अनुच्छेद 370 हटाये जाने के बाद जम्मू-कश्मीर में युवाओं के लिए रोजगार के अवसर तेजी से बढ़े
जम्मू-कश्मीर का पुलवामा वैसे भी लैवेंडर, गुलाब और औषधीय पौधों की खेती के लिए प्रसिद्ध है। चूंकि इन सुगंधित पौधों का औषधीय महत्व बहुत ज्यादा है, इसलिए इनकी खेती स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार का एक महत्वपूर्ण स्रोत बन सकती है।
प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क की खास पेशकश अनुच्छेद 370 हटाये जाने के बाद से कितना बदला है जम्मू-कश्मीर में आप सभी का स्वागत है। आज बात करेंगे कश्मीरी युवाओं की मदद के लिए भारत सरकार की ओर से किये जा रहे विशेष प्रयासों की और जानेंगे कश्मीर में पर्यटन क्षेत्र को उबारने और उसे और आकर्षक बनाने के लिए क्या नया हो रहा है। सबसे पहले बात करते हैं कश्मीरी युवाओं की। भारत सरकार आजकल जम्मू और कश्मीर में रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए युवाओं को सुगंधित पौधों की खेती की ओर आकर्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। जम्मू-कश्मीर का पुलवामा वैसे भी लैवेंडर, गुलाब और औषधीय पौधों की खेती के लिए प्रसिद्ध है। चूंकि इन सुगंधित पौधों का औषधीय महत्व बहुत ज्यादा है, इसलिए इनकी खेती स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार का एक महत्वपूर्ण स्रोत बन सकती है। औषधीय, सुगंधित और मसाला फसलों के अनुसंधान और विकास का काम संभाल रहा सीएसआईआर-इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंटीग्रेटिव मेडिसिन इस क्षेत्र में युवाओं को आकर्षित कर रहा है।
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उधर, कश्मीर में जल परिवहन को पुनर्जीवित करने के उद्देश्य से झेलम नदी में एक लग्जरी ‘बस बोट’ का ट्रायल किया गया जो कि सफल रहा। अधिकारियों ने बताया कि एक निजी कंपनी ‘सुखनाग इंटरप्राइजेज’ ने नदी में ट्रायल आधार पर लग्जरी बस बोट की शुरुआत की है। सुखनाग इंटरप्राइजेज के अब्दुल हनान ने बताया कि बस बोट की क्षमता 35 यात्रियों की है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा चालक और चार बचाव कर्मी भी इसमें होंगे तथा बस बोट में एसी और एक एलसीडी टीवी भी लगा होगा। मुंबई से आए इंजीनियरों की निगरानी में लासजन बाईपास से शहर के पास जीरो ब्रिज तक ट्रायल रन कराया गया। दरअसल कश्मीर घाटी में जल परिवहन को पुनर्जीवित करने के लिए पर्यटन विभाग ने यह पहल की है। माना जा रहा है कि यह बस बोट बड़ी संख्या में पर्यटकों को आकर्षित करेगी।
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आपको कैसी लगी प्रभासाक्षी की पेशकश इसके बारे में राय जरूर दीजियेगा और हाँ 6 अगस्त तक विशेष रूप से चलने वाली हमारी इस श्रृंखला को अवश्य देखते रहिये क्योंकि बदलते कश्मीर की कहानी सबकी जुबां पर होनी ही चाहिए।
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