भीख का कटोरा फेंकना पाकिस्तान के लिए कांटो की राह पर चलने सरीखा होगा, आर्मी चीफ ने क्रांति का जज्बा जगाया, लंबा भाषण भी सुनाया लेकिन कोई एक्शन प्लान नहीं बताया
क्या मुनीर के पास पाकिस्तान की कर्ज पर निर्भरता खत्म करने की योजना है? खुद को सेवियर दिखाने की कोशिश में तो नहीं लगी पाकिस्तान की सेना?
पाकिस्तान के सशस्त्र बलों के प्रमुख जनरल असीम मुनीर चाहते हैं कि सभी पाकिस्तानी भीख का कटोरा बाहर फेंक दें। उनका बयान तब आया है जब देश चीन के साथ नए ऋण पर बातचीत कर रहा है। हाल के सप्ताहों में, पाकिस्तान को आईएमएफ, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और चीन से ऋण प्राप्त हुआ है। पाकिस्तानी सेना के प्रमुख के बयान के मायने क्या हैं। क्या मुनीर के पास पाकिस्तान की कर्ज पर निर्भरता खत्म करने की योजना है? खुद को सेवियर दिखाने की कोशिश में तो नहीं लगी पाकिस्तान की सेना?
दुनियाभर के देशों से मदद मांगने में लगा पाकिस्तान
चीन ने पाकिस्तान के 2 बिलियन डॉलर से अधिक के कर्ज को 2 वर्षों की अवधि के लिए रीशेड्यूल करने पर सहमति व्यक्त की है, जिससे पैसों की किल्लत से जूझ रही पाकिस्तान की सरकार को थोड़ी राहत मिल सकती है। पिछले महीने ही आईएमएफ ने पाकिस्तान के लिए 3 अरब डॉलर के बेलआउट पैकेज को मंजूरी दे दी है। सऊदी अरब ने पाकिस्तान को 2 अरब डॉलर की वित्तीय सहायता भेजी। वहीं पाकिस्तान को अपना भंडार बढ़ाने के लिए संयुक्त अरब अमीरात से 1 बिलियन अमेरिकी की सहायता मिली। ऐसे में भीख का कटोरा फेंका पाकिस्तनियों के लिए कांटो भरा राह हो सकता है।
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भीख का कटोरा और पाकिस्तान कैसे बन गया एक दूसरे का पर्यायवाची
चीन पाकिस्तान का सबसे बड़ा द्विपक्षीय ऋणदाता है। चीन की तरफ से पाकिस्तान को मिलने वाला कर्ज देश के कुल विदेशी ऋण का 20 से 30 प्रतिशत है। यह पैसा पाकिस्तान फिलहाल वापस करने की हालात में नहीं है। पाकिस्तानी खजाना खाली है। ऐसे में पाकिस्तान की सरकार मदद का कटोरा लिए पुराने कर्ज के इंटरेस्ट को चुकाने के लिए नया लोन ले रही है। पिछले तीन महीनों में चीन ने पाकिस्तान को करीब 5 अरब डॉलर का कर्ज दिया है। पुनर्भुगतान स्थगित किए जाने से पाकिस्तान को बड़ी राहत मिली है। इस्लामाबद चीन के ऊपर अपनी निर्भरता बढ़ाता जा रहा है। देश खस्ताहाल स्थिति में है। लोन, इंटरेस्ट और उसके लिए एक और लोन वाले चक्रव्यूह में मुल्क फंसा हुआ है। पिछले साल ही प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने इसको लेकर बात करते हुए कहा था कि कैसे अब मित्र देश भी पाकिस्तान को एक भिखारी मुल्क के रूप में देखते हैं। देश की लचर अर्थव्यवस्था का जिक्र किया और कहा कि मित्र देश भी यह सोचते हैं कि हम भिखारी हैं। उन्होंने कहा, 'आज जब हम किसी मित्र देश में जाते हैं या उन्हें फोन करते हैं, तो उन्हें लगता है कि हम उनसे पैसे मांगने आए हैं। वैसे भीख का कटोरा शब्द पाकिस्तानी हुकूमत का पसंदीदा शब्द है। इससे पहले भी पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने एक कार्यक्रम में कहा था कि देश के लगभग एक तिहाई हिस्से को प्रभावित करने वाली विनाशकारी आपदा के बाद बाढ़ प्रभावित देश को 'भीख का कटोरा' लेकर समृद्ध, प्रदूषण फैलाने वाले देशों के समक्ष हाथ फैलाने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए। लेकिन शायद यह निराशाजनक प्रतिबिंब सेना प्रमुख को रास नहीं आ रहा है।
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भीख का कटोरा फेंक देना चाहिए
