नए चीनी वायरस से दहशत, आरोपों पर दी गई सफाई से नहीं कोई सहमत?
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा को भी मीडिया में आकर बताना पड़ा, कि देशवासियों को फिलहाल चिंता करने और घबराने की आवश्यकता नहीं है। क्योंकि स्थिति पर उनका पूर्ण नियंत्रण है और संपूर्ण इंतजाम केंद्रीय स्तर पर किए जा चुके हैं। उन्होंने इस वायरस को नया नहीं, बल्कि पुराना ही बताया है?
चाइना की धरती से निकलकर दुनिया में कोहराम मचाने वाले जानलेवा वायरस बेकसूर इंसानों का पीछा करना कभी छोड़ेंगे या नहीं? क्योंकि प्रत्येक खतरनाक वायरसों का केंद्र चीन ही होता है? कोविड-19 के बाद एक ऐसी अबूझ पहेली है जिसे न डब्ल्यूएचओ सुलझा पाया और न ही दुनिया की तमाम चिकित्सा रिसर्च रिपोर्ट किसी नतीजे पर पहुंच पाईं? हालांकि, वायरस के निमार्ण के पीछे चीनी हिमाकत पर शक तो सभी को बहुत पहले से है? लेकिन तथ्यों के साथ कोई उसे एक्सपोज नहीं कर पाया? ऐसे अंसख्यक सवाल हैं जो उनके इस नए ‘ह्यूमन मेटान्यूमो’ वायरस यानी एचएमपीवी के बाद खड़े हुए हैं। सवाल दरअसल खड़े होने भी चाहिए, आखिर क्यों लोगों की जान लेने पर वो आमादा है। वायरसों के इतर भी उनकी अमानवीय नापाक हरकतों से न सिर्फ पड़ोसी मुल्क, बल्कि समूचा संसार परेशान और दुखी हुआ पड़ा है। ऐसे में विश्व बिरादरी को सामूहिक रूप से ‘ह्यूमन मेटान्यूमो’ वायरस की तथ्यों सहित तहकीकात करके जानकारी को सार्वजनिक करना चाहिए। हालांकि, चीन नए वायरस के आरोपों को नकार रहा है।
गौरतलब है बीते 3 वर्ष पूर्व कोरोना वायरस ने संसार को जो गहरे जख्म दिए थे, वो आज भी हरे हैं और तब तक रहेंगे? शायद जब तक इस धरती पर इंसानों का वजूद रहेगा? क्योंकि कोरोनाकाल में कोई परिवार ऐसा नहीं बचा होगा जिसने अपने किसी सगे या कोई करीबी दोस्त, पड़ोसी, रिश्तेदार को न खोया हो? भारत में ‘ह्यूमन मेटान्यूमो’ का पहला संक्रमण एक बच्ची में 6 जनवरी को सुबह कर्नाटक में मिला और शाम होते-होते गुजरात से लेकर तमिलनाडू तक मरीजों की संख्या पांच-छह तक पहुंच गई। संक्रमितों की खबर ने ऐसी दहशत फैलाई, जिससे केंद्र सरकार भी हलकान हुई। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा को भी मीडिया में आकर बताना पड़ा, कि देशवासियों को फिलहाल चिंता करने और घबराने की आवश्यकता नहीं है। क्योंकि स्थिति पर उनका पूर्ण नियंत्रण है और संपूर्ण इंतजाम केंद्रीय स्तर पर किए जा चुके हैं। उन्होंने इस वायरस को नया नहीं, बल्कि पुराना ही बताया है? जबकि, आइसीएमआर का मानना है कि सर्दियों में सामान्य न्यूमोनिया वायरसों का खतरा हमेशा बढ़ता है। पर, ये वायरस जानलेवा कभी नहीं होते थे, लेकिन अब होने लगे हैं।
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‘ह्यूमन मेटान्यूमो’ वायरस पर हेल्थ मिनिस्टृ और आइसीएमआर दोनों के बयानां में अंतर है। बिना तालमेल और अ-पुष्ट सूचनाओं के आदान-प्रदान से सभी को बचना होगा। क्योंकि इससे स्थिति बिलावजह नाजुक हो जाती हैं। दोनों संस्थाओं को सबसे पहले मॉनिटरिंग पर फोकस करना होगा, जो कोरोना के वक्त अच्छे से नहीं किया था। नए वायरस की जागरूकता पर दोनों की माने तो खतरा है भी, और नहीं भी? हालांकि इसके बाद गेंद जनता के पाले में चली जाती है। कहने का मतलब है, सतर्कता जनता को स्वयं से करनी होगी। उन्हें अपनी इम्युनिटी पर खासा ध्यान रखना होगा। क्योंकि कोरोना के वक्त भी हुकूमत और चिकित्सीय संगठनों की