उद्योग ने विकास को बढ़ावा देने के लिए लेदर पार्क योजना की मांग की

Indian Leather Industry

चमड़ा निर्यात परिषद (सीएलई) के अध्यक्ष संजय लीखा ने कहा ‘‘एक लेदर पार्क योजना आवश्यक प्रोत्साहन प्रदान कर सकती है। इसलिए, चमड़ा क्षेत्र को टेक्सटाइल पार्कों के लिए घोषित योजना की तर्ज पर चमड़ा पार्क योजना में शामिल किया जा सकता है, क्योंकि कपड़ा और चमड़ा उद्योग के बीच पर्याप्त समानता है।’’

नयी दिल्ली| चमड़ा निर्यात परिषद (सीएलई) ने शनिवार को सरकार से उत्पादन बढ़ाने के लिए एक लेदर पार्क योजना लाने का आग्रह किया। परिषद को यह उम्मीद है कि कई बड़े ब्रांड और निर्माता, भारत से इसकी खरीद बढ़ा सकते हैं।

सीएलई के अध्यक्ष संजय लीखा ने यह भी कहा कि उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (पीएलआई) का लाभ चमड़ा क्षेत्र को भी दिया जाना चाहिए। उन्होंने एक में कहा बयान में कहा, ‘‘एक लेदर पार्क योजना आवश्यक प्रोत्साहन प्रदान कर सकती है। इसलिए, चमड़ा क्षेत्र को टेक्सटाइल पार्कों के लिए घोषित योजना की तर्ज पर चमड़ा पार्क योजना में शामिल किया जा सकता है, क्योंकि कपड़ा और चमड़ा उद्योग के बीच पर्याप्त समानता है।’’

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निर्यात बढ़ाने के लिए, अध्यक्ष ने ‘वेट ब्ल्यू,’ ‘क्रस्ट’ और तैयार चमड़े पर मूल सीमा शुल्क छूट को बहाल करने का भी अनुरोध किया। उन्होंने कहा, ‘‘उद्योग की निर्यात प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिए अतिरिक्त कार्यशील पूंजी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए, कम ब्याज दरों और लचीले पुनर्भुगतान विकल्पों के साथ अतिरिक्त ऋण दिये जाने पर विचार करना चाहिये।’’

वह एक कार्यक्रम में बोल रहे थे, जहां वाणिज्य और उद्योग राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने कानपुर में चमड़ा क्षेत्र के लिए अंतर्राष्ट्रीय परीक्षण प्रयोगशाला का शिलान्यास किया, जिसका उद्देश्य विदेशी खरीदारों की शर्तों के अनुसार निर्यात उत्पादों की परीक्षण आवश्यकताओं में मदद करना है।

परिषद ने कहा कि मंत्री ने चमड़ा उद्योग की चिंताओ के निवारण और उसे सभी प्रकार का समर्थन देने का आश्वासन दिया। कानपुर देश में औद्योगिक सुरक्षा जूते, काठी और हार्नेस वस्तुओं का सबसे बड़ा विनिर्माण केंद्र है और यह तैयार चमड़े और मूल्य वर्धित उत्पादों और जूते का एक प्रमुख उत्पादन केंद्र भी है।

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डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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