Online और Quick Commerce की मार झेल रहे किराना दुकानदार, कारोबार बंद करने को हुए मजबूर

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जोमैटो, जेप्टो, स्विगी जैसे प्लेटफॉर्म अब क्विक कॉमर्स प्लेटफॉर्म में काफी अच्छे से ग्रो कर रहे है। इस फिल्ड में अब बिग बास्केट, अमेजन समेत कई अन्य कंपनियां भी इस कड़ी में आगे बढ़ रही है। क्विक कॉमर्स के जरिए अब लोग घर, ऑफिसों में आसानी से ऑनलाइन ऑर्डर देकर सामान मंगाने लगे है।

ऑनलाइन मार्केट के बाद अब क्विक कॉर्मस का मार्केट भी लगातार बढ़ता जा रहा है। क्विक कॉमर्स मार्केट में इसका प्रभुत्व बढ़ने लगा है। लोग काफी बड़ी संख्या में खासतौर से बड़े शहरों में क्विक कॉमर्स के जरिए ही सामान मंगाने लगे है। इसका असर बड़े शहरों में बनी पारंपरिक किराना दुकानों पर भी होने लगा है।

 

जोमैटो, जेप्टो, स्विगी जैसे प्लेटफॉर्म अब क्विक कॉमर्स प्लेटफॉर्म में काफी अच्छे से ग्रो कर रहे है। इस फिल्ड में अब बिग बास्केट, अमेजन समेत कई अन्य कंपनियां भी इस कड़ी में आगे बढ़ रही है। क्विक कॉमर्स के जरिए अब लोग घर, ऑफिसों में आसानी से ऑनलाइन ऑर्डर देकर सामान मंगाने लगे है। अब घर में आटा, दाल, चावल से लेकर इलेक्ट्रॉनिक गैजेट तक इन प्लेटफॉर्म के जरिए ऑर्डर होने लगा है, जो महज 10 मिनट में सामान की डिलीवरी करने लगी है। इसका काफी नकारात्मक असर पारंपरिक किराना दुकानों पर होने लगा है।

अब अधिकतर लोग पारंपरिक किराना दुकानों पर जाने से बचने लगे है क्योंकि घर बैठे ही उन्हें आसानी से सामान उपलब्ध हो रहा है। मिंट की खबर के मुताबिक इन ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के कारण भारत में पारंपरिक खुदरा दुकानों की संख्या में कमी देखने को मिलने लगी है। इन किराना दुकानों का महत्व अब कम होने लगा है।

हाउइंडियालाइव्स की रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2015-16 तक व्यापार क्षेत्र ने लगभग 13 ट्रिलियन डॉलर का सकल घरेलू उत्पाद पैदा किया है। इसमें 34 फीसदी हिस्सा किराना उद्योग का था। वर्ष 2011 तक इसमें चार फीसदी की बढ़ोतरी भी हुई थी वहीं वर्ष 2023-24 तक इस क्षेत्र में 22 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है। 

 

सीधे सामान बेच रही बड़ी कंपनियां

अब कई बड़ी कंपनियां सीधे ही सामान बेचने के लिए तैयार है। इस कड़ी में सप्लाई या डिस्ट्रीब्यूशन का काम करने वाली कंपनियों की आवश्यकता कम हो रही है। मिंट की खबर की मानें तो पारंपरिक खुदका विक्रेता की जगह अब आईटीसी और हिंदुस्तान यूनिलीवर जैसी कंपनियां ग्राहकों तक सीधे पहुंच बनाने की इच्छा करती है। बीच में कमाने वाले एजेंट को हटाने पर विचार हो रहा है, जिसे कंपनियां काफी पसंद कर रही है। बड़ी कंपनियां अगर सीधे ही ग्राहकों तक सामान पहुचाएंगी तो किराना दुकानों को नुकसान होगा। 

 

बंद हुए कई स्टोर

आंकड़ों पर गौर करें तो हाल के समय में कई किराना स्टोर बंद हुए है जिसका मुख्य कारण ऑनलाइन और क्विक कॉमर्स रहा है। ऑल इंडिया कंज्यूमर प्रोडक्ट्स डिस्ट्रीब्यूटर्स फेडरेशन (एआईसीपीडीएफ) के आंकड़ों पर गौर करें तो बीते वर्ष लगभग 2,00,000 किराना स्टोर बंद हुए है। मेट्रो शहरों में लगभग 45 फीसदी किराना दुकानें और टियर वन शहरों में 30 फीसदी दुकानों को बंद करना पड़ा है। 

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