पूरी तरह बदल चुका है जम्मू-कश्मीर, इस बार का जनादेश चौंकाने वाला होगा

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इस बार का विधानसभा चुनाव इस मायने में भी खास है कि कश्मीर घाटी में परिवारवादी दलों के दिन अब लदते नजर आ रहे हैं। श्रीनगर के हृदय माने जाने वाले लाल चौक का नजारा बता रहा है कि यहां की जनता इस बार चौंकाने वाला जनादेश देने जा रही है।

जम्मू-कश्मीर में तीन चरणों में होने जा रहे विधानसभा चुनाव के लिए विभिन्न राजनीतिक दलों के उम्मीदवारों की ओर से नामांकन दाखिल किये जा रहे हैं। विभिन्न दलों के स्थानीय नेता तो चुनाव प्रचार में उतर ही चुके हैं साथ ही बड़ी पार्टियों के राष्ट्रीय नेता भी चुनाव प्रचार करने के लिए केंद्र शासित प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में पहुँच रहे हैं। गलियों और मोहल्लों में जनसंपर्क अभियान चल रहा है, रोड शो निकाले जा रहे हैं, घर-घर जाकर नेता लोगों से वोट मांग रहे हैं। जनता भी खुलकर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर रही है। यह सब कुछ भयमुक्त वातावरण में हो रहा है जोकि कश्मीर घाटी के लोगों के लिए नई बात है। जो पहली बार मतदान करने जा रहे हैं उन युवाओं ने तो ऐसा माहौल पहले कभी देखा भी नहीं था।

इस बार का विधानसभा चुनाव इस मायने में भी खास है कि कश्मीर घाटी में परिवारवादी दलों के दिन अब लदते नजर आ रहे हैं। श्रीनगर के हृदय माने जाने वाले लाल चौक का नजारा बता रहा है कि यहां की जनता इस बार चौंकाने वाला जनादेश देने जा रही है। कश्मीर घाटी में एक समय आतंक और अलगाववादियों का राज था लेकिन आज यहां विभिन्न चौक-चौराहों पर तिरंगा लहरा रहा है, खासकर लाल चौक पर शान से आसमान को छूता तिरंगा सबका ध्यान आकृष्ट करता है। अब घाटी में पर्यटकों का जमावड़ा बिना किसी खौफ के लगता है। लाल चौक पर जहां पहले शाम के बाद कोई नहीं दिखाई देता था आज वहां देर रात तक चहल पहल रहती है और विभिन्न तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन को देखकर लोग कश्मीरी संस्कृति के विभिन्न पहलुओं से रूबरू होते हैं।

हम आपको याद दिला दें कि नरेंद्र मोदी ने भाजपा नेता के रूप में जब तिरंगा यात्रा का लाल चौक तक नेतृत्व किया था तब वहां तिरंगा फहराने का मतलब जान से खेलना था लेकिन उनके प्रधानमंत्री बनने के बाद कश्मीर ऐसा बदला कि आज लाल चौक का शांत और खुशहाल नजारा पूरे कश्मीर के बदलाव को प्रतिबिंबित करता है। अगर आप हाल ही में कभी लाल चौक गये होंगे या श्रीनगर शहर का दौरा किया होगा तो आपने देखा होगा कि कैसे स्मार्ट सिटी अभियान के तहत इस क्षेत्र का कायाकल्प हो गया है। कश्मीर घाटी में किये गये विकास के बलबूते भाजपा को उम्मीद है कि यहां की जनता इस बार परिवारवादी दलों की बजाय उसका साथ देगी।

इसके अलावा, जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाये हुए पांच साल पूरे हो चुके हैं और इस दौरान जम्मू-कश्मीर ने वो खुशी देख ली है जो बीते तीन-चार दशकों में उससे छीन ली गयी थी। सिर्फ पांच सालों में आतंकवाद, अलगाववाद, भ्रष्टाचार और परिवारवाद जैसी समस्याओं पर काबू पाना और राज्य की अर्थव्यवस्था को फिर से अपने पाँव पर खड़ा कर देना किसी चमत्कार से कम नहीं है। जिस कश्मीर घाटी में पहले आईएस और पाकिस्तान के झंडे लहराये जाते थे आज वहां यह सब बंद हो गया है और हर घर पर तिरंगा फहरा रहा है। लाल चौक में तिरंगा फहराने पर पहले गोली लगने का खतरा रहता था लेकिन आज नये रंग रूप में लाल चौक पर शान से फहराता तिरंगा हर किसी को नये कश्मीर का अहसास करा रहा है। यही नहीं, भारत के राष्ट्रीय ध्वज का विरोध करने वाले हुर्रियत जैसे अलगाववादी संगठन के कार्यालय पर भी तिरंगा लहरा रहा है। 

