अनुच्छेद 370 हटने के बाद सेना और अन्य सुरक्षा बल कैसे जीत रहे हैं कश्मीरवासियों का दिल
असम राइफल्स की महिला सैनिकों ने गांदरबल जिले के कंगन में आर्मी गुडविल स्कूल की छात्राओं के साथ बातचीत का सत्र रखा। घाटी में इन महिला सैनिकों की तैनाती के साथ ही मध्य कश्मीर में उल्लेखनीय बदलाव देखने को मिल रहा है।
प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क की खास पेशकश अनुच्छेद 370 हटाये जाने के बाद से कितना बदला जम्मू-कश्मीर में आप सभी का स्वागत है। आज बात करेंगे कश्मीरी युवाओं की मदद के लिए भारतीय सेना की ओर से चलाये जा रहे विभिन्न अभियानों की। वैसे तो सेना, पुलिस और अर्धसैनिक बलों ने कोरोना काल में मानवीय सहायता के अनेकों काम किये हैं चाहे वह मुफ्त राशन का वितरण हो, चिकित्सा जाँच शिविरों का आयोजन हो या रातोंरात अस्थायी कोविड अस्पताल बनाकर चिकित्सा सुविधाओं को उपलब्ध कराने की बात हो, हमारे बलों ने शानदार काम किया। इसके अलावा कश्मीरी युवाओं को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने, रोजगार के लिए प्रशिक्षण दिलाने, आत्मनिर्भर बनने के लिए कौशल प्रशिक्षण प्रदान करने आदि जैसे कार्य किये जा रहे हैं। इसके साथ ही महिला सुरक्षा बलों की तैनाती से स्थानीय महिलाओं और युवतियों में भी नये विश्वास का आगाज हुआ है। आइये आपको लिये चलते हैं गांदरबल। असम राइफल्स की महिला सैनिकों ने गांदरबल जिले के कंगन में आर्मी गुडविल स्कूल की छात्राओं के साथ बातचीत का सत्र रखा। घाटी में इन महिला सैनिकों की तैनाती के साथ ही मध्य कश्मीर में उल्लेखनीय बदलाव देखने को मिल रहा है। ये महिला सुरक्षा बल युवा महिलाओं को सेना में शामिल होने के लिए प्रेरित कर रही हैं।
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दूसरी ओर, भारतीय सेना ने स्कूली बच्चों के लिए जूनून-ए-हुनर नामक एक सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया। कश्मीर घाटी में आयोजित इस कार्यक्रम में स्थानीय जनता की भारी भागीदारी देखी गई। कार्यक्रम में आर्मी गुडविल स्कूलों के बच्चों ने अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया। हम आपको बता दें कि स्थानीय बच्चों को शिक्षित करने के लिए कश्मीर घाटी में विभिन्न स्थानों पर भारतीय सेना द्वारा आर्मी गुडविल स्कूल स्थापित किए गए हैं। इन स्कूलों का उद्देश्य छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देना और युवा छात्रों की प्रतिभा को आगे बढ़ाना है। कार्यक्रम में छात्र-छात्राओं को नृत्य, गायन से लेकर विभिन्न कार्यक्रमों में भाग लेते देखा गया।
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आपको कैसी लगी प्रभासाक्षी की पेशकश इसके बारे में राय जरूर दीजियेगा और हाँ 6 अगस्त तक विशेष रूप से चलने वाली हमारी इस श्रृंखला को अवश्य देखते रहिये क्योंकि बदलते कश्मीर की कहानी सबकी जुबां पर होनी ही चाहिए।
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