बहुमुखी प्रतिभा के धनी और हिंदी सिनेमा के मुगल ए आजम थे पृथ्वीराज कपूर
पृथ्वीराज को देश के सर्वोच्च फ़िल्म सम्मान दादा साहब फाल्के के अलावा पद्म भूषण तथा कई अन्य पुरस्कारों से भी नवाजा गया। उन्हें राज्यसभा के लिए भी नामित किया गया था। पृथ्वीराज कपूर को कला क्षेत्र में भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था।
हिंदी सिनेमा जगत एवं भारतीय रंगमंच के प्रमुख स्तंभों में गिने जाने वाले पृथ्वीराज कपूर का जन्म 3 नवम्बर 1906 को पश्चिमोत्तर सीमान्त प्रदेश (अब पाकिस्तान) की राजधानी पेशावर में हुआ था। पृथ्वीराज कपूर के पिता बशेश्वरनाथ कपूर इंडियन इंपीरियल पुलिस में पुलिस अधिकारी थे। पृथ्वीराज कपूर की शुरू की शिक्षा कस्बे में ही हुई थी। 1927 में पृथ्वीराज ने पेशावर के एडवर्ड्स कॉलेज से बीए किया और कानून की पढाई के लिए लाहौर गये। नाटकों में अभिनय करने की रूचि उनमें प्रारम्भ से ही थी, पृथ्वीराज कपूर ने बतौर अभिनेता मूक फ़िल्मो से अपना कॅरियर शुरू किया। कपूर खानदान के पहले सुपरस्टार पृथ्वीराज कपूर थे, जिन्हें फिल्म इंडस्ट्री में 'पापा जी' के नाम से जाना जाता था।
पृथ्वीराज कपूर ने सन् 1944 में पृथ्वी थिएटर, भारत का पहला व्यवसायी थिएटर की स्थापना की। थिएटर के हर शो (नाटक) में पृथ्वीराज कपूर ने प्रमुख भूमिका निभाई। पृथ्वी थिएटर ने रामानंद सागर, शंकर-जयकिशन और राम गांगुली जैसी कई महत्वाकांक्षी प्रतिभाएं प्रस्तुत की। पृथ्वीराज कपूर थिएटर और फिल्म दोनों में सफल रहें। उनकी प्रमुख फिल्में वी. शांताराम की ‘दहेज’, राज कपूर की ‘आवारा’ (1951), आसमान महल (1965), तीन बहूरानियां (1968), कल आज और कल (1971) और पंजाबी फिल्म ‘नानक नाम जहाँ है’ (1969) आदि शामिल हैं। कहा जाता है थिएटर में तीन घंटे का शो खत्म होने के बाद पृथ्वीराज कपूर गेट पर झोला लेकर खड़े हो जाते थे, ताकि शो देखकर आ रहे लोग उसमें कुछ पैसे डाल दे। इस पैसे से वह पृथ्वीराज थिएटर में काम करने वाले कर्मचारियों की मदद करते थे। इसके लिए उन्होंने वर्कर फंड बनाया था।
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पुरस्कार और सम्मान
पृथ्वीराज कपूर को देश के सर्वोच्च फ़िल्म सम्मान दादा साहब फाल्के के अलावा पद्म भूषण तथा कई अन्य पुरस्कारों से भी नवाजा गया। उन्हें राज्यसभा के लिए भी नामित किया गया था। पृथ्वीराज कपूर को कला क्षेत्र में भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था।
पृथ्वीराज कपूर अंतिम फ़िल्मों में राज कपूर की आवारा (1951), कल आज और कल, जिसमें कपूर परिवार की तीन पीढ़ियों ने अभिनय किया था और ख़्वाजा अहमद अब्बास की 'आसमान महल' भी थी। फ़िल्मों में अपने अभिनय से सम्मोहित करने वाले और रंगमंच को नई दिशा देने वाले पृथ्वीराज कपूर का 29 मई, 1972 को निधन हो गया। उन्हें मरणोपरांत दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
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