JNU के पूर्व छात्र उमर खालिद को बड़ा झटका, अदालत ने खारिज की जमानत याचिका
दिल्ली पुलिस के विशेष लोक अभियोजक ने जमानत याचिका का विरोध करते हुए इसे तुच्छ और आधारहीन बताया था। उमर खालिद के वकील ने दावा किया था कि दिल्ली पुलिस की चार्जशीट में उमर खालिद के खिलाफ कोई आतंकी आरोप नहीं लगाया गया था और उसका नाम केवल दस्तावेज़ में दोहराया गया था।
दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट ने 2020 के दिल्ली दंगों से जुड़े बड़े साजिश मामले में पूर्व जेएनयू छात्र नेता उमर खालिद की जमानत याचिका मंगलवार को खारिज कर दी। उमर खालिद यूएपीए मामले में सितंबर 2020 से जेल में हैं। खालिद ने मामले में देरी और अन्य आरोपियों के साथ समानता के आधार पर नियमित जमानत की मांग की थी। विशेष न्यायाधीश समीर बाजपेयी ने 13 मई को उनकी जमानत अर्जी पर फैसला सुरक्षित रख लिया था।
इसे भी पढ़ें: लोकसभा चुनाव के बीच केजरीवाल सरकार को बड़ा झटका, मंत्री आतिशी को कोर्ट ने भेजा समन
दिल्ली पुलिस के विशेष लोक अभियोजक ने जमानत याचिका का विरोध करते हुए इसे तुच्छ और आधारहीन बताया था। उमर खालिद के वकील ने दावा किया था कि दिल्ली पुलिस की चार्जशीट में उमर खालिद के खिलाफ कोई आतंकी आरोप नहीं लगाया गया था और उसका नाम केवल दस्तावेज़ में दोहराया गया था। उन्होंने आगे तर्क दिया कि उनका नाम दोहराने से झूठ सच नहीं बन जाता। खालिद के वकील ने अपने मुवक्किल के खिलाफ शातिर मीडिया ट्रायल का भी आरोप लगाया था।
इसे भी पढ़ें: बच्चों के अस्पताल में आग के बाद एक्शन में AAP सरकार, दिल्ली के सभी अस्पतालों में हो फायर ऑडिट
दिल्ली पुलिस ने उमर खालिद पर 2020 में 23 स्थानों पर विरोध प्रदर्शन की योजना बनाने का आरोप लगाया है, जिसके कारण कथित तौर पर दंगे हुए। फरवरी में सुप्रीम कोर्ट से अपनी याचिका वापस लेने के बाद उमर खालिद ने स्थानीय अदालत का रुख किया था। क्या संदेश साझा करना एक आपराधिक या आतंकवादी कृत्य है? विशेष लोक अभियोजक (एसपीपी) ने आरोप लगाया था कि उमर खालिद कुछ लिंक साझा करके एक साजिश के तहत अपनी कहानी को बढ़ा रहा था।
अन्य न्यूज़