बच्चा पढ़ने में करता है आनाकानी, तो वास्तु के ये उपाय आएंगे काम
सबसे पहले बच्चे के पढ़ाई के लिए एक कमरा सुनिश्चित करें और ध्यान रखें कि वह कमरा जिसमें बच्चा स्टडी कर रहा है, वह उत्तर या पूर्व दिशा की तरफ हो। अगर इन दोनों दिशाओं में स्टडी रूम संभव नहीं है तो आप उत्तर पूर्व के कोने पर भी स्टडी रूम बना सकते हैं।
बच्चों के लिए पढ़ाई कितनी महत्वपूर्ण है, यह कोई बच्चा तब तक नहीं समझता, जब तक कि वह खुद बड़ा ना हो जाए। यही वजह है कि जब भी कोई बड़ा, बच्चों को पढ़ने के लिए कहता है, तो उन्हें यह बातें अच्छी नहीं लगती हैं।
हालांकि बच्चों के लिए नियमित पढ़ाई करना बहुत ही आवश्यक है, क्योंकि बचपन में ही उनके भविष्य की नींव तैयार होती है। शुरुआती समय में बच्चा अपनी पढ़ाई पर ध्यान नहीं देता है, तो यह देखा जाता है कि आगे चल कर भी पढ़ाई को लेकर वह लापरवाही बरतने लगता है।
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ऐसे में अगर आपका बच्चा पढ़ाई को लेकर ज्यादा लापरवाह हो गया है तो इसके पीछे तमाम कारण हो सकते हैं। लेकिन अगर वास्तु के अनुसार इसका उपाय करना चाहते हैं, तो यहां हम ऐसे नियमों को बताएँगे जिसको अपनाने के बाद आपके बच्चे का दिमाग पढ़ाई की तरफ लगने लगेगा।
आइये जानते हैं...
सबसे पहले बच्चे के पढ़ाई के लिए एक कमरा सुनिश्चित करें और ध्यान रखें कि वह कमरा जिसमें बच्चा स्टडी कर रहा है, वह उत्तर या पूर्व दिशा की तरफ हो। अगर इन दोनों दिशाओं में स्टडी रूम संभव नहीं है तो आप उत्तर पूर्व के कोने पर भी स्टडी रूम बना सकते हैं।
इसी क्रम में अगर कमरे में किताबों की अलमारी रखी गई है, तो यह भी ध्यान देने वाली बात है कि कमरे के उत्तर या पूर्व दिशा की दीवार पर ही किताबों की अलमारी लगानी चाहिए। उस वक्त जब बच्चा पढ़ाई कर रहा हो तो उसका मुंह दक्षिण दिशा की तरफ नहीं होना चाहिए। क्योंकि इस दिशा में मुंह करके बच्चा पढ़ाई करता है तो दिमाग में चंचलता बनी रहती है।
बच्चे के पढ़ाई वाले कमरे में मां सरस्वती की प्रतिमा या कैलेंडर अवश्य लगाएं। इससे बच्चों को सकारात्मक ऊर्जा मिलती है और उसका दिमाग पढ़ने में लगता है। आप चाहें तो बच्चे के कमरे में हंस की तस्वीर भी लगा सकते हैं, क्योंकि हंस माता सरस्वती का वाहन है और हंस को देखने के बाद सकारात्मक ऊर्जा मिलती है।
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यह भी जान लें कि बच्चा जिस टेबल पर बैठकर पढ़ाई कर रहा हो, तो आप कोशिश करें कि उसे आयताकार या चौकोर अथवा गोलाकार में बनवाएं। तिकोने आकार का टेबल कभी बच्चे को पढ़ने के लिए नहीं दें। वहीं यह भी ध्यान रखें कि बच्चे के पढ़ाई का टेबल और कुर्सियां टूटी हुई ना हों, क्योंकि इससे नकारात्मक ऊर्जा निकलती है और आपके बच्चों के लिए यह सही नहीं है।
पढ़ते हुए यह ध्यान रखें कि बच्चे का मुँह उत्तर दिशा की तरफ हो इससे बच्चे की बौद्धिक क्षमता विकसित होती है और उसका दिमाग पढ़ाई की तरफ लगता है।
अगर बच्चा पढ़ रहा हो और उसकी पीठ के पीछे खिड़की हो तो यह भी बेहद फायदेमंद होता है क्योंकि इससे बच्चे को एनर्जी मिलती है और उसका ध्यान नहीं भटकता है।
अगर स्टडी रूम के दीवारों के रंगों की बात करें तो आप पढ़ाई के कमरे को पीले या बैगनी रंग से रंगवा सकते हैं। इन दोनों रंगों से सकारात्मक ऊर्जा मिलती है। वही स्टडी रूम में प्रयोग की जाने वाली कुर्सी और टेबल के रंगों को हल्के रंग का ही रखने का प्रयास करें।
अगर बच्चे के कमरे में दर्पण या शीशा लगा हुआ है तो यह विशेष रुप से ध्यान दें कि शीशा ऐसी जगह पर ना लगे कि बच्चे का ध्यान बार-बार शीशे पर जाए या शीशे का प्रतिबिंब बच्चे की किताबों पर पड़े।
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सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि बच्चे का पढ़ाई का कमरा बहुत साफ और स्वच्छ होना चाहिए। इसके साथ ही बच्चों की किताबें और पढ़ाई का सामान व्यवस्थित ढंग से रखे होने चाहिए। क्योंकि फैली हुई चीजें बच्चों के दिमाग पर नकारात्मक असर डालती हैं और उनका ध्यान भंग होता है।
आप चाहे तो स्टडी रूम की दीवारों पर दौड़ते हुए घोड़े की तस्वीर और उगते हुए सूरज की तस्वीर भी लगा सकते हैं। इससे बच्चों को पॉजिटिव एनर्जी मिलती है और वह मन लगाकर पढ़ाई कर पाते हैं।
हालाँकि पढ़ना लिखना हर बच्चे की बौद्धिक क्षमता पर निर्भर करता है लेकिन माता-पिता को वस्तु के इन उपायों को आजमा कर अपने बच्चे के लिए एक सकारात्मक ऊर्जा का निर्माण अवश्य करना चाहिए।
- विंध्यवासिनी सिंह
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