UPI Down: फिर से भारत में ठप हुआ यूपीआई का सर्वर, PhonePe, Google Pay के यूजर्स हुए परेशान

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Image Source: Freepressjournal.in; npci.org.in

एक बार फिरसे ठप हुई यूपीआई की सर्विस। गूगल पे, फोनपे और पेटीएम सहित प्रमुख डिजिटल भुगतान ऐप्स के यूजर्स लेनदेन पूरा करने में असमर्थ रहे। आपको बता दें कि, अभी तक इस समस्या को लेकर कोई भी आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। बीते कुछ दिनों में यह लगातार कई बार सर्वर डाउन हुआ है।

देशभर में शनिवार की सुबह एक बड़ी तकनीकी गड़बड़ी के कारण यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) सेवाएं बाधित हो गईं, जो पिछले 30 दिनों में तीसरी बड़ी गड़बड़ी थी। तकनीकी खराबी के कारण से यूपीआई सर्विस अस्थायी रुप से ठप हो गई है, ऐसे में लाखों यूजर्स की ट्रांजेक्शन फेल हो गई है। गूगल पे, फोनपे और पेटीएम सहित प्रमुख डिजिटल पेमेंट ऐप्स के यूजर्स को लेनदेन पूरा करने में असमर्थ रहे, जिससे व्यक्तियों और व्यवसायों दोनों को व्यापक रुप से असुविधा हुई। Downdetector एक ऐसा प्लेटफॉर्म जो यूज़र्स की शिकायतों के आधार पर सर्विस में आई रुकावटों पर नजर रखता है, उसके मुताबिक शनिवार सुबह 11:30 बजे के बाद से यूपीआई ट्रांजैक्शन फेल होने की शिकायतें लगातार आने लगीं। इससे पहले भी 26 मार्च और 2 अप्रैल को भी यूपीआई सर्विस ठप हो गई थी।

NPCI ने सफाई जारी की

बता दें कि, यूपीआई को संचालित करने वाली संस्था NPCI ने इस दिक्कत को स्वीकार करते हुए कहा है कि, "एनपीसीआई इस समय में तकनीकी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, जिसके कारण आंशिक रूप से यूपीआई लेनदेन में कमी आ रही है। हम इस समस्या को हल करने के लिए काम कर रहे हैं, और आपको अपडेट रखेंगे।  हुई असुविधा के लिए खेद हम प्रकट करते है।"

 बता दें कि यह बयान, एक्स (ट्विटर) पर NPCI के हैंडल पर शेयर किया है।

 यूपीआई डिजिटल अर्थव्यवस्था की रीढ़

इस समय भारत में यूपाआई इंस्टेंट पेमेंट के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है।  आपको बता दें कि, यह IMPS इंफ्रास्ट्रक्चर पर बेस्ड है। इसकी मदद से यूजर किसी भी अतिरिक्त शुल्क के कभी भी और कहीं भी तुरंत पैसे ट्रांसफर कर सकते हैं। 

यूपीआई ने मार्च में किया था रिकॉर्ड तोड़ प्रदर्शन

जानकारी के मुताबिक, मार्च 2025 में यूपीआई ट्रांजैक्शन का कुल मूल्य 24.77 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया था। इसके अलावा, फरवरी के मुकाबले 12.7% अधिक है। वहीं, फरवरी में कुल ट्रांजैक्शन का आंकड़ा 21.96 लाख करोड़ रुपये था।

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