कर्ज चुकाने के लिए चीन की डेडलाइन, क्या ड्रैगन के कब्जे में चला जाएगा पाकिस्तान?
अगस्त 2018 को जब इमरान खान ने प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली थी। उस वक्त इमरान ने नया पाकिस्तान बनाने का नारा दिया था। लेकिन पाकिस्तान आर्थिक तौर पर नियाजी इमरान के कार्यकाल में और कमजोर हुआ है। पाकिस्तान इस वक्त चौतरफा कर्ज में डूबा है।
पाकिस्तान में इमरान खान सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव खारिज होने के बाद से देश के सियासी घटनाक्रम में काफी तेजी से बदलाव आया है। इमरान खान ने इसके तुरंत बाद ही संसद भंग किए जाने की मांग की और राष्ट्रपति ने इसको लेकर अपनी सहमति भी जता दी। जिसके बाद से ही विपक्ष का हंगामा जारी है। पूरा मामला अब सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे तक पहुंच चुका है। मामले को लेकर सुनवाई कल तक के लिए टल गई है। कल कोर्ट की तरफ से इस पर कोई फैसला हो सकता है। पाकिस्तान में राजनीतिक अस्थिरता के साथ ही आर्थिक तंगी भी रिकॉर्ड स्तर पर है। जिससे बाहर निकलने के बारे में पाकिस्तान सोच रहा है। पाकिस्तान की गद्दी पर इमरान खान रहे या न रहे। फिलहाल पाकिस्तान की मुश्किलें कम होती नहीं दिख रही हैं।
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अगस्त 2018 को जब इमरान खान ने प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली थी। उस वक्त इमरान ने नया पाकिस्तान बनाने का नारा दिया था। लेकिन पाकिस्तान आर्थिक तौर पर नियाजी इमरान के कार्यकाल में और कमजोर हुआ है। पाकिस्तान इस वक्त चौतरफा कर्ज में डूबा है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के मुताबिक पाकिस्तान पर विदेशी कर्ज बढ़कर 90 अरब डॉलर को पार कर गया है। पाकिस्तान पर जितना कर्ज है उसमें से केवल चीन का हिस्सा 20 फीसदी है। यानी करीब 18 अरब डॉलर का चीन का कर्ज पाकिस्तान पर है।
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इमरान सरकार के कार्यकाल में पाकिस्तान पर चीन का प्रभाव काफी तेजी से बढ़ा है। ग्वादर में चीन नया शहर बना रहा है। पाकिस्तान का सीपैक चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव का अहम हिस्सा है। कर्ज के जाल में इमरान सरकार सबसे ज्यादा उलझी है। इस बीच पाकिस्तान को तगड़ा झटका देते हुए चीन ने लाहौर औरेंड लाइन परियोजना से जुड़ा 55.6 मिलियन डॉलर का बकाया मांगा है। इस रकम को नवंबर 2023 तक इस्लामाबाद को अदा करने के लिए कहा गया है। स्थानीय मीडिया के अनुसार मार्च तक पाकिस्तान को 45.3 मिलियन और इस साल के अंत तक 10.3 मिलियन डॉलर की शेष बकाया राशि चुकता करनी होगी। पाकिस्तान ने कर्ज चुकाने के लिए नया कर्ज ले लिया है। जिससे ये कर्ज का बोझ और बढ़ गया है। इमरान खान की संभावित हार और नेतृत्व परिवर्तन की खबरों के बीच
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