जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव: विमर्श के विषय

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डॉ. पंडित श्यामप्रसाद मुखर्जी के संकल्प “एक देश, एक विधान, एक प्रधान” के संकल्प को शिरोधार्य किए हुए भाजपा ने अपनी संकल्पशक्ति से भारत के मुकुटमणि को 370 व 35 ए के दंश से मुक्ति दिलाई है। कश्मीर का विकास अब शेष देश के समान आगे बढ़ता हुआ दिखता है।

कभी किसी जमाने की बात याद है न?! जब प्रत्येक राष्ट्रीय क़ानून, प्रस्ताव, प्रावधान आदि पर लिखा जाता था Except Jammu and Kashmir- जम्मू और कश्मीर को छोड़कर!! अब देश में वैसा नहीं होता है। अब जम्मू कश्मीर शेष भारत के नवनिर्माण में सहयोग दे रहा है। आज का कश्मीर नये भारत का नया कश्मीर है।

जिस कश्मीर में दशकों तक ऐसा आतंकी वातावरण रहा कि वहाँ भारतीय भी जाने की कल्पना नहीं करते थे उस कश्मीर में मोदी सरकार ने जी ट्वेंटी का सम्मेलन करवा दिया, यही नया कश्मीर है। 

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अनुच्छेद 370 को इस प्रदेश की नियति मानने और बताने वाले लोग वस्तुतः बदनियत लोग थे, ये अब मुख्यधारा से बाहर हैं। कांग्रेस ने भी फ़ारूख़ अब्दुल्ला और उसके अन्य प्रिय कश्मीरी अलगाववादियों, उग्रवादियों व आतंकवादियों के साथ चलते हुए अनुच्छेद 370 हटाने का विरोध किया था। 370 के उन्मूलन के बाद एक बना था, गुपकार गठबंधन। अब्दुल्ला परिवार व कांग्रेस इस गुपकार गठबंधन के प्रमुख चट्टे-बट्टे थे। ये चाहते हैं कि 370 कश्मीर में पुनर्स्थापित हो। अनुच्छेद 370 के संदर्भ में आज कांग्रेस की स्थिति साँप-छछून्दर के जैसी है। कश्मीर में वह अलगाववादियों, उग्रवादियों, आतंकियों, देश विरोधियों के साथ खड़े होकर 370 की पक्षधर दिखती है। यही कांग्रेस शेष भारत में अपनी इस केंचुली को उतारकर 370 के विषय में दोहरे चरित्र की बात करती है। जब समूचा भारत देश अनुच्छेद 370 के उन्मूलन को लेकर प्रसन्न हो रहा था तब कांग्रेस देश की इस प्रसन्नता से अलग होकर मुँह फुलाए बैठी थी। कांग्रेसी अभिषेक सिंघवी ने तब कहा था ''प्रथम दृष्टया, हम 370 को निरस्त करने के तरीकों पर निर्णय से असहमत हैं।'' 6 अगस्त, 2019 को कांग्रेस की राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक में, अनुच्छेद 370 को निरस्त करने लेकर मोदी सरकार पर हमला किया था। इस बैठक में उसने370 का सम्मान करते रहने का प्रस्ताव पारित किया था। ऐसा विरोध भला ‘देश विरोध’ नहीं तो और क्या था?! 

शेष राष्ट्र के सामने कांग्रेस अपने दोहरे चरित्र पर बड़ी बेशर्मी से स्वयं को ‘गुपकार गैंग’ से अलग बताती है। यही कांग्रेस अनुच्छेद 370 हटने के ठीक एक दिन पूर्व फ़ारूक़ अब्दुल्ला के निवास पर पीडीपी सहित कई अन्य अलगाववादियों के साथ गले में हाथ डालकर बैठी थी और अनुच्छेद 370 के पक्ष में संयुक्त व्यक्तव्य जारी कर रही थी। यही कांग्रेस, अनुच्छेद 370 के हटने के एक वर्ष बाद भी कश्मीर में पुनः गुपकार रोड पर पुनः इन उग्रवादियों के साथ खड़ी दिखाई देती है। कांग्रेस, अब्दुल्ला और पीडीपी वाले इस अलगाववादी गठबंधन ने एक वर्ष बाद भी यह कहा था कि- “अनुच्छेद 370 और 35 को पुनर्स्थापित करने हेतु ये लोग प्रतिबद्ध हैं।” कश्मीर के इस विधानसभा चुनाव में कश्मीर की जनता को कांग्रेस से यह पूछना चाहिए कि कश्मीर छोड़कर शेष राष्ट्र में वह अनुच्छेद 370 को हटाने के पक्ष में क्यों खड़ी दिखती है? ये दोहरा चरित्र क्यों है?! शेष राष्ट्र में वह अब्दुल्ला व मुफ़्ती परिवार से दूरी का प्रदर्शन करती है और अब विस चुनाव भी उनके साथ ही लड़ती है। कश्मीर की जनता को इन दोहरे और डुप्लीकेट चरित्र वाले लोगों का बहिष्कार करना चाहिये। गुपकार गठबंधन स्पष्ट तौर पर विदेशी शक्तियों का एक Bomb Toy है और कांग्रेस, अब्दुल्ला, पीडीपी इसके साथ खड़े हुए हैं। 

डॉ. पंडित श्यामप्रसाद मुखर्जी के संकल्प “एक देश, एक विधान, एक प्रधान” के संकल्प को शिरोधार्य किए हुए भाजपा ने अपनी संकल्पशक्ति से भारत के मुकुटमणि को 370 व 35 ए के दंश से मुक्ति दिलाई है। कश्मीर का विकास अब शेष देश के समान आगे बढ़ता हुआ दिखता है। वर्ष 2020-21 में 15वें वित्‍त आयोग की अनुशंसा के अनुसार, जम्‍मू और कश्‍मीर प्रदेश एवं लद्दाख हेतु  क्रमश: 30757 करोड़ रु. और 5959 करोड़ रु. का अनुदान दिया गया है। 

