पुत्र की दीर्घायु के लिए रखा जाता है हलषष्ठी व्रत, जानें तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजन विधि
हिंदी पंचांग के अनुसार हर साल भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को हलषष्ठी मनाई जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम का जन्म हुआ था। इस साल हलषष्ठी का पर्व 28 अगस्त (शनिवार) को पड़ रही है।
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर्व में अब कुछ ही दिन बाकी हैं। लेकिन इससे पहले हलषष्ठी का पर्व मनाया जाएगा। हिंदी पंचांग के अनुसार हर साल भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को हलषष्ठी मनाई जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम का जन्म हुआ था। इसे बलराम जयंती, हल छठ, पीन्नी छठ या खमर छठ के नाम से भी जाना जाता है। इस साल हलषष्ठी का पर्व 28 अगस्त (शनिवार) को पड़ रही है। इस दिन माताएं अपनी संतान की लंबी आयु और खुशहाल जीवन की कामना के लिए व्रत रखती हैं। आइये जानें बलराम जयंती या हलषष्ठी व्रत पूजा के लिए शुभ समय, पूजा विधि और महत्व:-
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हलषष्ठी व्रत का शुभ मुहूर्त
षष्ठी तिथि प्रारंभ - 27 अगस्त 2021 (शुक्रवार) को शाम 06 बजकर 50 मिनट पर
षष्ठी तिथि समाप्त - 28 अगस्त 2021 (शनिवार) को रात 8 बजकर 55 मिनट तक
हलषष्ठी व्रत पूजन विधि
इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद साफ वस्त्र धारण करें।
हलषष्ठी के दिन निराहार व्रत रखें और शाम के समय पूजा के बाद फलाहार लें।
इस दिन घर या बाहर कहीं भी दीवार पर भैंस के गोबर से छठ माता का चित्र बनाएं।
उसके बाद गणेश जी और माता गौरा की पूजा करें।
इस दिन महिलाएं घर में ही तालाब बनाकर, उसमें झरबेरी, पलाश और कांसी के पेड़ लगाती हैं और वहां पर बैठकर पूजा अर्चना करती हैं।
पूजा करने के बाद हलषष्ठी की कथा सुनें।
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हलषष्ठी व्रत में हल से जोता हुआ अनाज और सब्जियों का इस्तेमाल नहीं किया जाता। इस व्रत में तालाब में पैदा हुई चीज़ें जैसे तिन्नी का चावल, केर्मुआ का साग, पसही के चावल आदि। इस व्रत में गाय के दूध या दही आदि का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। हलषष्ठी व्रत में भैंस का दूध, दही और घी का प्रयोग किया जाता है।
- प्रिया मिश्रा
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