धर्मेंद्र प्रधान ने प्रभासाक्षी को भेजा बधाई संदेश, वेब पत्रकारिता को बताया 'नये ज़माने का यंग मीडिया'
अपने पत्र में धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि पत्रकारिता को लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ कहा जाता है। पत्रकारिता ने लोकतंत्र में यह महत्वपूर्ण स्थान सामाजिक सरोकारों एवं सार्वजनिक हितों से जुड़कर अर्जित किया है।
प्रभासाक्षी अपने निष्पक्ष पत्रकारिता के 20 वर्ष पूरे कर रहा है। अपने इस 20 वर्ष के सफर के दौरान प्रभासाक्षी ने हिंदी सेवा के साथ-साथ लोगों को डिजिटल तरीके से संपूर्ण समाचार मुहैया कराया है। इस शुभ अवसर पर केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने प्रभासाक्षी को अपना बधाई संदेश भेजा है। अपने बधाई संदेश में धर्मेंद्र प्रधान ने लिखा कि मुझे यह जानकर प्रसन्नता हो रही है कि प्रतिष्ठित हिंदी समाचार पोर्टल प्रभासाक्षी.डॉटकॉम वेब पत्रकारिता के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करते हुए अपनी स्थापना की 20वीं वर्षगांठ मना रहा है।
अपने पत्र में धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि पत्रकारिता को लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ कहा जाता है। पत्रकारिता ने लोकतंत्र में यह महत्वपूर्ण स्थान सामाजिक सरोकारों एवं सार्वजनिक हितों से जुड़कर अर्जित किया है। यदि भारतीय पत्रकारिता के इतिहास को देखा जाए तो स्वतंत्रता-पूर्व पत्रकारिता का प्रमुख उद्देश्य आज़ादी के आंदोलन में योगदान देना था। इसी मूल-भावना के साथ स्वाधीनता संग्राम में पत्रकारिता ने अपनी अहम और सार्थक भूमिका निभाई। लेकिन आज सूचना-क्रांति के साथ ही आर्थिक उदारीकरण ने पत्रकारिता के क्षेत्र को बहुत कुछ बदल कर रख दिया है।
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उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में हम वेब पत्रकारिता को 'नये ज़माने का यंग मीडिया' कह सकते हैं। अमेरिका के 'न्यूयार्क टाइम्स' और 'वॉल स्ट्रीट' जनरल जब अपने संस्करणों के समाचारों को डेटाबेस में रखने लगे तभी से वेब पत्रकारिता की शुरुआत मानी जाती है। भारत में इसका आगमन तकरीबन 1991 के बाद हुआ लेकिन उस समय हमारे यहाँ इंटरनेट की उपलब्धता, पहुंच एवं स्पीड बहुत कम थी। परंतु जैसे-जैसे इंटरनेट और उपभोक्ताओं की संख्या में वृद्धि हुई वैसे-वैसे इसको भी गति मिलनी शुरु हो गई। जब विश्व की बड़ी इंटरनेट सर्विस कंपनियाँ गूगल और याहू ने भी इस दिशा में कदम बढ़ाया और भारत में हिन्दी भाषाओं में अपने-अपने पोर्टल लांच किए तब इस क्षेत्र में एक नई क्रांति आ गई।
प्रधान ने कहा कि भारत में वेब जर्नलिज्म का विशिष्ट रूप हमको तब देखने को मिला जब 4G की शुरुआत हुई। इस प्रकार काफी अल्प समय में ही हिन्दी में वेब पत्रकारिता ने जिस प्रकार से सफलता के नये प्रतिमान स्थापित किये हैं, उससे पत्रकारिता के इस नये रूप का भविष्य अवश्य ही उज्ज्वल होगा। लेकिन साथ ही साथ हिन्दी वेब-जर्नलिज्म के सामने अनेक चनौतियाँ भी हैं, जिनसे उसे पार पाना होगा। अंग्रेजी समाचार की साइटों की तरह अपडेशन प्रशिक्षित लोगों का चयन तथा एक-समान हिन्दी फॉन्ट का प्रयोग ऐसी ही चुनौतियाँ हैं। मुझे विश्वास है कि हिन्दी वेब पत्रकारिता समय के साथ स्वयं को अद्यतन करते हुए आगे बढ़ेगी। मैं 'प्रभासाक्षी कॉम' को उसकी स्थापना की 20वीं वर्षगांठ की हार्दिक शुभकामनाएँ प्रेषित करता हूँ।
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