गुड ब्वाय बनने की चाह ने बना दिया था सुबह का भूला, पीएम ने धर्मसंकट से निकालते हुए संकेत दिया- शाम हो चुकी है...

nitish
अभिनय आकाश । Apr 30 2020 3:10PM

केंद्र सरकार ने लॉकडाउन में फंसे लोगों की घर वापसी के लिए सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए सशर्त अंतर्राज्यीय परिवहन की छूट दे दी है। उन्हें अपने घर में प्रवेश करने से पहले क्वांटराइन में रहना होगा।

प्रधानमंत्री मोदी की मीटिंग में और उसके बाद जो आवाज गूंज रही है, वो है बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की। कोटा में फंसे बिहार के छात्रों के मुद्दे को लेकर तमाम उठती आवाजों के बीच खामोशी की चादर ओढे नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मीटिंग में मजबूती से अपनी बात रखी। नीतीश बोले कि वो तो केंद्र सरकार के दिशानिर्देशों से बंधे हुए हैं - और दूसरे राज्यों के मुख्यमंत्रियों की इसकी परवाह ही नहीं है। साफ है नीतीश कुमार का इशारा यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तरफ ही था जो कोटा से यूपी के छात्रों को वापस लाने के बाद अब मजदूरों को लाने की तैयारी करते दिखे।

इसे भी पढ़ें: बिहार में चिकित्सक शिक्षकों, चिकित्सकों सहित विभिन्न श्रेणियों के 1,039 पदों को मंजूरी

सिर्फ योगी आदित्यनाथ ही क्यों - शिवराज सिंह चौहान भी तो ऐसा कर ही चुके हैं। लगातार अपने प्रदेश के प्रवासी मजदूरों और छात्रों को लेकर राज्य सरकारों द्वारा उठाए जा रहे कदम के बाद चौतरफा आलोचना से घिरने के बाद पीएम मोदी के गुड ब्वाय नीतीश ने पहले तो शिकायती अंदाज में अन्य मुख्यमंत्रियों की शिकायत की फिर छात्रों पर फजीहत से बचने के लिए सुरक्षित रास्ते की तलाश में अपनी बेबसी और लाचारी दिखाते हुए प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी से ही कोई तरकीब निकालने की मांग कर डाली। नीतीश कुमार की हालत फिलहाल सुबह के भूले जैसी लग रही हो जैसे की उन्हें ज्ञात हो गया कि शाम हो चुकी है और बस एक आश्वासन मिल जाए जिसकी वजह से कोई उसे भूला न कहे। प्रवासी मजदूरों को उनके घर पहुंचा सकते हैं। केंद्र सरकार ने लॉकडाउन में फंसे लोगों की घर वापसी के लिए सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए सशर्त अंतर्राज्यीय परिवहन की छूट दे दी है। उन्हें अपने घर में प्रवेश करने से पहले क्वांटराइन में रहना होगा। 

इसे भी पढ़ें: CM नीतीश कुमार ने दूसरे राज्यों में फंसे मजदूरों, छात्रों के आवागमन पर छूट के निर्णय का किया स्वागत

राज्य में तेज हो गई थी सियासत

प्रदेश में करीब पच्चीस लाख प्रवासी मजदूरों को राज्य सरकार द्वारा विभिन्न प्रदेशों में बदहाल छोड़ देने और साथ ही कोटा में पढ़ रहे उन छात्रों को अपनी जिद में वापस लाने में कोई रुचि नहीं दिखाने के मुद्दे को लेकर राष्ट्रीय जनता दल ने 1 मई को उपवास का ऐलान किया था। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के आह्वान पर राजद के कार्यकर्ताओं ने ऐच्छिक सामुहिक उपवास रखने का ऐलान किया। साथ ही 1 मई को अपने घर में ही रहकर सामाजिक दूरी बनाकर दिन के दस बजे से बारह बजे तक सांकेतिक अनशन की भी घोषणा हुई। 

इसे भी पढ़ें: बीजेपी MLC बोले, कोटा से छात्रों को लाने से इंकार का खामियाजा विधानसभा चुनाव में भुगतना पड़ सकता है

लॉकडाउन के बाद जब पूर्वांचल के लोग दिल्ली की सड़कों पर निकले और अपने घरों की ओर चल दिये तो नीतीश कुमार ने सबको समझाने की कोशिश की कि अगर वे नहीं माने तो लॉकडाउन फेल हो जाएगा। अपनी बात को मजबूती देने के लिए वो प्रधानमंत्री मोदी की बातों का भी जिक्र कर रहे थे। कोटा में फंसे छात्रों को वापस बुलाने की बात हुई तो नीतीश बोल पड़े - क्या पांच लोग सड़क पर आकर मांग करने लगेंगे तो सरकार झुक जाएगी? सरकार ऐसे काम करती है? ये सब संपन्न परिवारों के बच्चे हैं उनको वहां क्या दिक्कत है?

इसे भी पढ़ें: प्रधानमंत्री के साथ बैठक के बाद मुख्यमंत्रियों की राय, जानें किस प्रदेश के सीएम ने क्या कहा?

बिहार में VVIP लोगों की बहार पर बवाल

नवादा की कहानी से तो सभी परिचित होंगे। जिसमें एक विधायक को एसडीओ ने पास जारी किया और वे गाड़ी लेकर कोटा पहुंच गए जहां से उन्हें अपनी बेटी को घर लाना था। जिसके बाद भोजपुर के सदर एसडीओ अरुण प्रकाश द्वारा भी वीवीआईपी लोगों की मदद करने का मामले सामने आया। कोटा और दूसरे राज्यों में पढ़ने वाले छात्रों को बिहार वापस लाने के लिए खुलकर पास बांटे गए।

राजग में भी उठने लगे थे विरोध के स्वर

पूर्व केंद्रीय मंत्री और बिहार विधान परिषद में भाजपा सदस्य संजय पासवान ने कहा कि अगर अन्य राज्यों में फंसे बिहार के छात्रों को समय से वापस नहीं लाया गया तो इसका खामियाजा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को अगले विधानसभा चुनाव में भुगतना पड़ सकता है। संजय ने कहा, ‘‘हमारे बच्चों को वापस लाना मुख्यमंत्री की ड्यूटी है। इससे हमारा राजनीतिक नुकसान भी हो रहा है। उन्हें तीन मई तक सभी बच्चों को बिहार वापस ले आना चाहिए।’ वहीं बिहार बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने कहा था कि पार्टी इस मामले पर संवेदनशील है। भाजपा चाहती है कि कोटा समेत दूसरे राज्य में फंसे बिहार के बच्चों को वापस लाया जाए। 

इसे भी पढ़ें: RJD पर बरसे जदयू प्रवक्ता राजीव रंजन, उपवास को बताया मानवता विरोधी

बहरहाल, पीएम मोदी ने नीतीश को राहत देते सशर्त अनुमति देने के बाद अब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के लिए केंद्र सरकार की अनुमति लेने की कोई बाधा नहीं रही। जहां तक बात बिहार के विपक्ष की है तो एक बार फिर से उनके हाथ में अपनी खोई राजनीति पाने का मुद्दा हाथ से फिसल गया, या यूं कहें कि पीएम मोदी ने ये अवसर आने ही नहीं दिया। 

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़