पाकिस्तान के आर्मी चीफ सैयद असिम मुनीर ने देश को विदेशी लोन पर निर्भरता खत्म कर आत्मनिर्भर बनने की अपील की है। जियो न्यूज के हवाले से यह बात कही गई है। सेना प्रमुख ने खानेवाल मॉडल कृषि फार्म के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि पाकिस्तान एक स्वाभिमानी, उत्साही और प्रतिभाशाली देश है। सभी देशवासियों को भीख का कटोरा फेंक देना चाहिए। सेना प्रमुख ने यह भी कहा कि अल्लाह ने पाकिस्तान को सभी आशीर्वादों से नवाजा है। दुनिया की कोई भी ताकत देश की प्रगति को रोक नहीं सकती है। जनरल मुनीर ने कहा कि देश मां की तरह होता है और लोगों और देश के बीच का रिश्ता प्यार और सम्मान का होता है। उन्होंने कहा कि सुरक्षा और अर्थव्यवस्था एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं और एक-दूसरे के लिए जरूरी हैं।
आतंक के अड्डों के अलावा भी पाकिस्तानी सेना चलाती है कई बिजनेस
यदि सेना प्रमुख के पास कोई रणनीति है तो उन्होंने इसे अभी तक साझा नहीं किया है। मॉडल कृषि फार्म का उद्घाटन करते नजर आए। आपको बता दें कि पाकिस्तानी सेना कई बिजनेस चलाती है। उनका मुख्य निर्यात भले ही आतंकवाद हो। लेकिन इससे इतर वो बेकरी से लेकर स्टड फार्म तक। लेकिन कृषि फार्म का उद्धाटन करते हुए सेना प्रमुख ने कहा कि पाकिस्तान में कृषि क्रांति आ रही है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में कृषि क्रांति जारी रहेगी और दुनिया की कोई भी ताकत हमें आगे बढ़ने से नहीं रोक सकती। वैसे ये बातें सुनने में तो बहुत अच्छी और उत्साहवर्धक लगती है। लेकिन इसकी असल तस्वीर क्या है?
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एग्रीकल्चर सेक्टर का योगदान अर्थव्यवस्था में लगातार हो रहा कम
पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था में कृषि का हिस्सा घट रहा है। 1960 में 42.2 प्रतिशत से घटकर अब ये साल 2022 तक 22.3 प्रतिशत हो गया है। कृषि कर्मचारियों में से लगभग 40 प्रतिशत पाकिस्तानी हैं। लेकिन उनमें से आधे से ज्यादा के पास जमीन नहीं है। जलवायु परिवर्तन भी उनकी मदद नहीं कर रहा है। पिछले साल उन्होंने बड़े पैमाने पर बाढ़ और नुकसान का सामना किया। इसलिए भले ही उनकी जैसी भी कृषि क्रांति हो, पाकिस्तान की आर्थिक समस्या से इससे राहत मिलती तो नजर नहीं आ रही है। हालांकि जनरल असीम मुनीर ने अपनी बात पर गौर करने की जहमत नहीं उठाई। वो इससे अपने घिसे-पिटे देशभक्ति वाले राग पर वापस लौट आए। उन्होंने कहा कि सुरक्षा और अर्थव्यवस्था एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं और एक-दूसरे के लिए जरूरी हैं।
खुद को पाक साफ दिखाने की कोशिश
जनरल मुनीर लोगों को ये दिखाना चाह रहे थे कि सेना उनके बेहतरी और देश के विकास के लिए काम कर रही है। उनके काम करने का तरीका लोगों द्वारा चुनी गई सरकार से भिन्न है जो सिर्फ भीख का कटोरा लिए घूमते हैं। सेना न केवल उनकी सुरक्षा के लिए बल्कि वो देश के लोगों को गौरवांवित करने के लिए भी प्रयासरत है। ये एक की स्याह तस्वीर दिखा खुद को पाक साफ दिखाने का पुराना फॉ़र्मूला है। पाकिस्तानी सेना का पुराना इतिहास रहा है। इसके साथ ही वो दुनिया की एकलौती ऐसी सेना है जिसने आज तक कोई युद्ध नहीं जीता है। आतंक की ट्रेनिंग कैप को चलाना, लोगों द्वारा चुनी सरकार का तख्तालपलट कर खुद सत्ता संभालना, पाकिस्तान के बजट का एक बड़ा हिस्सा खा जाना। ये वो चीजें हैं जिसे पाकिस्तान अफोर्ड तो नहीं कर सकता, फिर भी उसके पास कोई दूसरा ऑप्शन नहीं है।
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