राजनीतिक पूंजी बचाने और बागियों को सबक सिखाने के लिए दिन-रात मेहनत कर रहे शरद पवार
शरद पवार साथ ही उन सभी विधायकों के निर्वाचन क्षेत्रों में भी जा रहे हैं जिन्होंने अजित पवार के नेतृत्व में उनको धोखा दिया। उन विधायकों के क्षेत्रों में जाकर वह उनकी कारगुजारियों से जनता को अवगत करा रहे हैं और उन्हें सबक सिखाने के लिए कह रहे हैं।
राकांपा (शरदचंद्र पवार) के अध्यक्ष शरद पवार के लिए इस बार का महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव पहले के चुनावों की तरह सामान्य नहीं है। यह चुनाव शरद पवार के लिए सिर्फ सरकार बनाने का लक्ष्य हासिल करने के लिए भी नहीं है। शरद पवार के लिए इस बार का चुनाव अपनी जीवन भर की राजनीतिक कमाई को बचाने और धोखा देने वालों को सबक सिखाने का चुनाव भी है। हम आपको याद दिला दें कि भतीजे अजित पवार ने चाचा शरद पवार द्वारा बनाई गयी पार्टी एनसीपी पर कब्जा कर लिया है। इसके अलावा छगन भुजबल, दिलीप वलसे पाटिल और धनंजय मुंडे जैसे कई नेता हैं जिनको संकट के समय शरद पवार ने राजनीतिक सहारा देकर उबारा था लेकिन वह धोखा देकर अजित पवार के साथ चले गये। इसलिए इस चुनाव में शरद पवार हर वो चाल चल रहे हैं जिससे उनको धोखा देने वालों को सबक सिखाया जा सके। जहां भावनात्मक कार्ड खेलना है वहां शरद पवार इमोशनल हो जा रहे हैं, जहां राजनीतिक चाल चलनी है वहां वह आक्रामक हो जा रहे हैं। उनको इस बार कितनी बड़ी राजनीतिक कामयाबी मिल पाती है यह तो परिणाम ही बताएंगे लेकिन इतना तो दिख ही रहा है कि महाराष्ट्र की राजनीति के वटवृक्ष माने जाने वाले शरद पवार दिन-रात कड़ी मेहनत कर रहे हैं।
बारामती में लोकसभा चुनावों के दौरान शरद पवार का इमोशनल कार्ड लोकसभा चुनावों में भी चला था जब उनकी बेटी सुप्रिया सुले के खिलाफ उनके भतीजे अजित पवार ने अपनी पत्नी को चुनाव में उतार दिया था। अब अजित पवार के खिलाफ उनके भतीजे रोहित पवार को उतार कर जब शरद पवार प्रचार के लिए उतरे तो उन्होंने फिर से भावनात्मक कार्ड खेला और सक्रिय राजनीति से संन्यास के संकेत दिये। एक तरफ उन्होंने बारामती में इमोशनल कार्ड खेला तो दूसरी ओर राजनीतिक कार्ड खेलते हुए अजित पवार को घड़ी चुनाव चिह्न का इस्तेमाल करने से रोकने और अपनी फोटो का उपयोग करने से रोकने के लिए अदालत की शरण भी ली।
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शरद पवार साथ ही उन सभी विधायकों के निर्वाचन क्षेत्रों में भी जा रहे हैं जिन्होंने अजित पवार के नेतृत्व में उनको धोखा दिया। उन विधायकों के क्षेत्रों में जाकर वह उनकी कारगुजारियों से जनता को अवगत करा रहे हैं और उन्हें सबक सिखाने के लिए कह रहे हैं। इस क्रम में शरद पवार ने पूर्व सहयोगी दिलीप वलसे पाटिल के खिलाफ मोर्चा खोला। 20 नवंबर को होने वाले महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले अंबेगांव विधानसभा क्षेत्र में शरद पवार ने कहा कि दिलीप वलसे पाटिल कहते रहे कि साहेब (शरद पवार) मेरे बारे में (कुछ भी नकारात्मक) बात नहीं करेंगे, लेकिन मेरे पास कहने के लिए क्या बचा है? दिलीप वलसे पाटिल ने हमें धोखा दिया, और जिन्होंने हमें धोखा दिया है उन्हें दंडित करने की आवश्यकता है। आपको यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि देवदत्त निकम इस सीट पर भारी अंतर से जीतें।’’ शरद पवार ने कहा, ‘‘जिन्हें मैंने पद, शक्ति, अधिकार और प्रतिष्ठा दी है, उनसे मैं कुछ नहीं चाहता। आज कई लोग उनसे परेशान हैं। उनके कैबिनेट में शामिल होने का फैसला लोगों को पसंद नहीं आया। उनका कहना है कि हमारे साथ उनके बहुत अच्छे रिश्ते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है।''
