CV Raman Birth Anniversary: सीवी रमन की खोज से चौधियां गई थीं दुनिया की आंखें, नोबेल जीतने वाले एशिया के पहले वैज्ञानिक
प्रतिष्ठित भारतीय भौतिक विज्ञानी नोबेल पुरस्कार विजेता सर चंद्रशेखर वेंकट रमन का 07 नवंबर का जन्म हुआ था। सीवी रमन द्वारा विज्ञान के क्षेत्र में की गई खोजों से दुनिया की आंखें चौधियां गईं।
आज ही के दिन यानी की 07 नवंबर को प्रतिष्ठित भारतीय भौतिक विज्ञानी नोबेल पुरस्कार विजेता सर चंद्रशेखर वेंकट रमन का जन्म हुआ था। सीवी रमन इलाहाबाद विश्वविद्यालय में भौतिक विज्ञान के विभागाध्यक्ष रहे प्रो. मेघनाद साहा से गहरी मित्रता थी। उन्होंने भारत के वैज्ञानिकों को दिशा दी थी। सीवी रमन द्वारा विज्ञान के क्षेत्र में की गई खोजों से दुनिया की आंखें चौधियां गईं। इस खोज को 'रमन प्रभाव' के नाम से जाना जाता है। तो आइए जानके हैं उनकी बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर सीवी रमन के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...
जन्म
तमिलनाडु के तिरूचिरापल्ली में 07 नवंबर 1888 को सीवी रमन का जन्म हुआ था। उनके पिता गणित और भौतिकी के शिक्षक थे। माना जाता है के शुरूआत शिक्षा के दौर में ही उनका विज्ञान के प्रति रुचि जगी। शुरूआती शिक्षा उन्होंने अपने घर पर पूरी की और उच्च शिक्षा के लिए सीवी रमन ने मद्रास के प्रेसिडेंसी कॉलेज में दाखिला लिया। साल 1904 में भौतिकी में ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की। अपनी असाधारण योग्यता के चलते पूरे मद्रास यूनिवर्सिटी में फर्स्ट स्थान मिला। फिर उन्होंने एम.ए की पढ़ाई की और यहीं से उनके वैज्ञानिक सफर की शुरूआत हुई।
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रमन प्रभाव की खोज
बता दें कि डॉ रमन की सबसे बड़ी खोज 'रमन प्रभाव' के रूप में जाना जाता है। जिसकी वजह से उनको साल 1930 में भौतिकी के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। रमन प्रभाव यह घटना है, जिसमें जब प्रकाश की किरणें किसी पारदर्शी पदार्थ से होकर गुजरती है। तो उसकी तरंग दैर्ध्य में परिवर्तित होता है। सीवी रमन की इस खोज ने वैज्ञानिकों को परमाणुओं और अणुओं की संरचना को समझने का एक नया तरीका दिया। इसलिए हर साल इस दिन 28 फरवरी को 'राष्ट्रीय विज्ञान दिवस' के रूप में मनाया जाता है। रमन की यह खोज आधुनिक भौतिकी में क्रांति थी औऱ इसको विज्ञान के क्षेत्र में असाधारण योगदान माना जाता है।
करियर और अन्य उपलब्धियां
डॉ. रमन ने अपनी खोज के अलावा शिक्षा के क्षेत्र में भी अहम योगदान दिया था। उन्होंने कोलकाता में इंडियन एसोसिएशन फॉर द कल्टिवेशन ऑफ साइंस में शोध किया और अपनी रिसर्च को वहां के स्टूडेंट्स और वैज्ञानिकों के बीच साझा किया। बेंगलुरु में भारतीय विज्ञान संस्थान भौतिकी विभाग के प्रमुख बने। साल 1948 में सीवी रमन ने रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट की स्थापना की।
भारतीय विज्ञान में योगदान
डॉ सीवी रमन का मानना था कि विज्ञान में अनुसंधान और शिक्षा दोनों का समान महत्व है। विज्ञान के प्रति जागरुकता बढ़ाने के लिए उन्होंने अनेक प्रयास किए। सीवी रमन ने अपने जीवनकाल में भारतीय छात्रों और वैज्ञानिकों को प्रोत्साहित किया।
डॉ. रमन की विरासत
विज्ञान के क्षेत्र में सीवी रमन ने जो योगदान दिए, उसका महत्व आज भी बना है। उनका जीवन और हर उपलब्धि हर भारतीय को विज्ञान के क्षेत्र में कुछ नया करने की प्रेरणा देती हैं।
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