Chai Par Sameeksha: Maharashtra में Mahayuti, Jharkhand में I.N.D.I.A., जनता ने क्या संदेश दिया है

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ANI
अंकित सिंह । Nov 25 2024 4:12PM

प्रभासाक्षी के संपादक नीरज दुबे ने कहा कि अब चुनावी मौसम में सिर्फ बयान देकर चुनाव नहीं जीते जा सकते। अब जनता के लिए काम करना होगा क्योंकि अब जनता हर नेता के कामकाज को तौसती हैं और उसी के हिसाब से वोट भी करती हैं।

प्रभासाक्षी के साप्ताहिक कार्यक्रम चाय पर समीक्षा में इस सप्ताह हमने झारखंड और महाराष्ट्र के चुनावी नतीजे पर चर्चा की। इस दौरान हमेशा की तरह हमारे साथ प्रभासाक्षी के संपादक नीरज कुमार दुबे मौजूद रहे। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि झारखंड और महाराष्ट्र में जो चुनावी नतीजे आए हैं, उससे राजनीतिक दलों को एक बड़ा संदेश गया है। यह साफ है कि अब जनता पूर्ण बहुमत की सरकार चाहती है। दोनों ही राज्यों में पहले अनुमान थे कि कांटे की टक्कर है। हालांकि, जब नतीजे आए तो झारखंड में इंडिया गठबंधन को तो महाराष्ट्र में महायुद्ध गठबंधन को जनता ने बंपर बहुमत से जिताया है। इसके साथ ही नीरज दुबे ने कहा कि जनता अब समझदार हो चुकी है। उन्हें सब पता है कि कौन कितना काम करता है।

नीरज दुबे ने कहा कि अब चुनावी मौसम में सिर्फ बयान देकर चुनाव नहीं जीते जा सकते। अब जनता के लिए काम करना होगा क्योंकि अब जनता हर नेता के कामकाज को तौसती हैं और उसी के हिसाब से वोट भी करती हैं। महाराष्ट्र को लेकर उन्होंने कहा कि आरएसएस और भाजपा ने एकजुट होकर यह चुनाव लड़ा है। एक है तो सेफ है और बटेंगे तो कटेंगे जैसे नारों ने भाजपा के लिए काम किया है। महाराष्ट्र को लेकर जितने भी फैसले हुए वह सारे अमित शाह के घर पर हुए और कहीं ना कहीं यह रणनीति भाजपा और महायुति गठबंधन के लिए काम कर गई। महायुति गठबंधन के भीतर समन्वय जबरदस्त तरीके से दिखाई दे रहा था। शिवसेना, एनसीपी और भाजपा ने पूरी मजबूती से मिलकर महाराष्ट्र में चुनाव लड़ा।

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नीरज दुबे ने कहा कि मीडिया पर चुनाव नहीं लड़े जाते। मीडिया में जिस तरीके से खबरें आ रही थी वह पूरी की पूरी गलत साबित हुई। मराठा आरक्षण को लेकर कई बातें किए जा रहे थे, वह भी गलत साबित हुए। महाराष्ट्र में भी विपक्ष ने जातिगत जनगणना और आरक्षण को मुद्दा बनाया था, उस पर भी जनता ने वोट के जरिए जवाब दे दिया। जनता कहीं से नहीं चाहती कि जो विकास कार्य हो रहे हैं, उसमें रुकावट आए। महाराष्ट्र की जनता ने शायद यही सोचकर वोट किया। महाराष्ट्र में कई परियोजनाएं लगातार चल रही थी। जनता को लग रहा था कि अगर हम विपक्ष को चुनते हैं तो केंद्र से लड़ाई करने में ही इनका सारा वक्त बीत जाएगा। विकास का काम नहीं हो पाएगा और जो कामकाज हो रहे हैं, उस पर भी ब्रेक लग सकता है।

झारखंड को लेकर नीरज दुबे ने कहा कि भाजपा को यह पहले से पता था कि रास्ते झारखंड में आसान नहीं है। यही कारण है कि भाजपा ने शिवराज सिंह चौहान और हिमंत बिस्वा सरमा जैसे दिग्गजों को वहां का प्रभार सौंपा था। उन्होंने कहा कि आदिवासियों को लगता है कि भाजपा से ज्यादा उनके लिए काम हेमंत सोरेन और झारखंड मुक्ति मोर्चा करेगी। भाजपा का फोकस झारखंड पर पूरी मजबूती के साथ था। हालांकि परिणाम उस तरीके से नहीं आए। नीरज दुबे ने कहा कि हो सकता है कि कहीं ना कहीं पार्टी के अंदर की गुटबाजी भाजपा के लिए नुकसानदेह साबित हो गई। पार्टी के बड़े नेता एकजुट नजर नहीं आ रहे थे। भाजपा वहां एग्रेसिव हिंदुत्व को लेकर चुनाव लड़ रही थी जो की पार्टी के लिए नुकसान कर गया। साथ ही साथ जनता ने यह भी बता दिया है कि झारखंड में उनके लिए काम कौन कर सकता है। बाबूलाल मरांडी जिस तरीके से भाजपा में वापसी की, उससे भी पार्टी नेताओं को कहीं ना कहीं बुरा लग रहा था।

उत्तर प्रदेश उपचुनाव के नतीजे को लेकर नीरज दुबे ने कहा कि योगी आदित्यनाथ के लिए यह अग्नि परीक्षा था जिसे उन्होंने बंपर मार्क्स से पास कर लिया है। योगी आदित्यनाथ ने इस बार पूरी की पूरी कमान अपने हाथ में रखी थी और इसका फायदा उनकी पार्टी को मिला है। साथ ही साथ जनता ने बता दिया कि हर बार एक तरह का एजेंडा काम नहीं करता है। अखिलेश यादव और राहुल गांधी को जो लोकसभा चुनाव में सफलता मिली थी, उसको बड़ा झटका लगा है। भाजपा यह बताने में कामयाब हुई है कि अभी भी उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार मजबूत है और योगी आदित्यनाथ पर वहां के लोगों को भरोसा है।

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