भगवंत मान की केंद्र सरकार से मांग, किसान आंदोलन में जान गंवाने वालों के परिवारों को दिया जाए मुआवजा

bhagwant maan

पंजाब विधानसभा चुनाव में पार्टी की ओर से मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार मान ने लोकसभा में शून्यकाल के दौरान यह आग्रह किया। उन्होंने कहा, ‘‘कानून के तहत 14 दिन में गन्ने की कीमत का भुगतान करना होता है। लेकिन मेरे क्षेत्र संगरूर में समय पर भुगतान नहीं हो रहा है।

नयी दिल्ली। आम आदमी पार्टी के सांसद भगवंत मान ने बुधवार को केंद्र सरकार से आग्रह किया कि केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले लोगों के परिवारों को उचित मुआवजा दिया जाए और किसानों के खिलाफ दर्ज मामले वापस लिए जाएं। पंजाब विधानसभा चुनाव में पार्टी की ओर से मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार मान ने लोकसभा में शून्यकाल के दौरान यह आग्रह किया। उन्होंने कहा, ‘‘कानून के तहत 14 दिन में गन्ने की कीमत का भुगतान करना होता है। लेकिन मेरे क्षेत्र संगरूर में समय पर भुगतान नहीं हो रहा है। मेरी मांग है कि गन्ने का समय पर भुगतान किया जाए।’’ मान ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री ने तीनों कानूनों को वापस लिया और अपनी गलती मानी। अब किसानों के खिलाफ दर्ज मामले वापस लिए जाएं। आंदोलन के दौरान मारे गए लोगों के परिवारों को मुआवजा दिया जाए।’’

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भारतीय जनता पार्टी के कनकमल कटारा ने राजस्थान के कुछ आदिवासी बहुल क्षेत्रों में धर्मांतरण का मुद्दा उठाया और आरोप लगाया कि कुछ समूह लोगों का ईसाई धर्म में परिवर्तन करा रहे हैं। उन्होंने कहा कि धर्मांतरण करने वाले लोगों को आरक्षण का लाभ नहीं मिलना चाहिए और इसके लिए जरूरी प्रावधान किए जाने चाहिए। भाजपा के ही रमेश बिधूड़ी ने दावा किया कि दिल्ली की कई मस्जिदों में इमामों को सरकारी खजाने से वेतन दिया जाता है। उन्होंने कहा कि ऐसे में राजधानी में मंदिरों के पुजारियों को भी सरकार द्वारा वेतन दिया जाए। शून्यकाल आरंभ होने से पहले लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सदन की कार्यवाही के दौरान कुछ सदस्यों के खड़े होकर आपस में बात करने को लेकर उन्हें चेतावनी दी। उन्होंने कहा, ‘‘कुछ सदस्य खड़े होकर दो-तीन-पांच मिनट तक बात करते हैं। यह ठीक नहीं है... अगर 10 सैकंड से ज्यादा कोई खड़ा होकर बात करेगा तो उसका नाम लेकर पुकारुंगा।’’ सदन में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने किसी एक मंत्री द्वारा कई मंत्रियों की ओर से उनके विभागों से संबंधित कागजात सदन के पटल पर रखे जाने का विरोध किया और कहा कि अधिक मंत्रियों को सदन में नहीं रहना पड़े, इसलिए यह आदत बन गई है। इस पर बिरला ने कहा, ‘‘मैंने कोविड के कारण यह व्यवस्था दी है, कोविड खत्म होने के बाद पुरानी व्यवस्था चलेगी।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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