चुनाव नियमों में सरकार ने अब कर दिया कौन सा बड़ा बदलाव, भड़क गया विपक्ष, क्या इससे कोई गड़बड़ी होने की आशंका है?

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अभिनय आकाश । Dec 23 2024 3:53PM

आखिर चुनाव आयोग ने किन नियमों को बदला है और अब किन दस्तावेजों को सार्वजनिक निरीक्षण के लिए नहीं रखा जाएगा? क्या इससे कोई गड़बड़ी होने की आशंका हो सकती है। अभी हाल ही में पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट का फैसला आया था। वो क्या है?

केंद्र सरकार ने इलेक्शन रुल्स में कुछ बदलाव किए हैं। इसको लेकर विपक्ष और कांग्रेस इसका कड़ा विरोध कर रही हैं। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कुछ इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेजों के सार्वजनिक निरीक्षण को रोकने के लिए चुनाव नियम में बदलाव करने को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। केंद्र सरकार के इस फैसले के बाद मामले में कई सवाल उठने लगे हैं। मसलन- आखिर चुनाव आयोग ने किन नियमों को बदला है और अब किन दस्तावेजों को सार्वजनिक निरीक्षण के लिए नहीं रखा जाएगा? क्या इससे कोई गड़बड़ी होने की आशंका हो सकती है। अभी हाल ही में पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट का फैसला आया था। वो क्या है?

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केंद्र सरकार ने चुनाव से जुड़े नियम 

आपको तो ये पता ही है कि हमारे देश में चुनाव कराए जाते हैं तो उससे जुड़े कुछ नियम और प्रावधान हैं। अगर कोई आम नागरिक या फिर किसी उम्मीदवार को किसी भी प्रकार की कोई जरूरत है, चुनाव से संबंधित कोई कागजात चाहिए तो नियम के अनुसार वो पेपर ले सकता है। लेकिन अब केंद्र सरकार ने कहा है कि हम इलेक्शन रुल्स के अंदर कुछ बदलाव कर रहे हैं। पोल डॉक्य़ूमेंट जो लोग मांग रहे थे उसको थोड़ा रिस्ट्रिक्ट किया जाए। पहले किसी भी तरह की पाबंदी नहीं थी। चुनाव से संबंधित कोई भी कागज दे दिया जाता था। लेकिन मिनिस्ट्री ऑफ लॉ एंड जस्टिस ने एक नोटिफिकेशन जारी किया। इसके तहत कहा गया कि अब नियमों के अंदर बदलाव किया जा रहा है। 

बदलाव है क्या

1961 का कंडक्ट ऑफ इलेक्शन रुल्स है उसके अंदर 93 (2) (ए) में लिखा है कि इलेक्शन से जुड़े जितने भी पेपर हैं, उदाहरण के लिए फार्म 17 सी या फिर अन्य कोई भी कागजात चाहिए वो चुनाव आयोग मुहैया कराएगी। आम नागरिक से लेकर उम्मीदवारों तक को ये दिए जाने का प्रावधान था। लेकिन अब सरकार ने ये कह दिया कि अब कुछ ही चीजें जो स्पेसीफाई की गई हैं वो दी जाएंगी। अगर मान लीजिए उम्मीदवार ने सीसीटीवी की रिकॉर्डिंग मांग ली तो उसे नहीं दी जाएगी। ये रुल्स में बदलाव किया गया है। इसको लेकर हमारे देश की सभी अदालतें भी सरकार या चुनाव आयोग से ये चीजें देने को नहीं कह सकती। 

कहां से शुरू हुआ मामला?

