Ambani-Adani भी नहीं है रेलगाड़ी के मालिक, भारत के इस व्यक्ति के पास है पर्सनल Train, Railway की गलती के कारण हुआ ऐसा

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रितिका कमठान । Aug 27 2024 4:26PM

ये व्यक्ति कुछ वर्षों पहले ही ट्रेन का मालिक बना है। बता दें कि इस व्यक्ति ने ट्रेन का मालिक बनने के लिए कोई फर्जीवाड़ा नहीं किया है बल्कि वो कानून के साथ ट्रेन का मालिक बना है। ये ऐसा कारनामा है जिसे अंबानी या अडानी तक नहीं कर सके है।

भारतीय रेलवे के रेलवे स्टेशनों पर ये अनाउंसमेंट होती है कि रेलवे आपकी संपत्ति है। हालांकि इसका अर्थ ये नहीं होता है कि ट्रेन असल में किसी की संपत्ति हो और उसपर किसी का हक हो। मगर देश में इकलोता ऐसा व्यक्ति भी है जो एक ट्रेन का मालिक है। आमतौर पर जहां रेलवे का मालिक भारतीय रेल और भारत सरकार होती है। मगर देश में एक व्यक्ति एक ट्रेन का मालिक है।

ये व्यक्ति कुछ वर्षों पहले ही ट्रेन का मालिक बना है। बता दें कि इस व्यक्ति ने ट्रेन का मालिक बनने के लिए कोई फर्जीवाड़ा नहीं किया है बल्कि वो कानून के साथ ट्रेन का मालिक बना है। ये ऐसा कारनामा है जिसे अंबानी या अडानी तक नहीं कर सके है मगर भारत के आम नागरिक के पास ये शक्ति है। दरअसल एक किसान पूरी ट्रेन का मालिक बन गया था। इसके पास पूरी एक ट्रेन का मालिकाना हक है, जो देश में किसी अन्य के पास नहीं है।

जानकारी के लिए बता दें कि ये व्यक्ति संपूर्ण सिंह है जो पंजाब के लुधियाना के कटाणा गांव का रहने वाला है। वो मूल रूप से एक मामूली किसान है। रेलवे की एक गलती के कारण उन्हें ट्रेन का मालिकाना हक मिल गया। ये घटना वर्ष 2017 की है। दिल्ली से अमृतसर जाने वाली स्वर्ण शताब्दी एक्सप्रेस ट्रेन का मालिकाना हक संपूर्ण सिंह को मिल गया।

जानकारी के मुताबिक लुधियाना चंडीगढ़ रेल लाइन बनने के दौरान वर्ष 2009 में रेलवे ने किसानों से उनकी जमीन को खरीदा था। उसी दौरान संपूर्ण सिंह की जमीन भी रेलवे लाइन के बीच आई थी। रेलवे ने इस जमीन को 25 लाख रुपये प्रति एकड़ के तौर पर अधिगृहित किया था। इस दौरान पेंच तब फंगा जब संपूर्ण सिंह को ये जानकारी मिली की पड़ोस के गांव में रेलवे ने उतनी ही बड़ी जमीन को 71 लाख रुपये प्रति एकड़ में खरीदा था। 

रेलवे के इस दोहरे रवैये के खिलाफ संपूर्ण सिंह सुप्रीम कोर्ट पहुंचे। कोर्ट ने सुनवाई के बाद रेलवे को फटकार लगाई और मुआवजे की रकम को बढ़ाकर 50 लाख किया। इसके बाद में बढ़ाकर 1.47 करोड़ रुपये किया गया। कोर्ट की ओर से उत्तर रेलवे को आदेश दिए गए कि वर्ष 2015 तक ही संपूर्ण सिंह को इस राशि का भुगतान किया जाए। हालांकि रेलवे ने महज 42 लाख रुपये का ही भुगतान किया। रेलवे ने 1.05 करोड़ रुपये का भुगतान नहीं किया।

मुआवजे की रकम रेलवे कोर्ट के आदेश के बाद भी नहीं चुका सका। इसके बाद वर्ष 2017 में जिला और सत्र न्यायालय में न्यायाधीश जसपाल वर्मा ने लुधियाना स्टेशन पर ट्रेन को कुर्क करने का आदेश दिया। स्टेशन मास्टर के ऑफिस को भी कुर्क करने का आदेश दिया गया। कोर्ट के आदेश के बाद पीड़ित संपूर्ण सिंह स्टेशन पहुंचे और स्टेशन पर खड़ी ट्रेन अमृतसर स्वर्ण शताब्दी एक्सप्रेस को कुर्क किया। इस तरह से वो ट्रेन के मालिक बने। आज के समय में भी संपूर्ण सिंह ऐसे इकलौते भारतीय हैं जो एक भारतीय ट्रेन के मालिक है। बता दें कि ये मामला अब भी कोर्ट में विचाराधीन है।

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