जरा जान लीजिए कौन हैं अभिजीत बनर्जी, भारत के साथ कितना है उनका जुड़ाव ?
अर्थशास्त्र में पुरस्कार विजेताओं का चयन रॉयल स्वीडिश अकैडमी ऑफ साइंसेज करती है। नोबेल समिति ने जारी बयान में तीनों को वैश्विक स्तर पर गरीबी उन्मूलन क्षेत्र में किए गए शोध कार्यों के लिए 2019 का अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार देने की घोषणा की।
भारतीय-अमेरिकी मूल के अभिजीत विनायक बनर्जी, उनकी पत्नी एस्थर डुफ्लो और अमेरिका के अर्थशास्त्री माइकल क्रेमर को संयुक्त रूप से 2019 के लिए अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार दिया गया है। अर्थशास्त्र में पुरस्कार विजेताओं का चयन रॉयल स्वीडिश अकैडमी ऑफ साइंसेज करती है।
नोबेल समिति ने सोमवार को जारी बयान में तीनों को वैश्विक स्तर पर गरीबी उन्मूलन क्षेत्र में किए गए शोध कार्यों के लिए 2019 का अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार देने की घोषणा की। नोबेल पुरस्कार के तहत 90 लाख क्रोनर (स्वीडन की मुद्रा) यानी 9,18,000 डॉलर का नकद पुरस्कार, एक स्वर्ण पदक और एक प्रशस्ति पत्र दिया जाता है। इस राशि को विजेताओं के बीच बराबर बांटा जाता है।
अगर हम बात अभिजीत विनायक बनर्जी और उनकी पत्नी एस्थर डुफ्लो की करें तो उन्हें 6.12 लाख अमरीकी डॉलर मिलेंगे। अगर हम इसे भारतीय रुपए के हिसाब से देखें तो करीब चार करोड़ रुपए की रकम उन्हें प्राप्त होगी।
इसे भी पढ़ें: RSS-भाजपा की सरकार विचारकों के खिलाफ FIR दर्ज कराने में करती है यकीन: येचुरी
अभिजीत विनायक बनर्जी आज भले ही भारतीय नागरिक न हों लेकिन सही मायनों में वह पूरी तरह से भारतीय है। उनके नाम के बीच में लगा विनायक मुंबई के सिद्धी विनायक मंदिर से लिया गया है। उनकी माता निर्मला बनर्जी के मुताबिक जब अभिजीत काफी छोटे थे तो वह बहुत शरारत करते थे और मां उन दिनों इंग्लैंड में पढ़ाई करती थी। मां के मुताबिक अभिजीत को कोई भी आया पसंद नहीं आती थी और वह घर में अकेले नहीं रह पाते थे। जब उनका बचपन भारत में बीता तो वह रिश्तेदारों के साथ काफी खुश रहते थे।
एक नजर अभिजीत के जीवन पर
कोलकाता में 21 फरवरी 1961 को जन्में अभिजीत बनर्जी की मां का नाम निर्मला बनर्जी और पिता का नाम दीपक बनर्जी हैं। मां निर्मला सेंटर फॉर स्टडीज इन सोशल साइंसेज में अर्थशास्त्र की प्रोफेसर रह चुकी हैं, जबकि पिता दीपक कलकत्ता के प्रसिडेंट कॉलेज में अर्थशास्त्र विभाग के अध्यक्ष थे। देखा जाए तो उनका जन्म एक अर्थशास्त्री परिवार में ही हुआ है।
कोलकाता के साउथ प्वाइंट स्कूल से अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद अभिजीत प्रेसीडेंसी कॉलेज से स्नातक की डिग्री हासिल की थी और फिर बाद में दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय चले आए थे। यहां पर साल 1981 से 1983 के बीच उन्होंने अर्थशास्त्र से एमए किया।
इसे भी पढ़ें: प्रियंका ने अभिजीत को दी बधाई, बोलीं- आशा है NYAY एक दिन हकीकत बनेगा
जेएनयू के बाद 1988 में अभिजीत बनर्जी ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया। जहां पर उन्होंने पीएचडी की। फिलहाल अभिजीत मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में अर्थशास्त्र के फोर्ड फाउंडेशन इंटरनेशनल प्रोफेसर हैं।
अभिजीत ने JNU को क्यों चुना था ?