इसके अलावा, शरद पवार ने अपने पूर्व विश्वासपात्र छगन भुजबल के येवला निर्वाचन क्षेत्र में रैली को संबोधित करते हुए 2019 के चुनावों में "गलत उम्मीदवार" देने के लिए लोगों से माफी मांगी। शरद पवार ने मतदाताओं से "विश्वासघाती" को हराने की भावुक अपील की, जो पिछले साल जुलाई में भुजबल के अजित पवार के साथ जाने से उन्हें लगी गहरी चोट को दर्शाता है। शरद पवार ने खुलासा किया कि राकांपा में फूट के बाद भुजबल उनके घर पहुंचे और उनके व अजित पवार के बीच सुलह कराने की पेशकश की, लेकिन वह दोबारा कभी नहीं आए। शरद पवार ने कहा कि भुजबल की कमियों को नजरअंदाज करते हुए उन्हें नेता प्रतिपक्ष से लेकर उपमुख्यमंत्री तक कई अहम पद सौंपे गए, बावजूद इसके उन्होंने राजनीतिक शालीनता की सभी सीमाएं लांघ दीं और उन्हें धोखा दिया। शरद पवार ने कहा कि भुजबल का उन्हें और दिवंगत बालासाहेब ठाकरे समेत अपने राजनीतिक गुरुओं को धोखा देने का इतिहास रहा है। उन्होंने मतदाताओं से इस दलबदलू नेता को सबक सिखाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, ''जब उन पर (भुजबल पर) कुछ आरोप लगने के बाद उन्हें जेल जाना पड़ा, तो मैं उनके साथ खड़ा रहा और यहां तक कि उन्हें महा विकास आघाडी (एमवीए) सरकार में एक पद भी दिया।'' शरद पवार ने कहा कि अपने आकाओं को धोखा देने वाले भुजबल येवला के लोगों से वोट मांगने आएंगे और यह तय करना आपके ऊपर है कि आप ऐसे व्यक्ति का समर्थन करेंगे या नहीं।
इसके अलावा, शरद पवार ने उपमुख्यमंत्री अजित पवार के सहयोगी एवं महाराष्ट्र के मंत्री धनंजय मुंडे पर भी निशाना साधा और कहा कि राकांपा में विभाजन के पीछे जो लोग हैं, उन्हें हराया जाना चाहिए। पवार ने बीड जिले के परली में आरोप लगाया कि लोगों को ‘‘धमकाया’’ जा रहा है और इसे रोकना होगा। उन्होंने कहा कि मैं जो कुछ भी दे सकता था, मैंने धनंजय मुंडे को दिया। कुछ लोगों ने हमारी पार्टी को तोड़ने में अहम भूमिका निभाई। उन्हें हराना होगा। पवार ने कहा, ‘‘एक बार पंडित मुंडे अपने बेटे धनंजय के साथ मेरे पास आए और मदद मांगी। जब वह मुसीबत में थे तो उन्हें मेरी तरफ से मदद मिली। मैंने उन्हें (धनंजय मुंडे) एमएलसी (विधान पार्षद), परिषद में एलओपी (नेता प्रतिपक्ष), राज्य मंत्री बनाया। मैं उन्हें बीड में प्रमुख पद देना चाहता था। लेकिन यहां लोगों को परेशान किया जा रहा है और इसे रोकना होगा।
हम आपको बता दें कि शरद पवार ऐसी ही अपीलें उन क्षेत्रों में कर रहे हैं जहां के विधायकों ने पाला बदल कर अजित का दामन थामा था। देखना होगा कि पवार की अपीलें और उनकी राजनीतिक गुगलियां क्या गुल खिलाती हैं। वैसे यह तो दिख ही रहा है कि राज्य में सरकार बदलने के लिए शरद पवार वह सब कुछ कर रहे हैं जो वह कर सकते हैं। यही नहीं, विपक्षी एमवीए के घटक दलों के बीच तमाम मतभेदों को भी वही सुलझा रहे हैं और गठबंधन को एक रखे हुए हैं। हालांकि गठबंधन की असल परीक्षा चुनाव परिणाम के बाद होगी।
-नीरज कुमार दुबे
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