चीन का चेहरा बेनकाब, मसूद अजहर को आतंकवादी घोषित होने से फिर बचाया
विदेश मंत्रालय ने कहा, ''''हम सभी उपलब्ध विकल्पों पर काम करते रहेंगे, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि भारतीय नागरिकों पर हुए हमलों में शामिल आतंकवादियों को न्याय के कठघरे में खड़ा किया जाए।''''
संयुक्त राष्ट्र। चीन ने संयुक्त राष्ट्र में जैश-ए-मौहम्मद प्रमुख मसूद अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित कराने की कोशिश में आज फिर अडंगा डाल दिया और अपनी वीटो शक्ति का इस्तेमाल करते हुए भारत की नरेंद्र मोदी सरकार के एक महत्वपूर्ण प्रयास पर पानी फेर दिया। चीन के इस रुख पर विदेश मंत्रालय ने कहा- 'हम निराश हैं।' विदेश मंत्रालय ने कहा, 'हम सभी उपलब्ध विकल्पों पर काम करते रहेंगे, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि भारतीय नागरिकों पर हुए हमलों में शामिल आतंकवादियों को न्याय के कठघरे में खड़ा किया जाए।' विदेश मंत्रालय ने कहा, 'हम उन देशों के आभारी हैं जिन्होंने अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित कराने की कवायद में हमारा समर्थन किया है।'
Ministry of External Affairs: We are grateful for the efforts of the Member States who moved the designation proposal and the unprecedented number of all other Security Council members as well as non-members who joined as co-sponsors. https://t.co/riSegaure5
— ANI (@ANI) March 13, 2019
उल्लेखनीय है कि पुलवामा हमले के बाद, मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की 1267 अल कायदा प्रतिबंध समिति के तहत प्रतिबंधित करने का प्रस्ताव फ्रांस, ब्रिटेन एवं अमेरिका की ओर से 27 फरवरी को रखा गया था। लेकिन चीन की आपत्ति के बाद यह प्रस्ताव रद्द कर दिया गया। फ्रांस, ब्रिटेन और अमेरिका द्वारा लाए गए आपत्ति उठाने के लिए 10 कार्यदिवस का समय था। यह अवधि बुधवार दोपहर (न्यूयार्क के समयानुसार) तीन बजे (भारतीय समयानुसार साढ़े 12 बजे रात बृहस्पतिवार) खत्म हो रही है। समिति अपने सदस्यों की सर्वसम्मति से फैसले लेती है।
सबकी निगाहें चीन पर थीं जो पूर्व में अजहर को संयुक्त राष्ट्र से वैश्विक आतंकवादी घोषित कराने के भारत के प्रयासों में अड़ंगा डाल चुका है। अल कायदा प्रतिबंध समिति के सूचीबद्ध नियमों के तहत अगर किसी भी सदस्य की ओर से कोई आपत्ति नहीं उठाई जाती तो फैसले को स्वीकृत माना जाता। अजहर को वैश्विक आतंकवादी के तौर पर चिह्नित कराए जाने का यह पिछले 10 साल में किया गया चौथा प्रयास था।
पुलवामा में आतंकी हमले के बाद भारत ने इस्लामाबाद के खिलाफ कूटनीतिक अभियान तेज करते हुए 25 देशों के दूतों को इस बारे में अवगत कराया था। इसमें यूएनएससी के पांच स्थायी सदस्य- अमेरिका, चीन, रूस, ब्रिटेन और फ्रांस को पाकिस्तान की भूमिका से वाकिफ कराया गया। चीन ने कहा कि इस मुद्दे का ऐसा समाधान होना चाहिए जो सभी पक्षों के अनुकूल हो।
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