विज्ञान और प्रौद्योगिकी में अंतरराष्ट्रीय सहयोग के लिए भारत कटिबद्ध

Prof Ashutosh Sharma

सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे प्रोफेसर आशुतोष शर्मा ने कहा कि “भारत विकास, स्वास्थ्य, जल, ऊर्जा, पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन, संचार और प्राकृतिक आपदा जैसी प्रमुख चुनौतियों के समाधान के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में अंतरराष्ट्रीय सहयोग को असाधारण रूप से महत्व देता है।”

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव प्रोफेसर आशुतोष शर्मा ने अपने वैश्विक सहयोगियों के साथ वैज्ञानिक डेटा साझा करने पर भारत द्वारा की जा रही पहल को रेखांकित किया है। भारत के राष्ट्रीय डेटा साझाकरण और सुगम्यता नीति (India’s National Data Sharing and Accessibility Policy) और खुले सरकारी डेटा पोर्टल (Open Government Data Portal) का हवाला देते हुए उन्होंने कहा है कि सरकार द्वारा वैज्ञानिक डेटा साझा करने पर सबसे अधिक ध्यान दिया जा रहा है।

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प्रोफेसर आशुतोष शर्मा ने 17वें वार्षिक विज्ञान प्रौद्योगिकी और समाज (Science Technology and Society) फोरम पर विज्ञान एवं प्रौदयोगिकी संबंधी मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में ये बातें कही हैं। उन्होंने जोर देकर कहा है कि “वैज्ञानिक डेटा साझा करने की इस पहल को नई विज्ञान प्रौद्योगिकी एवं नवोन्मेष नीति (Science, Technology and Innovation Policy)-2020 में शामिल किए जाने पर भी विचार किया जा रहा है।” उन्होंने कहा कि डेटा नए पानी की तरह है, और हम इसे वैश्विक साझेदार के रूप में साझा करना चाहते हैं।

इस सम्मेलन में अंतरराष्ट्रीय अनुसंधान एवं विकास सहयोग, सामाजिक विज्ञान और मानविकी एवं खुले विज्ञान की भूमिका पर विचार-विमर्श किया गया। सम्मेलन में दुनिया भर के लगभग 50 देशों के विज्ञान और प्रौद्योगिकी प्रमुख शामिल हुए हैं। इस दौरान कोविड-19 के कारण उपजी चुनौतियों का समाधान करने के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय सहयोग आधारित अवसर सृजित करने पर भी चर्चा की गई।

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सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे प्रोफेसर आशुतोष शर्मा ने कहा कि “भारत विकास, स्वास्थ्य, जल, ऊर्जा, पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन, संचार और प्राकृतिक आपदा जैसी प्रमुख चुनौतियों के समाधान के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में अंतरराष्ट्रीय सहयोग को असाधारण रूप से महत्व देता है।”

इस मौके पर प्रोफेसर शर्मा ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में दुनिया के 40 से अधिक देशों के साथ भारत के सक्रिय सहयोग के बारे में उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि “हम सभी प्रमुख बहुपक्षीय तथा क्षेत्रीय विज्ञान प्रौद्योगिकी मंचों एवं समूहों, जैसे- यूरोपीय यूनियन, ब्रिक्स, आसियान, जी-20, अफ्रीका इनिशिएटिव, युनाइटेड नेशन्स और ओईसीडी के साथ-साथ आईटीईआर, टीएमटी, लीगो जैसी महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय मेगा-विज्ञान परियोजनाओं का हिस्सा भी हैं।” उन्होंने आपदा प्रबंधन एवं स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में आपदा अनुकूलन के लिए ढांचागत संसाधन, इंटरनेशनल सोलर अलायंस और मिशन इनोवेशन के लिए गठबंधन को भारत की वैश्विक पहल का हिस्सा बताया है।

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यह उच्च मंत्रिस्तरीय ऑनलाइन गोलमेज सम्मेलन हाल में जापान की मेजबानी में आयोजित किया गया है। इस वार्षिक बैठक में अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, इंडोनेशिया, भारत, इराक, रूस, दक्षिण अफ्रीका और अन्य देशों ने भागीदारी की। इस सम्मेलन का उद्देश्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग से नई समस्याओं का समाधान खोजने के लिए अनौपचारिक आधार पर चर्चा के लिए तंत्र प्रदान करना और मानव नेटवर्क का निर्माण करना है। 

(इंडिया साइंस वायर)

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