पीएम की सुरक्षा में चूक के बाद कहीं विधानसभा चुनाव में जीत से ना चूक जाए कांग्रेस
प्रधानमंत्री की सुरक्षा में हुई चूक के सवालों पर ही जवाब देते हुए नीरज दुबे ने यह भी कहा कि अब तो मामला सुप्रीम कोर्ट में है और जिस तरीके से एनआईए को इसमें जांच में शामिल करने को कहा गया है, वाकई इसके तार आतंकवाद से भी जोड़कर देखे जाएंगे।
पंजाब में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा में हुई चूक का मामला इस सप्ताह पूरा गर्म रहा। प्रधानमंत्री की सुरक्षा में हुई चूक को लेकर पंजाब की कांग्रेस सरकार को जमकर आलोचनाओं का सामना करना पड़ा। भाजपा लगातार कांग्रेस आलाकमान पर भी हमलावर है। लेकिन सबसे बड़ा सवाल तो यही उठता है कि आखिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सुरक्षा में इतनी बड़ी चूक क्यों हो गई। प्रभासाक्षी के सप्ताहिक कार्यक्रम चाय पर समीक्षा में भी हमने इसी को लेकर चर्चा की। हमेशा की तरह प्रभासाक्षी के खास कार्यक्रम चाय पर समीक्षा में संपादक नीरज कुमार दुबे मौजूद रहे। प्रधानमंत्री मोदी की सुरक्षा में हुई चूक को लेकर नीरज दुबे ने साफ तौर पर कहा कि कहीं ना कहीं पंजाब सरकार और स्थानीय पुलिस की लापरवाही साफ तौर पर इसमें दिखाई पड़ रही है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री की सुरक्षा में हुई चूक को लेकर जितने भी सवाल उठ रहे हैं उसमें सबसे ज्यादा जवाबदेही पंजाब सरकार की ही है।
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नीरज दुबे ने इस बात को स्वीकार किया कि वर्तमान में देखे तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सिर्फ भारत के ही प्रधानमंत्री नहीं बल्कि एक वैश्विक नेता के तौर पर उभर चुके हैं। भारत के प्रधानमंत्री की सुरक्षा में हुई चूक को लेकर जिस तरह से कांग्रेस के कुछ नेताओं ने अपनी प्रतिक्रिया दी है उससे तो यही लगता है कि उनके मन में फिलहाल इस संवैधानिक संस्थान का कोई महत्व नहीं रह गया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस को यह समझना चाहिए कि आप मोदी से नफरत कर सकते हैं परंतु प्रधानमंत्री की गरिमा का ख्याल रखना आपकी भी उतनी ही जिम्मेदारी है जितनी एक बीजेपी समर्थक की है क्योंकि वह देश के प्रधानमंत्री हैं और देश में हम सभी रहते हैं। दुबे ने इस बात को भी रखा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में भारत में फिलहाल स्थिर सरकार है। भारत अस्थिरता के दौर से बाहर निकल चुका है और हम फैसलों पर भी देखें तो ऐसा लगता है कि काफी मजबूत सरकार देश में है।
प्रधानमंत्री की सुरक्षा में हुई चूक के सवालों पर ही जवाब देते हुए नीरज दुबे ने यह भी कहा कि अब तो मामला सुप्रीम कोर्ट में है और जिस तरीके से एनआईए को इसमें जांच में शामिल करने को कहा गया है, वाकई इसके तार आतंकवाद से भी जोड़कर देखे जाएंगे। क्योंकि जिस जगह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ क्या घटना हुई है वहां से पाकिस्तान कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर है। दुबे ने कहा कि प्रधानमंत्री की सुरक्षा में चूक के मामले पर राजनीति करने की बजाय इस गंभीर खामी के कारणों की निष्पक्ष जाँच किये जाने की जरूरत है। यदि भारत के प्रधानमंत्री ही असुरक्षित हो जायेंगे तो देश की सुरक्षा पर सवाल उठना लाजिमी है। पंजाब सरकार ने मामले की जाँच के लिए जिस उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया है आखिर वह क्या निष्कर्ष निकालेगी जब मुख्यमंत्री पहले ही ऐलान कर चुके हैं कि प्रधानमंत्री की सुरक्षा में कोई चूक नहीं हुई है।
