90-hour workweek: अमिताभ कांत का आया बयान, कहा मैं कड़ी मेहनत करता हूं...

कड़ी मेहनत करने का अर्थ ये नहीं है कि लोगों के पास काम-जीवन का संतुलन नहीं होगा। उन्होंने उल्लेख किया कि दुनिया में बहुत कम देश कड़ी मेहनत किए बिना लगभग 9 से 10 प्रतिशत सालाना की दर से विकास करने में सक्षम हैं।
भारत के जी-20 शेरपा और नीति आयोग के पूर्व सीईओ अमिताभ कांत ने एक ऐसी अहम चर्चा पर बयान दिया है जो सुर्खियों में बनी हुई है। अमिताभ कांत ने एलएंडटी के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक एसएन सुब्रह्मण्यन की 90 घंटे के कार्य सप्ताह के बयान पर टिप्पणी व्यक्त की है।
अमिताभ कांत ने जो कहा है वो कई उद्योगपतियों से काफी अलग है। अमिताभ कांत ने एलएंडटी के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक एसएन सुब्रह्मण्यन की 90 घंटे के कार्य सप्ताह की राय का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2047 तक अगर भारत को एक विकसित राष्ट्र बनना है तो इसके लिए कड़ी मेहनत करनी होगी। उन्होंने कहा कि मैं मेहनत करता हूं। मैं कड़ी मेहनत में विश्वास भी रखता हूं। मेरा मानना है कि भारत को अगर 2047 तक विकसित राष्ट्र बनना है तो कड़ी मेहनत करनी होगी।
उन्होंने अपनी बात का समर्थन करने के लिए जापान, कोरिया और चीन जैसे अन्य देशों के उदाहरण भी दिए। उन्होंने कहा कि अगर भारत "मध्यम आय वर्ग" की स्थिति से बाहर निकलना चाहता है तो स्पष्ट परिणाम के लिए उन्हें कड़ी मेहनत करनी होगी। उन्होंने कहा कि दूसरे विश्व युद्ध के बाद जापान की तरह वो भी कड़ी मेहनत कर रहे थे। कोरिया जब आगे बढ़ा तब उसने भी मेहनत की थी। चीन में कई दशकों की लगातार कड़ी मेहनत की है। भारत को भी कड़ी मेहनत करने की जरुरत है ताकि देश को अच्छे परिणाम मिल सके।
उन्होंने ये भी कहा कि कड़ी मेहनत करने का अर्थ ये नहीं है कि लोगों के पास काम-जीवन का संतुलन नहीं होगा। उन्होंने उल्लेख किया कि दुनिया में बहुत कम देश कड़ी मेहनत किए बिना लगभग 9 से 10 प्रतिशत सालाना की दर से विकास करने में सक्षम हैं।
कांत ने कहा, "कड़ी मेहनत करने का मतलब यह नहीं है कि आपके पास काम और जीवन के बीच संतुलन नहीं होगा। सभी भारतीयों को यह बात अच्छी तरह समझनी चाहिए कि बहुत कम देश बिना कड़ी मेहनत किए हर साल 9 से 10 प्रतिशत की दर से विकास कर पाते हैं।"
अन्य न्यूज़