Prabhasakshi NewsRoom: Modi-Xi की मुलाकात के बारे में आखिर आठ महीने बाद क्यों जानकारी दी गयी?
हम आपको बता दें कि चीन के विदेश मंत्रालय ने मोदी और शी की मुलाकात के बारे में ऐसे समय पर जानकारी दी है जब इसी सप्ताह जोहानिसबर्ग में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल तथा शीर्ष चीनी राजनयिक वांग यी के बीच बैठक हुई थी।
भारत और चीन के बीच चल रहे तनावपूर्ण संबंधों के बीच इस बात का खुलासा हुआ है कि आठ महीने पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने पिछले वर्ष बाली में जी20 शिखर सम्मेलन में एक रात्रि भोज के दौरान एक-दूसरे का अभिवादन स्वीकार किया और द्विपक्षीय संबंधों को स्थिर बनाए रखने की आवश्यकता पर बातचीत की थी। सवाल उठ रहे हैं कि दोनों सरकारों की ओर से अब इस बात का खुलासा क्यों किया गया है? मुलाकात के बाद कोई बयान क्यों नहीं जारी किया गया था? उस समय जब इस प्रकार की खबरें आई थीं कि मोदी और जिनपिंग ने एक दूसरे से बातचीत नहीं की तब इसका खंडन क्यों नहीं किया गया?
चीनी विदेश मंत्रालय का बयान
हम आपको बता दें कि चीन के विदेश मंत्रालय ने मोदी और शी की मुलाकात के बारे में ऐसे समय पर जानकारी दी है जब इसी सप्ताह जोहानिसबर्ग में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल तथा शीर्ष चीनी राजनयिक वांग यी के बीच बैठक हुई थी। माना गया कि यह बैठक काफी सफल रही थी। इसलिए इस बैठक के बाद चीनी विदेश मंत्रालय ने जानकारी देते हुए दावा किया कि शी और मोदी पिछले साल नवंबर में हुए जी20 शिखर सम्मेलन से इतर बातचीत में द्विपक्षीय संबंधों को स्थिर बनाने पर ‘‘महत्वपूर्ण आम सहमति’’ पर पहुंचे थे। हम आपको बता दें कि यह मई 2020 में भारत-चीन सीमा पर उत्पन्न गतिरोध के बाद से दोनों नेताओं की पहली बार सार्वजनिक मुलाकात थी। इसके अलावा हाल ही में मोदी और शी तब भी एक वर्चुअल मंच पर नजर आये थे जब हाल ही में भारत ने एससीओ शिखर सम्मेलन का ऑनलाइन आयोजन किया था।
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भारतीय विदेश मंत्रालय का बयान
जहां तक मोदी और शी की मुलाकात के बारे में भारतीय विदेश मंत्रालय के बयान की बात है तो आपको बता दें कि प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, ‘‘पिछले साल बाली में जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने इंडोनेशिया के राष्ट्रपति द्वारा आयोजित रात्रि भोज के अंत में एक-दूसरे का अभिवादन स्वीकार किया और हमारे द्विपक्षीय संबंधों को स्थिर करने की आवश्यकता पर बात की थी।’’ उन्होंने कहा, ‘‘जैसा कि आप जानते हैं कि हमने दृढ़तापूर्वक कहा है कि पूरे मुद्दे के समाधान की कुंजी भारत-चीन सीमा के पश्चिमी सेक्टर पर वास्तविक नियंत्रण रेखा पर स्थिति को हल करना तथा सीमावर्ती इलाकों में शांति बहाल करना है।’’ यह पूछे जाने पर कि क्या चीन के राष्ट्रपति दिल्ली में होने वाले जी20 शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे, इस पर बागची ने कहा कि भारत सभी आमंत्रित नेताओं की भागीदारी के साथ इसकी सफलता के लिए सभी प्रयास और तैयारियां कर रहा है।
एनएसए अजित डोभाल और वांग यी की मुलाकात
जहां तक डोभाल की जोहानिसबर्ग में शीर्ष चीनी राजनयिक वांग यी से मुलाकात की बात है तो आपको बता दें कि इस दौरान दोनों ने द्विपक्षीय संबंधों में ‘बाधाओं’ को दूर करने पर जोर दिया था। डोभाल और वांग की मुलाकात जोहानिसबर्ग में ‘फ्रेंड्स ऑफ ब्रिक्स’ की बैठक के इतर हुई थी। भारतीय विदेश मंत्रालय के बयान के अनुसार, बैठक में डोभाल ने कहा कि भारत-चीन सीमा पर पश्चिमी सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर स्थिति के कारण 2020 के बाद से सामरिक विश्वास तथा सार्वजनिक एवं राजनीतिक संबंध कमजोर हुए हैं। बयान के अनुसार, उन्होंने सीमावर्ती क्षेत्रों में अमन एवं शांति बहाली एवं स्थिति के समाधान के प्रयास जारी रखने के महत्व को रेखांकित किया ताकि द्विपक्षीय संबंधों को सामान्य बनाने की ‘बाधाओं’ को दूर किया जा सके। बयान में कहा गया है कि दोनों पक्षों ने इस बात पर सहमति व्यक्त की कि भारत-चीन द्विपक्षीय संबंध न केवल दोनों देशों के लिए महत्वपूर्ण हैं बल्कि क्षेत्र और विश्व के लिए भी अहम हैं।
हम आपको यह भी बता दें कि हाल ही में इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में विदेश मंत्री एस जयशंकर और चीन के विदेश मंत्री वांग यी के बीच भी बैठक हुई थी। जयशंकर और वांग ने सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और अमन-चैन से संबंधित लंबित मुद्दों पर चर्चा की थी। उल्लेखनीय है कि भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में पिछले तीन साल से सैन्य गतिरोध जारी है। जयशंकर ने इसे अपने लंबे राजनयिक कॅरियर की सबसे जटिल चुनौती बताया है। भारत ने स्पष्ट किया है कि जब तक सीमा क्षेत्र में शांति कायम नहीं होगी, तब तक द्विपक्षीय संबंध सामान्य नहीं हो सकते।
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