The Kashmir Files: गिरिराज बोले- कश्मीर समस्या नेहरू की देन, सोनिया गांधी के पास बाटला हाउस के लिए आंसू

giriraj singh
अंकित सिंह । Mar 14 2022 5:14PM

गिरिराज ने आगे कहा कि सोनिया गांधी जी के पास बाटला हाउस के लिए आंसू था, आजमगढ़ में आंतकवादियों के लिए आंसू है लेकिन उन कश्मीरियों के लिए उनकी आंखों में कभी आंसू नहीं आया। इन लोगों ने कश्मीर के आंतकवादियों को सहारा देने का काम किया है।

फिल्म द कश्मीर फाइल्स को लेकर राजनीति जारी है। भाजपा और कांग्रेस एक दूसरे पर जबरदस्त तरीके से हमलावर हैं। इन सबके बीच कांग्रेस के आरोपों को लेकर केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने निशाना साधा है। गिरिराज सिंह ने साफ तौर पर कहा कि कश्मीर की समस्या प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की देन है। कश्मीरी पंडीतों के पलायन को लेकर कांग्रेस की ओर से भाजपा पर उठाए जा रहे। सवालों के जवाब में गिरिराज ने कहा कि यह उनका दोष नहीं है बल्कि उनके डीएनए का दोष है। गिरिराज सिंह ने कहा कि ये कांग्रेस का दोष नहीं है उनके DNA का दोष है। कश्मीर की समस्या प्रथम प्रधानमंत्री नेहरू की देन है जिन्होंने कश्मीर को धर्म से जोड़ कर देखा राष्ट्र से जोड़ कर नहीं देखा। दुख है कि वे संख्या गिना रहे हैं, कई हिंदू मारे गए और मुसलमान कई गुना अधिक मारे गए।

गिरिराज ने आगे कहा कि सोनिया गांधी जी के पास बाटला हाउस के लिए आंसू था, आजमगढ़ में आंतकवादियों के लिए आंसू है लेकिन उन कश्मीरियों के लिए उनकी आंखों में कभी आंसू नहीं आया। इन लोगों ने कश्मीर के आंतकवादियों को सहारा देने का काम किया है। वहीं इस विवाद पर केंद्रीय मंत्री अश्वनी कुमार चौबे ने कहा कि कांग्रेस के लोग नेहरू जी के वक्त से पंडित तो कहलाए लेकिन उन्होंने इतनी गलत नीति बनाई कि आज तक कश्मीरी पंडित रो रहे हैं और जो लोग बोल रहे हैं कि फिल्म में गलत दिखाया गया, तो वो तो बहुत कम है, उनके साथ क्या नहीं हुआ? इन सबकी जिम्मेदार कांग्रेस है।

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आपको बता दें कि केरल कांग्रेस का दावा है कि आतंकियों ने ही पंडितों को निशाना बनाया था। 17 साल (1990-2007) में 399 पंडित आतंकवादी हमलों में मारे गए थे। इसी अवधि में आतंकवादियों द्वारा मारे गए मुसलमानों की संख्या 15,000 थी। ट्वीट में दावा किया गया कि पंडितों ने राज्यपाल जगमोहन के निर्देशन में घाटी को सामूहिक रूप से छोड़ दिया, जो आरएसएस के एक व्यक्ति थे। पलायन भाजपा समर्थित वीपी सिंह सरकार के तहत शुरू हुआ था। लिखा गया कि भाजपा समर्थित वीपी सिंह सरकार दिसंबर 1989 में सत्ता में आई। अगले ही महीने जनवरी 1990 में पंडितों का पलायन शुरू हो गया। बीजेपी ने कुछ नहीं किया और नवंबर 1990 तक वीपी सिंह का समर्थन करती रही। 

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