अगर कृषि कानून में एक भी इंच जमीन जाने का प्रावधान हो तो मैं राजनीति छोड़ दूंगा: कैलाश चौधरी
विपक्ष और खासतौर पर कांग्रेस पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि जो लोग इसे ‘काला कानून’ कहते हैं, वे पहले अपना घोषणापत्र पढ़ लें जिसमें इन सुधारों को लाने की बात कही गई है। लेकिन इसके बावजूद किसानों को भड़काया जा रहा है।
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उन्होंने दावा किया कि मंडी के अंदर आड़तिये बोली लगाते हैं और कीमतें तय करते हैं। कृषि राज्य मंत्री ने कहा कि एक कलम उत्पादक कहीं भी कलम बेच सकता है, कागज उत्पादक कहीं भी कागज बेच सकता लेकिन अन्न उत्पादन करने वाला किसान अपनी उपज कहीं नहीं बेच सकता। उन्होंने कहा कि लेकिन इस कानून के बाद किसान अपना उत्पाद कहीं भी बेच सकता है। यह किसानों को आजादी देने वाला कानून है। अनुबंध आधारित कृषि का जिक्र करते हुए कैलाश चौधरी ने कहा कि किसानों को गुमराह किया जा रहा है कि उनकी जमीन चली जायेगी लेकिन इसमें कोई सच्चाई नहीं है। मंत्री ने कहा, ‘‘ अगर कृषि कानूनों में किसानों की एक इंच जमीन चले जाने का कोई भी प्रावधान होगा तो मैं मंत्री पद और राजनीति छोड़ दूंगा।’’
कृषि कानूनों को लेकर कृषक संगठनों से चर्चा का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि हमने कृषि कानूनों को लेकर किसान संगठनों के साथ सौहाद्रपूर्ण वातावरण में बात की है। इसमें पराली, बिजली के मुद्दे आदि पर सहमति बनी , लेकिन अब वे मुद्दे गौण हो गए और केवल कानूनों को रद्द करने की बात कही जा रही है। उन्होंने कहा कि कृषि कानूनों के किन प्रावधानों पर आपत्ति है, यह तो बताएं। उन्होंने कहा कि हमने कृषि का बजट बढ़ाया और एमएसपी पर खरीद बढ़ायी। कृषि राज्य मंत्री ने कहा कि देश में सबसे अधिक समय तक शासन करने वाले दल ने अगर ठीक ढंग से काम किया होता तो आज हमें आत्मनिर्भर भारत की बात नहीं करनी होती।भारत सबल और सक्षम होने के साथ सकारात्मक परिवर्तनों का साक्षी बन रहा है। इन परिवर्तनों का आधार कानूनी रूप से सुधार होते है। कृषि क्षेत्र में भी सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए कृषि सुधार कानून महत्वपूर्ण है।
— Kailash Choudhary (@KailashBaytu) February 10, 2021
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