कई मौको पर अभिजीत को इस सवाल का सामना करना पड़ा है कि आखिर उन्होंने एमए के लिए जेएनयू को क्यों चुना? जबकि उनके पास दिल्ली स्कूल ऑफ़ इकॉनामिक्स जैसा बेहतरीन ऑप्शन था। इस बारे में उन्होंने लिखा है कि दिल्ली स्कूल ऑफ़ इकॉनामिक्स में गया था और सच मायने में कहूं तो मेरे पिता भी यही चाहते थे कि मैं दिल्ली स्कूल ऑफ़ इकॉनामिक्स में दाखिला लूं। लेकिन जब मैंने दोनों संस्थानों को करीब से देखा तो जेएनयू में दाखिला लेने का फैसला किया।
जेएनयू ने बारे में अभिजीत लिखते हैं कि इसकी खूबसूरती एकदम अलग तरह की थी। जबकि दिल्ली स्कूल ऑफ़ इकॉनामिक्स किसी भी दूसरे भारतीय संस्थानों की ही तरह है। जेएनयू में छात्र खादी के कुर्ते पहने हुए पत्थरों में या फिर किसी कोने में बैठकर चल रहे मुद्दों पर बहस किया करते थे।
इसे भी पढ़ें: नोबेल विजेता अभिजीत बनर्जी बोले- डगमगाती स्थिति में है भारतीय अर्थव्यवस्था
तलाक के बाद लिव-इन में रहते थे अभिजीत
अभिजीत बनर्जी ने एमआईटी की लेक्चरार डॉक्टर अरुणधति तुली बनर्जी के साथ शादी की थी। उनका एक बेटा भी है। लेकिन जीवन सुचारू ढंग से न चलने की वजह से दोनों ने आपसी सहमति बनाकर तलाक ले लिया था। अरुंधती तुली और अभिजीत दोनों कोलकाता में एक साथ पढ़ा करते थे और साथ ही एमआईटी पहुंचे थे।
अरुंधती के साथ अलग होने के बाद अभिजीत एमआईटी की प्रोफेसर इश्थर डूफ़ेलो के साथ रिलेशन में आए थे और लिव-इन में रहने लगे थे। इस दौरान इश्थर डूफ्लो ने बेटे को जन्म दिया। बेटे के जन्म के तीन साल बाद अभिजीत और इश्थर डूफ्लो ने शादी कर ली। अभिजीत बनर्जी के साथ उनकी पत्नी इश्थर डूफ़ेलो को भी नोबेल पुरस्कार से नवाजा गया है।
अभिजीत बनर्जी ने कई सारे लेखों के अलावा चार किताबें भी लिखी हैं और उन्होंने दो डॉक्यूमेंट्री फिल्मों का निर्देशन भी किया है।
इसे भी पढ़ें: JNU से पढ़े अभिजीत बनर्जी को मिला अर्थशास्त्र में नोबेल पुरस्कार
जब तिहाड़ में गुजारने पड़े थे 10 दिन
अभिजीत बनर्जी जब जेएनयू में अर्थशास्त्र से एमए कर रहे थे उस वक्त छात्र प्रदर्शन में हिस्सा लेने की वजह से उन्हें तिहाड़ की जेल में 10 दिन तक रहना पड़ा था। दरअसल, बनर्जी ने छात्रों के साथ मिलकर छात्र संघ के अध्यक्ष को विश्वविद्यालय से निकाले जाने के फैसले का विरोध किया था और तत्कालीन कुलपति का घेराव किया था।
बुरा प्रदर्शन कर रही भारतीय अर्थव्यवस्था
नोबेल पुरस्कार के लिए चयनित हुए अभिजीत बनर्जी ने सोमवार को कहा कि सरकार द्वारा तेजी से समस्या की पहचान करने के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था बहुत बुरा प्रदर्शन कर रही है। आपको बता दें कि जब अभिजीत से भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति और उसके भविष्य के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि यह बयान भविष्य में क्या होगा, उस बारे में नहीं है, बल्कि जो हो रहा है उसके बारे में है। मैं इसके बारे में एक राय रखने का हकदार हूं।
प्रधानमंत्री ने की बनर्जी की तारीख
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अभिजीत बनर्जी को बधाई देते हुए कहा कि उन्होंने गरीबी उन्मूलन के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया है।