ओर से शुरुआत में कुछ ऐसा ही कहा गया था। लेकिन उसके बाद में हालात कैसे बनें, जिसे बयां करने मात्र से आज भी रूहें कांप उठती हैं। पूरे सिक्किम राज्य की जितनी मौजूदा समय में आबादी है, उससे कहीं ज्यादा भारतीयों की जाने कोरोना से गईं। ‘ह्यूमन मेटान्यूमो’ को लेकर आमजन को इसलिए चिंता करनी पड़ेगी, क्योंकि इस वायरस की भी अभी तक कोई टीका या एंटीवायरल दवा नहीं निर्मित हुई है। भारत में ‘ह्यूमन मेटान्यूमो’ के अभी तक जितने केस सामने आए हैं उन सभी मरीजों को सामान्य बुखार की दवाइयां ही दी जा रही हैं। किसी विशेष दवा का प्रबंध भी नहीं हुआ है।
गौरतलब है कि डब्ल्यूएचओ ने चीन से ‘ह्यूमन मेटान्यूमो’ वायरस को लेकर रिपोर्ट मांगी है, जिसे उसने अभी तक नहीं दी? इससे तो यह कहावत सीधे-सीधे चरितार्थ होती है कि ‘चोर की दाढ़ी में तिनका’। चीन की चालाकी को लेकर न सिर्फ भारत को, बल्कि पूरे संसार को चौकन्ना रहना होगा। क्योंकि वायरस के खेल के पीछे उसकी विश्वसनीयता कोरोना के बाद भयंकर रूप से सवालों के घेरे में आ चुकी है। अब देखिए न, डब्ल्यूएचओ के बार-बार मांगने पर भी चीन ने डाटा रिपोर्ट नहीं मुहैया करवाई है। इससे संदेह न हो, तो और क्या? नए वायरस से बुजुर्गों, बच्चों, गर्भवती महिलाओं को विशेष पर बचना होगा। उनके लिए घातक ये वायरस। इसके अलावा कमजोर इम्यूनिटी वाले मरीजों, जैसे दिल, फेफड़े, लिवर, कैंसर, चर्म रोगियों को और भी ज्यादा सावधानियां बरतने की आवश्यकता है। वायरस को लेकर समूचे विश्व में फिलहाल भ्रम की स्थिति बनी हुई है। दिल्ली स्थित ‘एम्स’ अस्पताल की तत्कालीक चिकित्सा शोध रिपोर्ट ‘ह्यूमन मेटान्यूमो वायरस’ की उत्पत्ति सन-2001 में होना दर्शाती है जिसमें मात्र श्वसन संक्रमण का ही खतरा रहता है और ज्यादा कुछ नहीं? पर, वायरस के इस नए वर्जन से मरीजों के हताहत होने की सूचनाएं हैं। संदेह दरअसल यहीं से गहरा जाता हैं कि कहीं इस पुराने वायरस की आड़ में कोई नया मानव निर्मित वायरस तो नहीं फैलाया गया है?
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बहरहाल, ‘ह्यूमन मेटान्यूमो वायरस’ को लेकर भ्रम की स्थिति यहीं से पता चलती है, कि दुनिया के कई देश इस वायरस को जहां रहस्यमय कह रहे हैं। तो वहीं, भारतीय चिकित्सक पुराना वायरस बताने में तुले हैं। हालांकि, भारतीय को अभी हद से ज्यादा भयभीत होने की जरूरत नहीं है। क्योंकि एचएमपीवी का व्यापक असर अभी चीन में भी नहीं है अन्य देशों में भी एकाध ही केस फाइल हुए हैं। ग्लोबल स्तर पर ज्यादातर देशों के मध्य एक चिकित्सीय संधी बनी होती है जिसके तहत जिस देश से कोई रहस्यमय बीमारी या वायरस फैलता है तो उसकी संपूर्ण जानकारियां डब्ल्यूएचओ जैसी विश्वस्तरीय मेडिकल संगठनों को मुहैया करानी होती है। पर, चीन एचएमपीवी को लेकर भी कुंडली मारे बैठा है। किसी तरह की कोई भी जानकारियां सार्वजनिक नहीं कर रहा। रिपोर्ट को लेकर संयुक्त राष्ट्र की ओर से भी आदेशित किया गया है। बावजूद इसके चीन ने अपने मुंह में दही जमा रखी है। पर, इतना तय है। अगर इस बार चीन की कोई खुराफात सामने निकली, तो ग्लोबल स्तर पर अच्छे से घिरेगा। फिलहाल, हिंदुस्तान को एचएमपीवी को लेकर चिंता करने की जरूरत नहीं? पर चौकन्ना रहना पड़ेगा। हम-सभी को स्वंय से सावधानियां और सर्तकता बरतनी होगी और अपनी इम्यनिटी बढ़ाने पर ध्यान देना होगा।
डॉ. रमेश ठाकुर
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