विपक्ष भले आज भी 370 की वकालत कर रहा हो लेकिन देश देख रहा है कि मोदी सरकार ने अनुच्छेद 370 को हटाया तो जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद और अलगाववाद पर रोक लग गयी। पत्थरबाजी पूरी तरह बंद हो गयी, धर्मस्थलों से धार्मिक तकरीरों की बजाय राजनीतिक और भड़काऊ भाषण दिये जाने बंद हो गये, कश्मीरियों के बच्चों को अलगाववादियों की ओर से बहका कर गलत राह पर ले जाना बंद हो गया, आतंकवाद के प्रति लोगों की सोच में ऐसा परिवर्तन आया है कि अब सुरक्षा बलों के ऑपरेशन की राह में बाधा नहीं पैदा की जाती बल्कि उनकी मदद की जाती है और कई उदाहरण तो ऐसे भी देखने में आये जब ग्रामीणों ने ही आतंकवादियों को दबोच कर उन्हें सुरक्षा बलों को सौंप दिया।

जम्मू-कश्मीर में स्कूल-कॉलेजों का बंद रहना और हड़तालों का आयोजन अब बीती बात हो गयी है, सीमा पार से होने वाली घुसपैठ पर रोक लग गयी है, सीमा पार से होने वाली गोलीबारी बंद हो गयी जिससे सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले लोगों को जब-तब भाग कर बंकरों में छिप कर जान बचाने से आजादी मिली। 370 हटने से पुलिस, सेना और अन्य जांच एजेंसियों के बीच ऐसा अच्छा समन्वय बना कि जम्मू-कश्मीर में कानून व्यवस्था की नाकामी के चलते होने वाली आपराधिक घटनाओं में 97 प्रतिशत की गिरावट आ गयी और आतंकवाद संबंधी घटनाएं पहले से घटकर आधी से भी कम हो गयीं।

यही नहीं, जम्मू-कश्मीर में अब किसी एक परिवार का शासन नहीं चलता बल्कि निचले स्तर तक लोकतंत्र मजबूत हो गया है। पहली बार डीडीसी के चुनाव संपन्न हुए, पहली बार त्रि-स्तरीय पंचायती राज तंत्र जम्मू-कश्मीर में कायम हुआ, इसके तहत 33274 जनप्रतिनिधि चुने गये। यही नहीं हाल में संपन्न लोकसभा चुनाव भी शांतिपूर्ण रहे जिसमें बड़ी संख्या में लोगों ने मतदान किया और उमर अब्दुल्ला तथा महबूबा मुफ्ती जैसे परिवारवादी नेताओं को हार का स्वाद चखा दिया।

पिछले पांच वर्षों में जम्मू-कश्मीर के बुनियादी ढांचे का इस तरह विकास किया गया है कि यह केंद्र शासित प्रदेश आज बड़े से बड़े अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों का आयोजन कर सकता है। हाल ही में श्रीनगर में जी-20 देशों की बैठक शांतिपूर्वक संपन्न हुई। इस साल अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर मुख्य कार्यक्रम भी श्रीनगर में ही आयोजित किया गया जिसमें स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भाग लिया।

श्रीनगर में पहला मल्टीप्लेक्स खुला और अब धीरे-धीरे घाटी के कई इलाकों में सिनेमाघर खुल चुके हैं और हाउसफुल भी चल रहे हैं। जम्मू-कश्मीर का सुरक्षा वातावरण सुधरने का लाभ यह हुआ कि यहां पर्यटकों की संख्या हर साल नये रिकॉर्ड बना रही है जिससे पर्यटन उद्योग के लिए स्वर्ण काल शुरू हो गया है। कश्मीर में पहले से प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों के विकास और सौन्दर्यीकरण के अलावा उन क्षेत्रों को भी पर्यटन की दृष्टि से विकसित किया जा रहा है जो खूबसूरत होने के बावजूद अभी तक पर्यटक केंद्र नहीं बन पाये थे। साथ ही डल झील अपने इतिहास में पहली बार सबसे ज्यादा साफ नजर आ रही है।

बदलते जम्मू-कश्मीर की नयी तस्वीर को देखेंगे तो पाएंगे कि इस केंद्र शासित प्रदेश को हजारों करोड़ रुपए के निवेश प्रस्ताव मिले जिससे रोजगार के अवसर बढ़े हैं। विश्व का सबसे ऊँचा रेलवे ब्रिज चेनाब में बन रहा है जोकि कश्मीर में है। इस केंद्र शासित प्रदेश में एम्स, आईआईएम और आईआईटी की स्थापना का कार्य चल रहा है। यहां पिछले पांच सालों में सैंकड़ों पुलों का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है और 39 सुरंगों के निर्माण को मंजूरी मिल चुकी है जिससे आने वाले दिनों में हर मौसम में जम्मू-कश्मीर में कहीं भी आवागमन सुनिश्चित हो सकेगा। इसके अलावा प्रधानमंत्री विकास पैकेज के तहत जम्मू-कश्मीर को मिली परियोजनाओं ने यहां की तकदीर और तस्वीर, दोनों बदल कर रख दी है।

