श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर कई वर्षों बाद बन रहा है यह दुर्लभ संयोग

Krishna Janmashtami
अनीष व्यास । Aug 25 2021 5:34PM

श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर बन रहे दुर्लभ संयोग में पूजन का विशेष महत्व है। निर्णय सिंधु नामक ग्रंथ के अनुसार ऐसा संयोग जब जन्माष्टमी पर बनता है, तो इस खास मौके को ऐसे ही गवाना नहीं चाहिए। अगर आप इस तरह के संयोग में व्रत करते हैं तो 3 जन्मों के जाने-अनजाने हुए पापों से मुक्ति मिलती है।

हिन्दू धर्म में हर साल श्री कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस वर्ष श्री कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व सोमवार 30 अगस्त 2021 को है। इस वर्ष कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर कई वर्षों के बाद ऐसा संयोग बना है जो बहुत ही दुर्लभ है। श्रीमद्भागवत पुराण के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्र कृष्ण अष्टमी तिथि, बुधवार, रोहिणी नक्षत्र एवं वृष राशि में मध्य रात्रि में हुआ था। शास्त्रों में कहा गया है कि श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर 6 तत्वों का एक साथ मिलना बहुत ही दुर्लभ होता है। यह 6 तत्व हैं भाद्र कृष्ण पक्ष, अर्धरात्रि कालीन अष्टमी तिथि, रोहिणी नक्षत्र, वृष राशि में चंद्रमा, इनके साथ सोमवार या बुधवार का होना। ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि यह सभी इस बार श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर रहेंगे। इसके साथ ही जन्माष्टमी पर सर्वार्थसिद्धि योग भी रहेगा। इस बार ऐसा संयोग बना है कि यह सभी तत्व 30 अगस्त को मौजूद रहेंगे। इस दिन सोमवार है, सुबह से अष्टमी तिथि व्याप्त है, रात में 2 बजकर 2 मिनट तक अष्टमी तिथि व्याप्त है जिससे इसी रात नवमी तिथि भी लग जा रही है। चंद्रमा वृष राशि में मौजूद है। इन सभी संयोगों के साथ रोहिणी नक्षत्र भी 30 अगस्त को मौजूद है। ऐसे में इन संयोगों को लेकर धार्मिक विषयों के जानकार इस बार जन्माष्टमी को बहुत ही उत्तम मान रहे हैं।

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6 तत्वों से मिलकर बनेगा खास संयोग

ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि इस वर्ष श्री कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व 30 अगस्त 2021 को है। शास्त्र के अनुसार यह समय बेहद ही खास रहने वाला है क्योंकि इस अवसर पर 6 तत्वों का एक साथ मिलना बहुत ही दुर्लभ होता है, इन 6 तत्वों की अगर बात करें तो यह भाद्र कृष्ण पक्ष, अर्धरात्रि कालीन अष्टमी तिथि, रोहिणी नक्षत्र, वृष राशि में चंद्रमा, इनके साथ सोमवार या बुधवार का होना। इस तरह से भी सारे तत्व 30 अगसत को मौजूद रहेंगे। सोमवार के दिन अष्टमी होने की वजह से सुबह से ही अष्टमी तिथि व्याप्त रहने वाली है, रात में 12:14 बजे तक अष्टमी तिथि व्याप्त रहेगी। इस रात को नवमी तिथि भी लग रही है। चंद्रमा की स्थिति पर अगर नजर डालें तो यह वृष राशि में मौजूद है। इन सभी संयोग की वजह से इस बार की अष्टमी बहुत ही खास रहने वाली है।

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व्रत करने से मिलेगी पाप-कष्टों से मिलती है मुक्ति 

कुण्डली विश्ल़ेषक अनीष व्यास ने बताया कि श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर बन रहे दुर्लभ संयोग में पूजन का विशेष महत्व है। निर्णय सिंधु नामक ग्रंथ के अनुसार ऐसा संयोग जब जन्माष्टमी पर बनता है, तो इस खास मौके को ऐसे ही गवाना नहीं चाहिए। अगर आप इस तरह के संयोग में व्रत करते हैं तो 3 जन्मों के जाने-अनजाने हुए पापों से मुक्ति मिलती है। मान्यता है कि इस तिथि और संयोग में भगवान कृष्ण का पूजन करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। व्यक्ति को भगवत कृपा की प्राप्ति होती है। जो लोग कई जन्मों से प्रेत योनि में भटक रहे हो इस तिथि में उनके लिए पूजन करने से उन्हे मुक्ति मिल जाती है। इस संयोग में भगवान कृष्ण के पूजन से सिद्धि की प्राप्ति होगी तथा सभी कष्टों से मुक्ति मिलेगी।

जन्माष्टमी व्रत करना रहेगा खास

भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक अनीष व्यास ने बताया कि अगर आप भी इस श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर व्रत रखकर फायदे लेना चाहते हैं तो इस अवसर को हाथ से जाने न दें। जो लोग श्री कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत आरंभ करना चाह रहे हैं, उनके लिए इस वर्ष व्रत आरंभ करना बहुत ही उत्तम रहेगा। जो लोग पहले से श्री कृष्ण जन्माष्टमी व्रत कर रहे हैं उनके लिए भी इस बार श्री कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत अति उत्तम रहेगा। स्मार्त और वैष्णव दोनों के लिए 30 अगस्त का दिन ही कृष्ण जन्माष्टमी व्रत के लिए उत्तम रहेगा।

- अनीष व्यास

भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक 

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