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शीर्ष अदालत का उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल को प्रधानमंत्री दौर के सुरक्षा इंतजाम से जुड़े रिकॉर्ड हासिल करने का निर्देश
उच्चतम न्यायालय ने पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल को पंजाब सरकार, राज्य की पुलिस तथा केन्द्रीय एजेंसियों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हालिया पंजाब दौरे से जुड़े सुरक्षा इंतजामों से संबंधित रिकॉर्ड ‘‘तत्काल’’ हासिल करने का निर्देश दिया। प्रधान न्यायाधीश एनवी रमण, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने पंजाब और केन्द्र सरकार की ओर से पेश अधिवक्ताओं से कहा कि प्रधानमंत्री के दौरे पर हुई चूक की जांच के लिए गठित समितियों से कहें कि वे ‘‘सोमवार तक कोई कार्रवाई ना करे’’। इस मामले में सोमवार को आगे सुनवाई की जाएगी। पीठ ने कहा कि दोनों पक्षों के वकीलों की बात सुन ली है। दलील पर गौर करने के बाद, यह ध्यान में रखते हुए कि यह प्रधानमंत्री की सुरक्षा और अन्य मुद्दों से संबंधित है...सबसे पहले, हमें पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल को संबंधित रिकॉर्ड तत्काल हासिल करने का निर्देश देना उचित प्रतीत होता है। पीठ ने पंजाब सरकार, राज्य की पुलिस, अन्य केन्द्रीय एजेंसियों तथा राज्य एजेंसियों को सहयोग करने और सम्पूर्ण प्रासंगिक रिकॉर्ड तुरंत रजिस्ट्रार जनरल को उपलब्ध कराने का भी निर्देश दिया। पीठ इस मामले में अब 10 जनवरी को आगे सुनवाई करेगी। शीर्ष अदालत ‘लॉयर्स वॉइस’ की उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा में चूक की गहन जांच और भविष्य में इसकी पुनरावृत्ति ना हो, यह सुनिश्चित करने का अनुरोध किया गया है।
इसके साथ ही निर्वाचन आयोग ने भले पाँच राज्यों में Assembly Elections 2022 की तारीखों का ऐलान कर दिया है लेकिन उसको यह ध्यान रखना होगा कि इस बार सिर्फ स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव ही उसकी जिम्मेदारी नहीं है। Covid Protocols का अक्षरशः पालन कराना और मतदान केंद्रों पर सभी कोविड-रोधी सुरक्षात्मक उपाय सुनिश्चित कराने पर भी ध्यान देना होगा।
चुनाव आयोग ने 15 जनवरी तक जनसभाओं और रोडशो पर रोक लगाई
निर्वाचन आयोग ने देश में कोविड-19 महामारी की स्थिति को देखते हुए पांच राज्यों में होने जा रहे विधानसभा चुनावों के दौरान आगामी 15 जनवरी तक जनसभाओं, साइकिल एवं बाइक रैली और पदयात्राओं पर रोक लगा दी है। मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि 15 जनवरी के बाद स्थिति का जायजा लेने के उपरांत आयोग आगे का निर्णय लेगा। उन्होंने कहा कि आयोग ने फैसला किया है कि 15 जनवरी तक लोगों की शारीरिक रूप से मौजूदगी वाली कोई जनसभा (फिजिकल रैली), पदयात्रा, साइकिल रैली, बाइक रैली रोडशो की अनुमति नहीं होगी...आगे चुनाव आयोग कोविड महामारी की स्थिति की समीक्षा करेगा और इसके मुताबिक निर्देश जारी करेगा।
- अंकित सिंह
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