Waqf Board Bill को लेकर मुस्लिम धर्मगुरुओं को साधने की कोशिश में भाजपा
लखनऊ के ऐशबाग ईदगाह में हुई बैठक के दौरान जगदंबिका पाल ने मुस्लिम धर्म गुरुओं को भरोसा दिलाया कि विधेयक में कोई भेदभाव नहीं होगा। उन्होंने कहा कि वह धर्म गुरूओं की आपत्तियों और सुझावों को जेपीसी के सामने रखेंगे।
लखनऊ। भारतीय जनता पार्टी वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक को दोनों सदनों में पास कराना चाहती है,लेकिन इससे विपक्ष को सियासी फायदा नहीं हो,इसके लिये उसके सांसद मुस्लिम धर्मगुरुओं से मिलकर वक्फ बोर्ड की खामियां गिना रहे हैं ताकि सरकार की नियत पर किसी को कोई संदेह नहीं हो। इसी क्रम में यूपी के डुमरियागंज के सांसद और संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने लखनऊ में शिया चांद कमिटी के अध्यक्ष सैफ अब्बास और ईदगाह में इमाम मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली, दारुल उलूम नदवा के शिक्षक मौलाना इदरीस बस्तवी सहित अन्य मौलानाओं से मुलाकात की। पाल ने वक्फ संशोधन विधेयक लाने के पीछे की सरकार मंशा और उसके लाभ मुस्लिम धर्म गुरूओं को बताए। मुस्लिम धर्मगुरुओं ने विधेयक के कई बिंदुओं पर अपनी आपत्ति जताई और सुझावों को लेकर अपना ज्ञापन सौपा। जगदम्बिका पाल के साथ बीजेपी के अन्य नेता भी मौजूद थे।
लखनऊ के ऐशबाग ईदगाह में हुई बैठक के दौरान जगदंबिका पाल ने मुस्लिम धर्म गुरुओं को भरोसा दिलाया कि विधेयक में कोई भेदभाव नहीं होगा। उन्होंने कहा कि वह धर्म गुरूओं की आपत्तियों और सुझावों को जेपीसी के सामने रखेंगे। इसी के साथ यह भी तय हुआ कि विधेयक को लेकर मुलाकातों का सिलसिला जारी रहेगा। इसे लेकर 30 अगस्त को एक बड़ी बैठक आयोजित की जा रही है, जिसमें देश भर के उलमा को बुलाया जा रहा है। इस मुलाकात के बाद मुस्लिम धर्मगुरू खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा कि उन्होंने जेपीसी अध्यक्ष के सामने अपनी बाते रखी है। हमारी ओर से जेपीसी अध्यक्ष को ज्ञापन भी दिया गया है। उम्मीद है कोई ऐसा फैसला नहीं होगा, जो वक्फ के खिलाफ हो।
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वहीं जेपीसी अध्यक्ष ने मौलाना सैयद सैफ अब्बास से उनके आवास पर मुलाकात की ओर से वक्फ संशोधन विधेयक पर विस्तार से चर्चा की। मौलाना सैफ ने कहा कि जो वक्फ संशोधन बिल पेश किया गया है, उसमें कई खामियां है। उन्होंने अधिवक्ता मोहम्मद हैदर रिजवी की टीम द्वारा तैयार की गई आपत्तियों और सुझावों का ज्ञापन जेपीसी अध्यक्ष को सौंपा। मांग की कि जेपीसी एक पोर्टल तैयार करे, जिस पर देश भर कि विद्वानों, बुद्धिजीवियों और संगठनों के सुझाव आमंत्रित किए जाएं।
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