कंजरवेटिव पार्टी को 121 सीटें हासिल हुई थीं। ट्रूडो के पास सरकार बनाने के लिए बहुमत नहीं था। सरकार बनाने के लिए उन्हें 170 सीटों की दरकार थी। जिसकी वजह से ट्रूडो की पार्टी ने कनाडा के चुनाव में 24 सीटें हासिल करने वाली न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी (एनडीपी) का समर्थन लिया। इस पार्टी के मुकिया जगमीत सिंह है जो खालिस्तान आंदोलन के बड़े समर्थक हैं। ट्रूडो के लिए सत्ता में रहने का मतलब जगमीत को खुश रखना। 

इसे भी पढ़ें: Canada में KFC के हलाल चिकन ने बढ़ाया विवाद, हिंदुओं, सिखों ने भेजा नोटिस

टूड्रो और जगमीत के बीच का समझौता 

चुनाव के बाद सिंह और ट्रूडो ने कॉन्फिडेंस एंड सप्लाई एग्रीमेंट को साइन किया था। ये समझौता 2025 तक लागू रहने की बात कही गई थी। पिछले साल जब विपक्ष ने कनाडा के चुनावों में चीन के हस्तक्षेप की जांच की मांग की और ट्रूडो पर जबरदस्त अटैक बोला गया। लेकिन उस वक्त जगमीत सिंह की एनडीपी पीएम के लिए ढाल बनकर खड़ी रही। ट्रूडो के समर्थन से सुरक्षित सिंह भारत के खिलाफ और खालिस्तानी मुद्दे के समर्थन में आगे बढ़ते जा रहे हैं। 

तो एनडीपी की आगे क्या योजनाएं हैं?

जगमीत सिंह ने सरकारी कार्यक्रमों में संभावित कंजर्वेटिव कटौती के खिलाफ आगे और भी बड़ी लड़ाई के लिए सरकार से समर्थन वापस लेने के अपनी पार्टी के फैसले का बचाव किया। उन्होंने कहा कि कर्मचारियों से, सेवानिवृत्त लोगों से, युवा लोगों से, मरीजों से, परिवारों से बड़े निगमों और अमीर सीईओ को अधिक देने के लिए कटौती करेंगे। उन्होंने कहा कि उदारवादी कॉर्पोरेट हितों के लिए खड़े नहीं होंगे और वह रूढ़िवादी कटौती को रोकने के लिए अगला चुनाव लड़ेंगे। लिबरल और एनडीपी के बीच समझौते ने अल्पमत लिबरल सरकार के अस्तित्व को सुनिश्चित किया। यह संघीय स्तर पर दो पक्षों के बीच पहला ऐसा औपचारिक समझौता था।

क्या कनाडा की सरकार गिर जाएगी?

समझौते की समाप्ति के साथ, कनाडा पारंपरिक अल्पसंख्यक संसद की राजनीति में लौट आया है। हालाँकि, इसका मतलब यह नहीं है कि उदारवादी सरकार गिर जाएगी। ट्रूडो के लिए तत्काल कोई ख़तरा नहीं हो सकता है लेकिन पतन का ख़तरा है। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, फिलहाल कनाडाई पीएम को विश्वास मत पर चुनाव से बचने के लिए मामले-दर-मामले आधार पर संसद में तीन मुख्य विपक्षी दलों में से एक को अदालत में पेश करना होगा। उदारवादी और एनडीपी अभी भी सामाजिक नीति की तरह समान प्राथमिकताएँ साझा करते हैं।  दोनों पक्ष संसद में विधेयकों को पारित करने के लिए आने वाले महीनों में इन मुद्दों पर सहयोग और मतदान करना जारी रख सकते हैं। 

क्या इससे कंजरवेटिव पार्टी को फायदा होगा?

यह हो सकता है। एनडीपी ने अब पोइलिवर की मांग के अनुसार सौदे से हटकर खुद को आलोचना के लिए खोल दिया है। वह लंबे समय से कहते रहे हैं कि देश को सरकार में बदलाव की जरूरत है और अब एनडीपी का फैसला उनके दावे को और अधिक मजबूती देता है। संक्षेप में कहें तो ट्रूडो के लिए यह बुरी खबर है। उदारवादी कमज़ोर दिखाई दे रहे हैं, वे जनता का विश्वास खो रहे हैं और ऐसा लगता है कि लगभग नौ वर्षों तक सत्ता में रहने के बाद, कनाडा में परिवर्तन हो सकता है।

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़