 इसकी शुरूआत एडवोकेट महमूद प्राचा के उस मामले से शुरू हुई, जिसमें उनकी याचिका पर पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने नौ दिसंबर को चुनाव आयोग को हरियाणा विधानसभा चुनाव के दौरान एक पोलिंग बूथ की विडियोग्राफी, सीसीटीवी फुटेज और वोटों से जुड़े दस्तावेजों की कॉपी वकील प्राचा को देने का आदेश दिया था। इसके बाद ही चुनाव आयोग की सिफारिश पर कानून मंत्रालय ने नियमों में यह बदलाव किए गए। पुराने नियमों में नियम 93 (2) (ए) का हवाला देकर 17 (सी) के तहत इलेक्ट्रॉनिक डेटा भी मांगा जा रहा था। इसका पुराने नियमों में कोई स्पष्ट रूप से जिक्र नहीं है, क्योंकि उस वक्त मतदान केंद्रों पर सीसीटीवी कैमरों, वेबकास्टिंग और विडियोग्राफी करने जैसा कोई प्रावधान नहीं था।

कैसे संशोधित हुआ नियम

चुनाव संचालन नियमों के नियम 93 में कहा गया है कि चुनाव से संबंधित सभी "कागजात" सार्वजनिक निरीक्षण के लिए खुले होंगे। सरकार ने सार्वजनिक निरीक्षण के लिए खुले "कागजात" या दस्तावेजों के प्रकार को प्रतिबंधित करने के लिए नियम 93(2)(ए) में संशोधन किया। संशोधन में कागजात के बाद इन नियमों में निर्दिष्ट वाक्यांश डाला गया। रिपोर्टों के अनुसार, सीसीटीवी कैमरों और वेबकास्टिंग फुटेज के साथ-साथ उम्मीदवारों की वीडियो रिकॉर्डिंग जैसे कुछ इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेजों के सार्वजनिक निरीक्षण को रोकने के लिए नियम में बदलाव किया गया था। 

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नियम में बदलाव क्यों किया गया

सरकार स्पष्ट करती है कि संशोधन का उद्देश्य इन दस्तावेजों के संभावित दुरुपयोग को रोकना था। चुनाव आयोग के एक अधिकारी ने बताया कि ऐसे उदाहरण हैं जहां नियमों का हवाला देते हुए ऐसे इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड मांगे गए हैं। संशोधन यह सुनिश्चित करता है कि केवल नियमों में उल्लिखित कागजात ही सार्वजनिक निरीक्षण के लिए उपलब्ध हैं और कोई भी अन्य दस्तावेज जिसका नियमों में कोई संदर्भ नहीं है, उसे सार्वजनिक निरीक्षण के लिए अनुमति नहीं है। चुनाव आयोग के अधिकारियों के अनुसार, मतदान केंद्रों के अंदर के सीसीटीवी कैमरे के फुटेज का दुरुपयोग मतदाता गोपनीयता से समझौता कर सकता है। साथ ही, ऐसी भी संभावना है कि इस फ़ुटेज का उपयोग एआई तकनीक का उपयोग करके नकली कथाएँ बनाने के लिए किया जा सकता है। कानून मंत्रालय के अनुसार, सभी चुनाव पत्र और दस्तावेज़ अभी भी सार्वजनिक निरीक्षण के लिए उपलब्ध थे।

कांग्रेस ने पारदर्शिता पर सवाल उठाया

नए संशोधित नियमों में कही से भी पारदर्शिता में कमी नहीं आएगी। हम किसी से कुछ भी नहीं छिपा रहे और ना ही छिपाने की कोशिश कर रहे है, बस संशोधन के माध्यम से पुराने नियम कंडक्ट ऑफ इलेक्शन रूल, 1961 के नियम 93 (2) (ए) में संशोधन करके इसे साफ और स्पष्ट किया गया है कि रिकॉर्ड मांगने में सीसीटीवी कैमरों और वेबकास्टिंग फुटेज का जिक्र नहीं है। जो भी लोग इसका रिकॉर्ड मांगते है, उसमे इसका मतलब मतदान केंद्रों के अंदर लगे सीसीटीवी कैमरों और वेबकास्टिंग की फुटेज देने से नही समझा जाना चाहिए।

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