इसके अलावा, जम्मू-कश्मीर में अब केंद्रीय योजनाओं का लाभ पूरी पारदर्शिता के साथ लोगों को मिल रहा है, भूमिहीनों को सरकार जमीन दे रही है, युवाओं को नौकरी मिल रही है, स्वरोजगार की चाह रखने वालों को कौशल प्रशिक्षण और कारोबार खड़ा करने के लिए आसानी से कर्ज मिल रहा है, सभी धर्मों के लोग अपने पर्वों को शांतिपूर्वक मना पा रहे हैं, अमरनाथ यात्रा सफलता के साथ संपन्न हुई, वार्षिक खीर भवानी मेले में भारी भीड़ जुटने लगी है और मुहर्रम का जुलूस निकलने लगा है। इसके अलावा, कश्मीरी पंडितों के सुरक्षा हालात में बड़ा सुधार आया है, उनके लिए रोजगार से लेकर आवास तक की व्यवस्था की गयी है। आतंकवाद के दौर में तबाह कर दिये गये हिंदू मंदिरों का जीर्णोद्धार और पुनर्निर्माण कार्य चल रहा है, कश्मीरी महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है। कश्मीर में दूरदराज के क्षेत्र में ग्रामीण महिलाओं को रोजगार हासिल करने के लिए ज्यादा मशक्कत नहीं करनी पड़ती क्योंकि प्रशासन खुद उनके पास चलकर जाता है। 

देखा जाये तो जम्मू-कश्मीर में इस समय विकास की नयी बहार बह रही है। आप जम्मू या श्रीनगर जैसे बड़े शहरों में चले जाइये या फिर किसी दूरदराज के सीमायी इलाकों में स्थित गांवों में, हर जगह आपको बुनियादी ढांचा परियोजनाओं संबंधी निर्माण कार्य होते या सरकारी योजनाओं के लाभों के प्रति लोगों को जागरूक करते कार्यक्रम आयोजित होते दिख जायेंगे। दूरदराज में कई पहाड़ी इलाके हैं जहां आजादी के बाद से अब तक विकास नहीं पहुँचा था लेकिन अनुच्छेद 370 हटने के बाद से हालात में बदलाव आया है। दूरदराज के पंचायत क्षेत्रों में ग्राम सभाओं की लंबे अरसे से लंबित मांगों को पूरा किया जा रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में अच्छे स्कूल-कॉलेज और अस्पताल तो बन ही रहे हैं साथ ही सड़क संपर्क को भी सुधारा जा रहा है जिससे स्थानीय निवासियों के जीवन में बड़ा परिवर्तन आया है। देखा जाये तो कश्मीर के गांवों में रहने वालों को असल आजादी तब मिली जब उन्हें कच्चे घरों से मुक्ति मिली। जम्मू-कश्मीर के तमाम गांवों में आजादी के बाद पहली बार प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई) के तहत ग्रामीणों को पक्का घर मिला। आजादी के 75 साल बाद पहली बार सड़क, पुल संपर्क, बिजली का कनेक्शन और पक्के मकान पाकर ग्रामीण खुश हैं। अब खुद चलकर मूलभूत सुविधाएं दरवाजे पर आ रही हैं तो लोगों को यकीन नहीं हो रहा है। 

इसके अलावा, जम्मू-कश्मीर में खेल सुविधाओं के विकास और राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय खेल स्पर्धाओं के आयोजन की वजह से यहां नये नये खिलाड़ी निकल रहे हैं। खेलो इंडिया आयोजन में केंद्र शासित प्रदेश के खिलाड़ियों ने अपने जोश, उत्साह और प्रतिभा से सबका दिल जीत लिया। बदलते हुए माहौल में खेल आयोजनों से खिलाड़ियों के हौसले बुलंद हुए हैं और उनके मन में भी अपने देश का नेतृत्व करने का भाव जागा है। साथ ही, जम्मू-कश्मीर के किसानों के अच्छे दिन आ गये हैं क्योंकि तकनीक का उपयोग सिखाकर उनकी लागत कम की गयी है और फसल व उत्पाद की गुणवत्ता सुधरने से उनका मुनाफा बढ़ा है।

जम्मू-कश्मीर की इस बदली तस्वीर की चर्चा और सराहना यहां के लोग भी खूब कर रहे हैं। आज जब कश्मीर के हालात पर कोई बाहरी व्यक्ति सवाल उठाता है तो खुद कश्मीरी वीडियो बनाकर उसे सबूत के साथ जवाब देते हैं। बदले माहौल और विकास के यह सबूत देखकर ही पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में भी भारत के साथ जुड़ने की मांग होने लगी है। मोदी सरकार ने दिल्ली और कश्मीर के दिल के बीच की दूरी भी घटा दी है। पहले दिल्ली से कोई मंत्री कश्मीर जाता था तो वह एक बड़ी घटना होती थी क्योंकि महीनों या सालों बाद ऐसा होता था लेकिन अब आपको लगातार वहां केंद्र सरकार के मंत्री और प्रतिनिधि दौरा कर परियोजनाओं की प्रगति की समीक्षा करते हुए दिख जाएंगे। बहरहाल, नया कश्मीर पूरे भारतवासियों के साथ ही कश्मीर के लोगों को भी खूब भा रहा है और हर दिल से यही दुआ निकल रही है कि हमारा जम्मू-कश्मीर और तरक्की करे।

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