प्रधानमंत्री ने ट्विटर पर लिखा कि अभिजीत बनर्जी को अल्फ्रेड नोबेल की स्मृति में आर्थिक विज्ञान में 2019 का ‘सिवर्जेस रिक्सबैंक पुरस्कार’ से सम्मानित किए जाने पर बधाई। उन्होंने गरीबी उन्मूलन के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया है।
जब एक भारतीय अर्थशास्त्री ने की दूसरे अर्थशास्त्री की तारीफ
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भारतीय मूल के अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी का नोबेल पुरस्कार के लिए चयन होने पर उन्हें बधाई दी और कहा कि यह मेरे लिए खुशी और गर्व की बात है कि आप दूसरे भारतीय हैं जिन्हें अर्थशास्त्र में नोबेल मिला है। इससे पहले मेरे प्रिय मित्र प्रोफेसर आमर्त्य सेन को मिला था। मुझे इस बात की खुशी है कि आपकी पत्नी एस्थर डुफ्लो को भी आपके साथ संयुक्त रूप से नोबेल के लिए चुना गया है।
इसे भी पढ़ें: नोबेल से सम्मानित भारतीय और भारतीय मूल के लोगों की सूची में शामिल हुए अभिजीत
कांग्रेस के न्याय स्कीम की बनाई थी रूपरेखा
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और मौजूदा सांसद राहुल गांधी ने बधाई देते हुए कहा कि बनर्जी ने लोकसभा चुनाव से पहले उनकी पार्टी की ओर से प्रस्तावित 'न्यूनतम आय योजना' (न्याय) की संकल्पना में मदद की थी।
राहुल ने कहा कि अभिजीत ने 'न्याय' की संकल्पना में मदद की जिसमें गरीबी को नष्ट करने और भारतीय अर्थव्यवस्था को बढ़ाने की ताकत थी। अब हमारे यहां मोदीनॉमिक्स (मोदी का अर्थशास्त्र) है जो अर्थव्यवस्था को नष्ट कर रहा है। गरीबी को बढ़ावा दे रहा है।
आपको बता दें कि कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव के दरमियां जारी किए गए अपने घोषणा पत्र में 'न्याय' योजना के तहत आबादी के 20 प्रतिशत गरीब लोगों को हर महीने 6000 रुपए देने का वादा किया था। मगर कांग्रेस चुनाव हार गई और यह स्कीम किसी बस्ते में समा गई। इस स्कीम को देशवासियों ने भी नकार दिया था और कांग्रेस भी इसे सही ढंग से आम लोगों के बीच नहीं पहुंचा पाई थी।
इसे भी पढ़ें: साहित्य के नोबेल पुरस्कार की आलोचना करने वाले को ही मिला नोबेल पुरस्कार
बनर्जी के नाम पर शुरू हो गई राजनीति
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तंज कसते हुए अभिजीत बनर्जी को बधाई दी और कहा कि अब मोदी को काम पर लग जाना चाहिए और तस्वीरें कम खिंचवानी चाहिए।
सिब्बल ने ट्विटर पर लिखा कि क्या मोदी जी सुन रहे हैं? अभिजीत बनर्जी ने कहा है: भारतीय अर्थव्यवस्था डगमगाती स्थिति में है, आंकड़ों में राजनीतिक हस्तक्षेप होता है, औसत शहरी एवं ग्रामीण उपभोग घट गया है जो सत्तर के दशक के बाद कभी नहीं हुआ और हम सब संकट में हैं। अब आप काम पर लग जाइए, तस्वीरें कम खिंचवाइए।
BREAKING NEWS:
— The Nobel Prize (@NobelPrize) October 14, 2019
The 2019 Sveriges Riksbank Prize in Economic Sciences in Memory of Alfred Nobel has been awarded to Abhijit Banerjee, Esther Duflo and Michael Kremer “for their experimental approach to alleviating global poverty.”#NobelPrize pic.twitter.com/SuJfPoRe2N
अन्य न्यूज़