भाजपा ने राजनीतिक परिवार से आने वाले Satyajit Deshmukh को शिराला विधानसभा सीट से घोषित किया अपना उम्मीदवार

Satyajit Deshmukh
प्रतिरूप फोटो
ANI
Anoop Prajapati । Nov 16 2024 6:51PM

विधानसभा चुनावों में अब महज 4 दिन का समय रह गया है। 20 नवंबर को जनता राज्य की विधानसभा में अपने नुमाइंदे चुनने के लिए मतदान करेगी। तो वहीं, चुनावों के नतीजे 23 नवंबर को आयेंगे। इसी दिन पता चल जाएगा कि देश के सबसे बड़े राज्यों में शुमार महाराष्ट्र में किसका परचम लहराता है।

महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में अब महज 4 दिन का समय रह गया है। 20 नवंबर को जनता राज्य की विधानसभा में अपने नुमाइंदे चुनने के लिए मतदान करेगी। तो वहीं, चुनावों के नतीजे 23 नवंबर को आयेंगे। इसी दिन पता चल जाएगा कि देश के सबसे बड़े राज्यों में शुमार महाराष्ट्र में किसका परचम लहराता है। बता दें कि महाराष्ट्र में कुल 288 विधानसभा सीटें हैं और सियासी पार्टियां एक-एक सीट जीतने पर अपना पूरा जोर लगा रही हैं। जिसको लेकर भारतीय जनता पार्टी ने सत्यजीत देशमुख को शिराला विधानसभा सीट से चुनावी मैदान में उतार दिया है।

सत्यजीत देशमुख का परिचय

महाराष्ट्र के शिराला 11 अक्टूबर 1973 को जन्मे सत्यजीत शिवाजीराव देशमुख भारतीय राजनीति में एक अनुकरणीय व्यक्ति रहे हैं। ईमानदारी, निष्ठा और सार्वजनिक सेवा के प्रति अपनी अटूट प्रतिबद्धता के लिए जाने जाने वाले देशमुख ने अपना जीवन महाराष्ट्र और उसके लोगों की बेहतरी के लिए समर्पित कर दिया है। देशमुख का राजनीतिक जीवन उनके परिवार की विरासत से बहुत प्रभावित है। उनके पिता श्री शिवाजीराव बापूसाहेब देशमुख महाराष्ट्र के राजनीतिक परिदृश्य में एक बहुत बड़े व्यक्ति थे, जिन्होंने विधान परिषद के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। सत्यजीत को न केवल नाम बल्कि सेवा, नेतृत्व और सामाजिक न्याय के लिए एक दृष्टि विरासत में मिली।

राजनीतिक करियर

भाजपा नेता सत्यजीत देशमुख ने अपने पूरे करियर में महत्वपूर्ण भूमिकाएँ निभाई हैं। उन्होंने जिला परिषद सांगली के उपाध्यक्ष के रूप में कार्य किया, जहाँ वे ग्रामीण समुदायों के उत्थान के उद्देश्य से जमीनी स्तर पर विकास पहलों में शामिल थे। 2019 में भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने के बाद उनका प्रभाव और बढ़ गया, उन्होंने अपने दृष्टिकोण को एक राष्ट्रीय पार्टी के साथ जोड़ दिया जो विकास और प्रगति के लिए प्रयास करती है। 2021 में, समुदाय के प्रति देशमुख की प्रतिबद्धता को तब और पहचान मिली जब उन्हें सांगली जिला केंद्रीय सहकारी बैंक लिमिटेड के निदेशक निकाय के लिए चुना गया।

उन्होंने आम लोगों, विशेषकर किसानों और समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के हितों के लिए लगातार काम किया है। 2004 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार के तौर पर खड़े होकर उन्होंने महाराष्ट्र के लोगों की आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व भी किया। इससे उन्हें जनसेवा और जवाबदेही के लिए समर्पित राजनेता के तौर पर स्थापित किया गया।

सत्यजीत देशमुख के मूल्य

देशमुख का राजनीतिक दर्शन पारदर्शिता, जवाबदेही और आम भलाई पर केंद्रित है। वह व्यक्तिगत लाभ से ज़्यादा सार्वजनिक हित को प्राथमिकता देने में दृढ़ विश्वास रखते हैं। उनका कथन, "नेता अपनी शक्ति के कारण नहीं बल्कि दूसरों को सशक्त बनाने की अपनी क्षमता के कारण महान बनते हैं," सेवा के माध्यम से नेतृत्व के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। उनका मानना ​​है कि एक अच्छे राजनेता को ईमानदार, सहानुभूतिपूर्ण, जवाबदेह, दूरदर्शी, निर्णायक, भरोसेमंद और जनसेवा के प्रति जुनूनी होना चाहिए। इन गुणों ने उन्हें अपने साथियों और मतदाताओं के बीच एक सम्मानित व्यक्ति बना दिया है।

शिवाजीराव बापूसाहेब देशमुख की विरासत

सत्यजीत देशमुख के राजनीतिक जीवन में प्रेरणा और मार्गदर्शक उनके पिता शिवाजीराव बापूसाहेब देशमुख रहे हैं, जो एक गहन सामाजिक दृष्टि वाले नेता थे। शिवाजीराव देशमुख का करियर ग्रामीण विकास और सामाजिक न्याय के प्रति उनके अडिग समर्पण से चिह्नित था। 1978 से 2019 तक विधान सभा और विधान परिषद के भीतर उनके काम ने उन्हें एक सच्चे जनसेवक के रूप में सम्मान दिलाया। सत्यजीत देशमुख इस विरासत को आगे बढ़ाते हुए यह सुनिश्चित करते हैं कि ईमानदारी, पारदर्शिता और सामुदायिक सेवा के सिद्धांत उनकी राजनीतिक यात्रा के मूल में बने रहें। शासन, ग्रामीण विकास और महाराष्ट्र के नागरिकों के कल्याण में सुधार के लिए उनके अथक प्रयासों ने आने वाले वर्षों में एक ऐसे नेता के रूप में उनकी जगह पक्की कर दी है, जिस पर नज़र रखी जानी चाहिए।

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