CM की भूमिका में उद्धव के एक साल पूरे, सत्ताधारी और विपक्ष के अपने-अपने दावे
उद्धव ठाकरे ने एमवीए सरकार के एक वर्ष पूरे होने के मौके पर पार्टी सांसद और शिवसेना के मुखपत्र सामना के संपादक संजय राउत को एक साक्षात्कार दिया। जिसमें जहां शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस की सरकार के पांच साल के कार्यकाल पूरा करने का भरोसा जताया।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने महाराष्ट्र विकास आघाडी (एमवीए) सरकार के प्रमुख के रूप में अपना एक साल पूरा कर लिया। ठाकरे के लिए यह एक साल वैसे तो कुछ खास नहीं रहा। इस मौके पर शिवसेना जहां सरकार की उपलब्धियां गिनाने के लिए व्याकुल है, वहीं विरोधी दल बीजेपी सरकार की खामियां निकालने की तैयारी कर रही है।
साल 2019 को 28 नवंबर की तारीख जब तमाम नाटकीय घटनाक्रम से गुजरते हुए उद्धव ठाकरे ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। कोरोना वायरस महामारी और प्राकृतिक आपदाएं जैसे चक्रवात निसर्ग,पूर्व विदर्भ, मराठवाड़ा और पश्चिमी महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में बाढ़ आदि घटनाओं ने ‘ठाकरे सरकार’ के सामने कड़ी चुनौतियां पेश की। इस दौरान मुख्यमंत्री पर घर से काम करने के आरोप लगे। इसके अलावा उन्हें अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत मामला हो या कंगना प्रकरण लगातार विरोधियों के निशाने पर उद्धव ठाकरे और महा अघाड़ी सरकार बनी रही।
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बीजेपी के दावों पर ऐसा रहा उद्धव ठाकरे का रुख
उद्धव ठाकरे ने एमवीए सरकार के एक वर्ष पूरे होने के मौके पर पार्टी सांसद और शिवसेना के मुखपत्र सामना के संपादक संजय राउत को एक साक्षात्कार दिया। जिसमें जहां शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस की सरकार के पांच साल के कार्यकाल पूरा करने का भरोसा जताया साथ ही विरोधियों पर भी इशारों में निशाना साधा। उद्धव ठाकरे ने कहा,‘‘इस सरकार को लोगों का आशीर्वाद प्राप्त है और इसे ईडी और सीबीआई जांचों से धमकाया नहीं जा सकता।’’ उन्होंने कहा,‘‘ बदले की राजनीति का कोई अंत नहीं है। मैं इस राह पर चलने के पक्ष में नहीं हूं। इस राजनीतिक विकृति को बंद कीजिए।’’ मुख्यमंत्री ने विश्वास जताया कि शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस गठबंधन वाली उनकी सरकार अगले चार वर्ष का कार्यकाल पूरा करेगी और उसके बाद जनता निर्णय लेगी। उन्होंने कहा कि राकांपा प्रमुख शरद पवार और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पिछले वर्ष एमवीए सरकार के गठन के लिए शिवसेना से हाथ मिलाने का राजनीतिक साहस दिखाया। ठाकरे ने भाजपा का नाम लिए बिना कहा,‘‘ कुछ लोगों ने सोचा कि ये तीनों दल कभी एकसाथ नहीं आएंगे और शिवसेना के पास उनके पीछे आने के सिवाए कोई विकल्प नहीं बचेगा।’’ इस दौरान उन्होंने स्वीकार किया कि उन्हें सरकार चलाने और प्रशासन का कोई अनुभव नहीं था लेकिन उनके परिवार का जनता की सेवा का इतिहास रहा है। उन्होंने कहा,‘‘ प्रशासन चलाने में सहयोगियों का बेमिसाल सहयोग है। उद्धव ठाकरे ने पुराने आक्रामक तेवर दिखाते हुए कहा कि 'महाराष्ट्र ने मरी हुई मां का दूध नहीं पिया है... बाघ की संतान हैं... कोई भी महाराष्ट्र के आड़े आएगा या फिर दबाने की कोशिश करेगा तो क्या होगा, इतिहास में उदाहरण है. आपके पास प्रतिशोध चक्र है, हमारे पास सुदर्शन चक्र है. हम पीछे लगा सकते हैं।
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लगे कई आरोप
राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री एवं भाजपा नेता देवेन्द्र फडणवीस सहित पार्टी के अन्य नेताओं ने ठाकरे और आदित्य पर निशाना साधा और आदित्य का नाम सुशांत मामले में खींचने की कोशिशें भी हुई। आत्महत्या के लिए उकसाने के एक मामले में पत्रकार अर्नब गोस्वामी को गिरफ्तार किए जाने और अभिनेत्री कंगना रनौत के बांद्रा स्थित बंगले के कुछ हिस्से को शिवसेना नीत बीएमसी द्वारा ढहाए जाने के मामले में भी ठाकरे भाजपा के निशाने पर आए। इन घटनाओं और राज्य में संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच एमवीए सरकार की स्थिरता को लेकर भी कयास लगाए जाने लगे थे।
सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में हुई किरकिरी
बॉम्बे हाईकोर्ट ने पाली हिल इलाके में कंगना रनौत के बंगले का हिस्सा तोड़ने के बीएमसी के आदेश को रद्द कर दिया है। अदालत ने माना है कि बीएमसी का एक्शन दुर्भावना से प्रेरित और एक्टर को नुकसान पहुंचाने के मकसद से की गई थी। दो न्यायाधीशों की खंडपीठ ने साथ ही कहा कि वो नागरिकों के खिलाफ सरकारी संस्थाओं के ताकत इस्तेमाल करने को भी सही नहीं समझते। इसके अलावा पत्रकार अनर्ब गोस्वामी के केस में भी सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी से प्रशासन के रवैये पर गंभीर सवाल भी उठे। भले ही अर्नब गोस्वामी को मुंबई पुलिस ने एक आर्किटेक्ट को आत्महत्या के लिए मजबूर करने के आरोप में गिरफ्तार कर जेल भेजा था, लेकिन देश की सबसे बड़ी अदालत ने उसमें अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला माना।
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