26/11 के मुंबई हमलों के नायक ब्रिगेडियर गोविंद सिंह सिसोदिया के पराक्रम व वीरता के बल पर अजमल कसाब जैसे आंतकी हमारे हाथ लगे
ब्रिगेडियर सिसोदिया उस समय एनएसजी कमांडो दस्ते को लीड कर रहे थे। पूरा देश आज आजादी के अमृत महोत्सव की बेला पर अपनी जान पर खेल कर देश की रक्षा करने वाले बहादुरों नमन कर रहा है। इस अवसर पर हिमाचल प्रदेश के शिमला जिला के चौपाल के ब्रिगेडियर गोविंद सिंह सिसोदिया की वीरगाथा भी हमारे सामने है।
शिमला । पूरे देश को हिला रूह कंपा देने वाले 26 नवंबर 2008 के मुंबई हमलों को देश आज भी भूला नहीं है। आज देशवासी उस हमले को याद कर देश के लिये अपनी कुर्बानी देने वाले जवानों को श्रद्धांजलि दे रहे हैं। लेकिन इस हमले में एक ऐसा वीर योद्धा भी था, जिसकी रणनिति की वजह से जान माल के भारी नुक्सान को एक हद तक रोका जा सका। इसके पीछे इस हमले को निपटने के लिये कमान कर रहे भारतीय सेना के ब्रिगेडियर गोविंद सिंह सिसोदिया की सोच थी। जिनके अदम्य साहस ,पराक्रम व वीरता के बल पर अजमल कसाब जैसे आंतकी हमारे हाथ लगे।
ब्रिगेडियर सिसोदिया उस समय एनएसजी कमांडो दस्ते को लीड कर रहे थे।
पूरा देश आज आजादी के अमृत महोत्सव की बेला पर अपनी जान पर खेल कर देश की रक्षा करने वाले बहादुरों नमन कर रहा है। इस अवसर पर हिमाचल प्रदेश के शिमला जिला के चौपाल के ब्रिगेडियर गोविंद सिंह सिसोदिया की वीरगाथा भी हमारे सामने है। 26 नवंबर 2008 के जिस मुंबई आतंकी हमले पर पूरी दुनिया की नजरें थीं,उसे ब्रिगेडियर सिसोदिया ने लीड किया था। उनके क्विक प्लान व 49 घंटों में ही इस आपरेशन को पूरा करने पर सेना ने उन्हें विशिष्ट सेना मेडल से सम्मानित किया था।
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लेकिन अफसोस हिमाचल के इस सपूत को प्रदेश में किसी तरह का सम्मान प्रदेश की सरकारें नहीं दे पाईं। ब्रिगेडियर गोविंद सिंह सिसोदिया ने 26 नवंबर,2008 को मुंबई पर आतंकी हमले में भारतीय एनएसजी कमांडो को लीड किया था। इस हमले में एनएसजी के मेजर संदीप उन्नीकृष्ण और गजेंद्र सिंह शहीद हो गए थे।
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गौरतलब है कि ब्रिगेडियर सिसोदिया का जन्म चौपाल कस्बे के भरनो गांव में हुआ था। वह परिवार में चार भाइयों में से सबसे छोटे हैं। इनके पिता शेर सिंह सिसोदिया, जो राजस्व सेवा में अधिकारी थे। इनके बड़े भाई के एस सिसोदिया पुलिस में डीआईजी पद से रिटायर हुए। दूसरे भाई आईएस सिसोदिया आर्मी में कर्नल पद से रिटायर हुए। ब्रिगेडियर सिसोदिया ने मंडी शहर के गवर्नमेंट विजय हाई स्कूल से दसवीं तक की शिक्षा हासिल की। 1975 में भारतीय सेना ज्वाइन करने से पहले इन्होंने एसडी कालेज शिमला से उच्च शिक्षा प्राप्त की। 1975 में इन्हें 16 सिक्ख रेजिमेंट में नियुक्ति प्राप्त हुई। बाद में इन्होंने 19 और 20 सिक्ख रेजिमेंट का नेतृत्व भी किया। 1987 में भारतीय सेना के श्रीलंका में शांति स्थापना के अभियान में इन्होंने वीरता से भाग लिया और एक आतंकवादी हमले के दौरान यह गोली लगने से घायल भी हुए थे।
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मुंबई पर 26 नवंबर 2008 के हमलों को कोई नहीं भुला सकता है। किस तरह 10 हमलावरों ने मुंबई को ख़ून से रंग दिया था। हमलों में 160 से ज़्यादा लोग मारे गए थे, कई घायल हुए थे। रात के तकऱीबन साढ़े नौ बजे मुंबई के छत्रपति शिवाजी टर्मिनस पर गोलीबारी की ख़बर मिली। मुंबई के इस ऐतिहासिक रेलवे स्टेशन के मेन हॉल में दो हमलावर घुसे और अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। इनमें एक मुहम्मद अजमल क़साब था,जो हमलों के दौरान गिरफ्तार इकलौता हमलावर था। बाद में इसे फांसी दे दी गई थी। मुंबई एटीएस के हेमंत करकरे, विजय सालस्कर आदि कई अधिकारी और जवान इन हमलों में शहीद हो गए। तब जाकर नेशनल सिक्योरिटी गार्ड (एनएसजी) के कमांडो को दिल्ली से बुलवाया गया,जिनका नेतृत्व कर रहे थे उस समय एनएसजी के डीआईजी गोविंद सिंह सिसोदिया ने अपने जवानों के दम पर इस आपरेशन को सफलतापूर्वक पूरा किया।
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अजमल कसाब से सिसोदिया ने कड़ी पूछताछ भी की थी,जिसमे कई राज उजागर हुए थे। इन्हें 26/11 के हमले के खिलाफ सफल अभियान के लिए सेना का विशिष्ट् सेवा मेडल और चीफ ऑफ़ आर्मी स्टाफ प्रशंसनीय कार्ड आपरेशन रक्षक जम्मू कश्मीर के लिए से नवाजा।
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ब्रिगेडियर सिसोदिया 26/11 के मुंबई हमलों के दौरान भारतीय सेना के नायक थे। तथा होटल ताज ओबरॉय और नरीमन प्वाइंट से आतंकवादियों का सफाया उनके जिम्मे था। ब्रिगेडियर जवाबी कार्रवाई के दिन को याद करते हुए बताते हैं कि इन हमले की सबसे बड़ी चुनौती यह थी कि आम जनमानस को कोई क्षति न पहुंचाते हुए दुश्मन का सफाया हो जाए। इसमें सेना ने कामयाबी भी हासिल की और अजमल कसाब को छोडक़र सभी आतंकी मारे गए परंतु भारतीय सेना ने दो अनमोल जवान गंवा दिए।
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