प्रिय मित्र मोदी से मिलने भारत आने से पहले मैक्रों ने ले लिया ऐसा कौन सा खतरनाक फैसला, डरे करोड़ों मुस्लिम

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अभिनय आकाश । Jan 18 2024 7:32PM

फ्रांस ने 2024 में विदेशी फंडिंग पाने वाले इमामों के प्रवेश पर रोक लगा दी है। यानी मस्जिद के जिन इमामों को विदेश से फंडिंग मिल रही है वो अब फ्रांस नहीं जा पाएंगे।

इस वर्ष गणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथि के रूप में फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों भारत आ रहे हैं। न्यौता मिलते ही इमैनुएल मैक्रों ने कहा था कि मेरे प्रिय मित्र प्रधानमंत्री मोदी निमंत्रण के लिए धन्यवाद। लेकिन भारत आने से ठीक पहले इमैनुएल मैक्रों ने ऐसा फैसला ले लिया है जो शायद दुनिया के करोड़ो मुस्लिमों को पसंद नहीं आएगा। अब तो मांग उठने लगी है कि जो फैसला फ्रांस ने लिया है। वैसा ही फैसला भारत को भी लेना चाहिए। दरअसल, फ्रांस ने 2024 में विदेशी फंडिंग पाने वाले इमामों के प्रवेश पर रोक लगा दी है। यानी मस्जिद के जिन इमामों को विदेश से फंडिंग मिल रही है वो अब फ्रांस नहीं जा पाएंगे। 

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फ़्रांस के आंतरिक मंत्री डारमैनिन ने लगभग 300 विदेशी इमामों, मुख्य रूप से अल्जीरिया, तुर्की और मोरक्को से भुगतान करके फ़्रांस में प्रवेश करने पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा कर दी है। फ्रांस की तरफ से उठाई गई ये नीति कट्टरपंथी इस्लामी चरमपंथ से निपटने के लिए राष्ट्रपति मैक्रों के 2020 के उपायों का हिस्सा है। इसका उद्देश्य विदेशी प्रभाव और फंडिंग को प्रतिबंधित करते हुए स्थानीय रूप से प्रशिक्षित इमामों को बढ़ावा देना है। मौजूदा विदेशी इमामों को 'रमजान के इमाम' समूह को छोड़कर, फ्रांसीसी मुस्लिम संघों द्वारा भुगतान किया जाना चाहिए। फ़ोरम डी ल'इस्लाम डी फ़्रांस (फ़ोरिफ़) के निर्माण को मुस्लिम प्रतिनिधित्व की कमी के कारण आलोचना का सामना करना पड़ता है।

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मैक्रों फ्रांस में इस्लाम के सिद्धांतों के चार्टर पर सहमति हासिल करने की चुनौतियों से जूझ रहे हैं और कट्टरपंथी मस्जिदों को बंद करने के प्रयासों में तनाव का सामना कर रहे हैं। हसन इक्यूसेन जैसे विदेशी कट्टरपंथी इमामों के निर्वासन के प्रयास, मुक्त भाषण, धर्मनिरपेक्षता और उग्रवाद से निपटने में फ्रांस के सामने आने वाली चुनौतियों को उजागर करते हैं। फ्रांस के इस फैसले से करोड़ो मुस्लिम डर गए हैं। माना जा रहा है कि बाकी यूरोपीय देश भी फ्रांस के फैसले की नकल कर सकते हैं। 

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