केंद्र ने आरक्षण पर अपना रुख स्पष्ट कर दिया है, विपक्ष राजनीति कर रहा है: Faggan Singh Kulaste

Faggan Singh Kulaste
प्रतिरूप फोटो
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प्रमुख आदिवासी नेता फग्गन सिंह कुलस्ते ने विपक्ष पर अनुसूचित जातियों के भीतर उप-वर्गीकरण के बारे में उच्चतम न्यायालय के फैसले का राजनीतिकरण करने का आरोप लगाया और कहा कि केंद्र ने इस पर अपना रुख पहले ही स्पष्ट कर दिया है। मध्यप्रदेश की मंडला (एसटी) लोकसभा सीट से सांसद कुलस्ते ने कहा, न्यायाधीशों ने अपनी राय दी है।

भोपाल । पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा के प्रमुख आदिवासी नेता फग्गन सिंह कुलस्ते ने बुधवार को विपक्ष पर अनुसूचित जातियों के भीतर उप-वर्गीकरण के बारे में उच्चतम न्यायालय के फैसले का राजनीतिकरण करने का आरोप लगाया और कहा कि केंद्र ने इस पर अपना रुख पहले ही स्पष्ट कर दिया है। मध्यप्रदेश की मंडला (एसटी) लोकसभा सीट से सांसद कुलस्ते ने कहा, न्यायाधीशों ने अपनी राय दी है। मैं व्यक्तिगत रूप से 60-70 सांसदों के साथ इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मिला था। प्रधानमंत्री ने हमें बताया कि एससी और एसटी के बीच क्रीमी लेयर प्रावधान (उप-वर्गीकरण) लागू नहीं किया जाएगा। 

उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भी फैसला किया है कि शीर्ष अदालत की राय को लागू नहीं किया जाएगा। कुलस्ते ने कहा, सरकार की इतनी स्पष्टता और निर्णय के बावजूद, लोगों ने भारत बंद का आह्वान किया है... वे राजनीति कर रहे हैं। कांग्रेस ने एससी और एसटी के नाम पर राजनीति की और मायावती (बसपा प्रमुख) भी यही कर रही हैं।’’ उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने भी आरक्षण की रक्षा की थी। उन्होंने कहा, न्यायाधीशों की राय हो सकती है, लेकिन इस मुद्दे पर सरकार का रुख स्पष्ट है कि इसे लागू नहीं किया जाएगा। देश भर के इक्कीस संगठनों ने आरक्षण पर उच्चतम न्यायालय के एक अगस्त के फैसले के खिलाफ बुधवार को भारत बंद का आह्वान किया है। 

संगठनों ने फैसले का विरोध करते हुए कहा है कि इससे आरक्षण के मूल सिद्धांतों को नुकसान पहुंचेगा। उच्चतम न्यायालय ने एक अगस्त को कहा था कि राज्यों को अनुसूचित जाति (एससी) के भीतर उप-वर्गीकरण करने का संवैधानिक अधिकार है, जो सामाजिक रूप से विषम वर्ग है, ताकि उन जातियों के उत्थान के लिए आरक्षण दिया जा सके जो सामाजिक और शैक्षणिक रूप से अधिक पिछड़ी हैं। हालांकि, शीर्ष अदालत ने यह स्पष्ट कर दिया कि राज्यों को पिछड़ेपन और सरकारी नौकरियों में प्रतिनिधित्व के “मात्रात्मक और प्रदर्शन योग्य आंकड़ों” के आधार पर उप-वर्गीकरण करना होगा, न कि “सनक” और “राजनीतिक लाभ” के आधार पर।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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