लालू पर गरम, नीतीश पर नरम, आखिर बिहार से क्या सियायी संकेत दे गए गृह मंत्री अमित शाह
अमित शाह ने कहा कि लालू यादव अब एक्टिव हो गए हैं और नीतीश कुमार इनएक्टिव। कहीं ना कहीं, अमित शाह के आज के संबोधन से कई सियासी संकट मिलने शुरू हो गए हैं। अमित शाह के संबोधन के बाद बिहार की राजनीतिक हलचल भी तेज होती दिखाई दे रही है और बड़ा सवाल 2024 लोकसभा चुनाव को लेकर है।
गृह मंत्री अमित शाह आज बिहार के दौरे पर थे। बिहार के झंझारपुर में उन्होंने भाजपा के एक रैली को संबोधित किया। इस दौरान गृह मंत्री अमित शाह लालू प्रसाद यादव और राजद पर जबरदस्त तरीके से हमलावर रहे जबकि दूसरी ओर बिहार के मुख्यमंत्री और अपने पूर्व सहयोगी नीतीश कुमार को लेकर उनका तेवर थोड़ा नरम दिखा। हालांकि, इससे पहले जदयू के साथ गठबंधन टूटने के बाद अमित शाह जितनी बार भी बिहार गए वह लालू और नीतीश पर समान रूप से आक्रामक दिखाई देते रहे थे। हालांकि, आज के संबोधन में अमित शाह के निशाने पर लालू प्रसाद यादव ज्यादा रहे। अमित शाह ने कहा कि लालू यादव अब एक्टिव हो गए हैं और नीतीश कुमार इनएक्टिव। कहीं ना कहीं, अमित शाह के आज के संबोधन से कई सियासी संकट मिलने शुरू हो गए हैं। अमित शाह के संबोधन के बाद बिहार की राजनीतिक हलचल भी तेज होती दिखाई दे रही है और बड़ा सवाल 2024 लोकसभा चुनाव को लेकर है।
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लालू यादव एक्टिव
अमित शाह के लालू एक्टिव और नीतीश कुमार इन एक्टिव वाले बयान के कई मतलब निकल जा रहे हैं। समझने की कोशिश की जा रही है कि बिहार में आने वाले समय में क्या होने वाला है?जानकारों की माने तो दावा किया जा रहा है कि भाजपा नीतीश कुमार से ज्यादा अब लाल यादव पर फोकस करेगी। किडनी ट्रांसप्लांट के बाद लालू यादव कई महीने तक रेस्ट मोड में थे। लेकिन अब वह राजनीतिक गतिविधियों में भाग ले रहे हैं। लालू यादव का पुराना अंदाज भी लौट आया है। नीतीश कुमार की तुलना में लालू यादव राष्ट्रीय राजनीति में ज्यादा चर्चाओं में हैं। दावा किया जा रहा है कि लोकसभा चुनाव 2024 के लिहाज से बिहार में राजद की भूमिका बड़ी हो गई है। सीट बटवारा भी लालू यादव के हिसाब से ही हो सकता है।
नीतीश कुमार की रणनीति
वर्तमान में देखें तो नीतीश कुमार भाजपा पर सीधा हमला करने से बच रहे हैं। पिछले साल भाजपा गठबंधन से अलग होने के बाद उन्होंने उन कार्यक्रमों से दूरी बनाकर रखी थी जिसमें उनका सामना नरेंद्र मोदी से हो सकता था। लेकिन हाल में ही जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान राष्ट्रपति भवन द्वारा आयोजित डिनर में शामिल होकर नीतीश कुमार ने कहीं ना कहीं बड़ा सियासी संकेत दिया है। नीतीश कुमार और नरेंद्र मोदी की तस्वीर भी वायरल हुई जिसमें दोनों नेता काफी खुश दिखाई दे रहे हैं। नीतीश कुमार इस डिनर में तब शामिल हुए जब ज्यादातर विपक्षी दलों के मुख्यमंत्री द्वारा इसका बहिष्कार किया गया। दावा किया गया कि नीतीश कुमार कहीं ना कहीं विपक्षी गठबंधन में दबाव बनाने की अपनी रणनीति पर कम कर रहे हैं।
नाराज हैं नीतीश
नीतीश कुमार के हाव-भाव को देखें तो ऐसा लगता है कि वह ना काहू से दोस्ती, ना काहू से बैर के रास्ते पर भी चल रहे हैं। अपने बयानों में वे नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हैं लेकिन भाजपा नेताओं से उनकी अभी भी पूरी दुश्मनी नहीं है। बिहार के राज्यपाल के साथ भी उनके रिश्ते काफी सहज दिखाई देते हैं। इंडिया गठबंधन की नींव रखने में अहम भूमिका निभाने वाले नीतीश कुमार कहीं ना कहीं नाराज बताए जा रहे हैं। खबर के मुताबिक संयोजक पद को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं होने की वजह से नीतीश कुमार विपक्षी गठबंधन से खफा है। इसके अलावा जिस तरीके से कांग्रेस ने विपक्षी एकता को पूरी तरीके से हाईजैक कर लिया है, वह भी नीतीश कुमार के लिए सहज नहीं है। सीट बंटवारे को लेकर जो पेंच फसती दिखाई दे रही है, वह भी नीतीश कुमार को असहज कर रहा है। साथ ही साथ नीतीश कुमार अपनी सरकार में राजद के दबाव को अच्छे से महसूस कर रहे हैं और इसके मंत्रियों द्वारा जो बयान दिए जा रहे हैं, उससे उन्हें दिक्कत हो रही है।
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अमित शाह का भाषण
अमित शाह के भाषण की बात करें तो आज उन्होंने एक बार भी इस बात का जिक्र नहीं किया कि नीतीश कुमार के लिए आप भाजपा के दरवाजे बंद हो गए हैं। इससे पहले अमित शाह लगातार यह बात बिहार के सभाओं में कहते रहे हैं। लेकिन इस बार यह बात उनके स्क्रिप्ट में थी ही नहीं। उन्होंने कहा कि बिहार में अपहरण, गोलीबारी, लूट-खसोट, पत्रकारों एवं दलितों की हत्या की घटनाएं बढ़ती जा रही है। ये जो स्वार्थी गठबंधन बना है, वो बिहार को फिर से जंगलराज की दिशा में ले जाने वाला है। लालू जी फिर से Active हो गए हैं, नीतीश जी Inactive हो गए हैं, तो आप समझ सकते हैं कि बिहार कैसे चलेगा। ये लोग बिहार को फिर से जंगलराज की तरफ ले जा रहे हैं। तुष्टिकरण करके ये बिहार को एक बार फिर से ऐसे तत्वों के हाथ में देना चाहते हैं, जो बिहार को सुरक्षित नहीं रख सकते। उन्होंने कहा कि लालू जी अपने बेटे को मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं और नीतीश जी हर बार की तरह प्रधानमंत्री बनना चाहते हैं। नीतीश बाबू आपकी दाल नहीं गलेगी। प्रधानमंत्री का पद खाली नहीं है, वहां फिर से एक बार नरेन्द्र मोदी जी ही बैठेंगे।
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