अहमदाबाद ब्लास्ट में फैसले के बाद गुजरात बीजेपी ने ऐसा क्या पोस्ट कर दिया? जिसे Twitter को हटाना पड़ गया
गुजरात बीजेपी द्वारा पोस्ट किए गए कार्टून में दोषियों के चेहरे पर डर दिख रहा था। कार्टून में धर्म विशेष के लोगों को फांसी के फंदे पर लटका हुआ दिखाया गया था। इसी कार्टून में 2 और चित्र भी थे
अहमदाबाद में जुलाई, 2008 में हुए सिलसिलेवार बम विस्फोटों के साढ़े तेरह महीने बाद आखिरकार इस मामले में देश की सर्वोच्च अदालत की तरफ से सबसे बड़ी सजा का ऐलान किया गया। कोर्ट की तरफ से 49 लोगों को दोषी पाया, बल्कि उनमें से 38 लोगों को उसने फांसी की सजा सुनाई, जबकि 11 को उम्रकैद की सजा दी गई। लेकिन इस फैसले के बाद गुजरात बीजेपी के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से किए गए एक ट्वीट ने सियासत को और बढ़ा दिया। कई मुस्लिम संगठनों और पत्रकारों की तरफ से गुजरात बीजेपी की तरफ से किए गए ट्विट की निंदा की जाने लगी। इसी के साथ ही इस ट्वीट को भारी संख्या में रिपोर्ट भी किया गया। जिसके बाद ट्विटर की तरफ से इसे हटा दिया गया।
बीजेपी के ट्ववीट में क्या था?
गुजरात बीजेपी द्वारा पोस्ट किए गए कार्टून में दोषियों के चेहरे पर डर दिख रहा था। कार्टून में धर्म विशेष के लोगों को फांसी के फंदे पर लटका हुआ दिखाया गया था। इसी कार्टून में 2 और चित्र भी थे। पहली में बम ब्लास्ट दिख रहा था और दूसरी तस्वीर में अदालत की बिल्डिंग। अदालत की बिल्डिंग के साथ भारत का झंडा भी दिखाई दे रहा था। इस चित्र के कैप्शन में लिखा था, ‘सत्यमेव जयते’ जिसका अर्थ है ‘सत्य की हमेशा जीत होती है’। आंतक फैलाने वाले को कोई माफी नहीं।
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बाइडेन और हैरिस से शिकायत
कोविड, बाढ़ राहत और प्रवासियों के लिए विदेशों से चंदा एत्रित कर उसे निजी हितों के लिए खर्च करने के आरोपों को झेल रही पत्रकार राणा अय्यूब भी इस विवाद में कूद पड़ी है। राणा अय्यूब ने ट्विटर के जरिए इस मसले पर अपनी राय रखी। इतना ही नहीं अपने ट्वीट में उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और उपराष्ट्रपति कमला हैरिस को भी टैग किया और मोदी सरकार के खिलाफ शिकायत तक कर दी।
सोशल मीडिया पर मचा बवाल
कांग्रेस नेता पंखुड़ी पाठक ने लिखा, 'ट्विटर, भारत में इस नरसंहार वाले पोस्ट को कैसे मंजूर कर सकता है।' वहीं साकेत गोखले ने लिखा कि ये नरसंहार वाला कार्टून भारत की सत्ताधारी पार्टी और उसके इरादों को बताती है। ऊपर दाईं ओर, उन्होंने भारत के राष्ट्रीय प्रतीक का भी इस्तेमाल किया किया है। या तो आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव को तुरंत स्पष्ट करना चाहिए कि क्या यह उनकी पार्टी की आधिकारिक राज्य नीति है या अपराधियों को गिरफ्तार करना चाहिए।
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सुप्रीम कोर्ट ने सुनाई सजा
अहमदाबाद में 13 साल पहले हुए इस सीरियल ब्लास्ट में 70 मिनट के अंदर-अंदर 20 जगहों पर एक के बाद एक 21 धमाके हुए थे। जिनमें 56 लोगों की मौत हो गई थी। इनमें 200 से ज्यादा लोग जख्मी हुए थे। गुजरात के अहमदाबाद में 26 जुलाई 2008 को हुए सीरियल ब्लास्ट के दोषियों को एक स्पेशल कोर्ट ने सजा सुनाई है। इस सीरियल ब्लास्ट में कुल 49 आरोपियों को कोर्ट ने दोषी माना था। जिनमें से 38 को फांसी की सजा और 11 को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। वहीं 28 आरोपियों को सबूत के आभाव में बरी कर दिया गया।
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