भाजपा की केंद्र सरकार ने कश्मीर में लोकतंत्र को पुनर्जीवित किया है। वर्ष 2018 में भाजपा की संकल्प शक्ति से कश्मीर में पंचायत चुनाव हुए जिसमें 74.1 प्रतिशत  मतदान हुआ, वर्ष 2019 में ब्‍लॉक डेवलेपमेंट काउंसिल चुनाव में 98.3 प्रतिशत मतदान हुआ। इसके बाद जिला स्‍तर के चुनाव में भी यही गाथा दिहराई गई। आज कश्मीर में आयुष्‍मान योजना से 4.4 लाख लाभार्थियों की सूची बन गई है। प्रधानमंत्री किसान योजना, प्रधानमंत्री  आवास योजना ने कश्मीर ने देश के शेष राज्यों की अपेक्षा अधिक सफलता अर्जित की है। कश्मीर के मूल निवासियों के अधिकारों को सुरक्षित किया गया है। नई मूल निवासी परिभाषा के अनुसार 15 वर्ष या अधिक समय तक जम्‍मू-कश्‍मीर में रहने वाले व्‍यक्ति भी अब अधिवासी माने जाएंगे इससे कश्मीर की जनता सुरक्षित हुई है। कश्मीरी पंडितों की वापसी के लिए छः हज़ार आवासों का निर्माण हो गया है। जम्‍मू-कश्‍मीर से बाहर विवाह करने वाली लड़कियों और उनके बच्‍चों के अधिकारों का संरक्षण भी सुनिश्चित किया गया है। कश्मीर में पहली बार दस हज़ार रिक्त नौकरियों को सूचीबद्ध करके इन पर नियुक्तियों का कार्य प्रारंभ किया गया है। इसके दूसरे चरण में लगभग साढ़े बारह हज़ार नौकरियों हेतु भर्ती अभियान चलाया गया है। मोदी सरकार ने कश्मीर में हिमायत योजना से लगभग नब्बे हज़ार युवाओं को प्रशिक्षण दिया है। भाजपा की केंद्र सरकार ने पचास नये महाविद्यालय प्रारंभ किए हैं जिसमें लगभग सात हज़ार कश्मीरी छात्र नये कश्मीर का भाग्य रहे हैं। सात मेडिकल कॉलेज व पाँच नर्सिंग कॉलेज प्रारंभ किए गए हैं। आईआईटी जम्‍मू को अपना कैंपस और एम्‍स की भेंट मिली है। अटल टनल प्रारंभ होने के साथ साथ चिनाब पर विश्‍व का सबसे ऊंचा 467 मीटर का पुल अब कश्मीर को वैश्विक नक़्शे पर एक आतंकग्रस्त नहीं अपितु एक विकसित प्रदेश के रूप में दिखाता है। कश्मीर में आज ऐसी कई नई-नई योजनाएँ प्रारंभ हो रहीं हैं।  

एक समय था जब कश्मीर के जंगल उजाड़कर देश भर में बनने वाली पेंसिल की लकड़ी पुलवामा से जाती थी। आज मोदी सरकार की कल्पनाशीलता से पुलवामा का उक्खूँ गाँव देश भर की पेंसिल खपत की नब्बे प्रतिशत पेंसिल और बड़ी मात्रा में क्रिकेट बैट सप्लाई करके अपने उत्पाद का उच्चतम मूल्य प्राप्त कर रहा है और सबसे बड़ी इसके लिए वह अपने अमूल्य देवदार के वृक्षों को भी नहीं काटकर पर्यावरण सुरक्षा भी कर रहा है। पहले कश्मीर से पेंसिल की लकड़ी जाती थी, अब वैल्यू एडिशन के साथ पेंसिल जाती है और स्थानीय बहुमूल्य लकड़ी भी नहीं काटी जा रही है।  

कश्मीर में दस वर्षों बाद होने जा रहे विस चुनावो में भाजपा का स्पष्ट कहना है कि वह कश्मीर को रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठियों से मुक्ति दिलायेगी और कश्मीर की कश्मीरियत स्थापित रखेगी। जम्मू व श्रीनगर में मेट्रो रेल प्रारंभ होगी। किसानों का बिजली बिल आधा ही लिया जाएगा। सौ हिंदू मंदिरों का पुनर्निर्माण करके कश्मीरी संस्कृति को सुरक्षित किया जाएगा। भाजपा प्रत्येक कश्मीरी महिला को अट्ठारह हज़ार रुपये प्रतिवर्ष व प्रति वर्ष दो गैस सिलेंडर भी निःशुल्क देगी। वृद्धावस्था, विधवा और विकलांगता पेंशन को एक से तीन हज़ार रुपये कर दिया जाएगा।

कश्मीर में पांच अगस्त 2019 के पश्चात जो नया अध्याय प्रारंभ हुआ था उसने लगभग तीन वर्षों का कोरोना कालखंड का दंश भी झेला है। कोरोना के बाद भी कश्मीरी पर्यटन आज सफलता के नये आयाम छू रहा है तो इसके पीछे दिल्ली और श्रीनगर में स्थापित नये शक्ति-सूत्र ही कार्य कर रहें हैं। इस विधानसभा चुनाव में कश्मीर की जनता दिल्ली को और अधिक मज़बूती से पकड़ेगी और नये युग का आरंभ करेगी ऐसी आशा है।  

-प्रवीण गुगनानी

विदेश मंत्रालय, भारत सरकार में सलाहकार, राजभाषा

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