ये लाल रंग CPI(M) ने क्यों छोड़ दिया, अब वामपंथी विचारधारा वाले लोग एक-दूसरे को कहेंगे नीला सलाम?

तृणमूल कांग्रेस की वरिष्ठ नेता और वित्त राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) चंद्रिमा भट्टाचार्य ने इस पर चुटकी लेते हुए कहा कि माकपा इतने दिनों तक सफेद-नीले रंग का मजाक उड़ाती थी, और अब उसी रंग को अपना लिया है। दरअसल, उसने अपने खून से सने इतिहास को भुलाने के लिए यह रंग बदला है।
लाल यानी शक्ति, शौर्य और साहस का रंग. लाल यानी बलिदान और क्रांति का रंग है। रंगों के राजनीतिक इस्तेमाल की जब भी बात आती है तो लाल रंग मूलत: वामपंथ और साम्यवाद/समाजवाद का रंग माना जाता है। साम्यवाद का मूल आधार मजदूर वर्ग द्वारा विद्रोह को लेकर है और इस क्रांति के दौरान मजदूर वर्ग के बहाए गए खून के प्रतीक के तौर पर भी है। भारत में सीपीआई और सीपीएम जैसी लेफ्ट पार्टियों ने इस लाल रंग को अपनाया है। लेकिन बीते दिनों फेसबुक और इंस्टाग्राम पर सीपीएम के डिस्प्ले पिक्चर बदलने के फैसले ने सोशल मीडिया पर विमर्श का नया चैप्टर खोल दिया। नई तस्वीर - जिसमें नीला आसमान और सफेद बादल पीले रंग के हथौड़े और दरांती की पृष्ठभूमि बनी है। इस तस्वीर ने लगभग हर टिप्पणी करने वाले नेटिजन को तृणमूल प्रमुख ममता बनर्जी के पसंदीदा रंगों की याद दिला दी है, जो सीपीएम की दुश्मन हैं,और इस पर हजारों टिप्पणियां और ट्रोल आ रहे हैं। नई डिस्प्ले फोटो पर लाल रंग का एक भी धब्बा न होना भी उतना ही चौंकाने वाला है।
इसे भी पढ़ें: पश्चिम बंगाल: वाहन के खाई में गिरने से दो लोगों की मौत और नौ अन्य लोग घायल
सीपीएम बंगाल इकाई की इंस्टाग्राम आईडी, cpimwb के 81,300 फ़ॉलोअर हैं। इस प्लेटफ़ॉर्म पर छवि परिवर्तन के बारे में 13 टिप्पणियाँ और नौ फ़ॉरवर्ड थे। फ़ेसबुक पेज पर 4,67,000 फ़ॉलोअर हैं। फेसबुक पेज से 1,100 कमेंट और 448 शेयर प्राप्त किए। सीपीएम ने 1977 से 2011 तक बंगाल पर अपनी पकड़ बनाए रखी। 2016 में भी यह मुख्य विपक्षी पार्टी थी, जब इसने विधानसभा में 26 सीटें और 19.7% वोट जीते थे। लेकिन, 2019 के लोकसभा चुनावों के बाद से, पार्टी ने लगातार कम दोहरे अंकों या एकल अंकों के प्रतिशत पर मतदान किया है, 2024 के लोकसभा चुनाव में इसे केवल 5.7% वोट मिले हैं।
ममता के मंत्री ने ली चुटकी
तृणमूल कांग्रेस की वरिष्ठ नेता और वित्त राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) चंद्रिमा भट्टाचार्य ने इस पर चुटकी लेते हुए कहा कि माकपा इतने दिनों तक सफेद-नीले रंग का मजाक उड़ाती थी, और अब उसी रंग को अपना लिया है। दरअसल, उसने अपने खून से सने इतिहास को भुलाने के लिए यह रंग बदला है।
इसे भी पढ़ें: रजत पाटीदार की बेहतरीन कप्तानी, केकेआर को 7 विकेट से हराकर मिली शानदार जीत, RCBके कप्तान ने विराट कोहली के लिए कही ये बात
वामपंथ का लाल सलाम
लाल सलाम- वामपंथी विचारधारा के लोगों की पसंदीदा लाइन, जिसका इस्तेमाल वो परस्पर एक दूसरे संग मुलाकात के वक्त करते हैं। अक्सर आपने सड़कों, यूनिवर्सिटी और तमाम जगहों पर वामपंथी विचारधारा वाले लोगों को लाल सलाम बोलते हुए सुना होगा। लाल का मतलब क्रांति होता है। सलाम का मतलब तो हम सभी को पता ही है। यानी वामपंथी विचारधारा के हिसाब से इसे क्रांति का सलाम कहा जाता है। भारत में ये शब्द वामपंथ से जुड़े लोगों के अलावा माओवादियों और नक्सलियों द्वारा भी प्रयोग किया जाता है। इसे कभी कभी सुर्ख सलाम भी कहा जाता है।
अन्य न्यूज़