सड़कों पर संघर्ष जारी रहेगा, राज्यों से संवाद करेंगे : अदालत के फैसले पर एलजीबीटीक्यू सदस्यों ने कहा

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समुदाय की एक अन्य सदस्य वर्षा वर्मा ने फैसले में आशा की किरण की ओर इशारा किया। वर्मा ने कहा, ‘‘शादी नहीं, लेकिन उच्चतम न्यायालय ने माना कि हमें सुरक्षा का अधिकार है।

समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने से इनकार करने वाले उच्चतम न्यायालय के फैसले पर निराशा व्यक्त करते हुए एलजीबीटीक्यूआईए समुदाय के कुछ सदस्यों ने मंगलवार को सड़कों पर अपना संघर्ष जारी रखने और राज्य के साथ संवाद करने का संकलप जताया।

समुदाय के सदस्यों ने एक संवाददाता सम्मेलन में अदालती फैसले के निहितार्थ साझा किए और एलजीबीटीक्यू अधिकार आंदोलन के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को रेखांकित किया।

उच्चतम न्यायालय की पांच न्यायाधीशों की पीठ ने मंगलवार को सर्वसम्मति से ऐतिहासिक फैसला देते हुए समलैंगिक विवाह को विशेष विवाह कानून के तहत कानूनी मान्यता देने से इनकार कर दिया।

इसके साथ ही न्यायालय ने कहा कि इस बारे में कानून बनाने का काम संसद का है। न्यायालय ने हालांकि, समलैंगिक लोगों के लिए समान अधिकारों और उनकी सुरक्षा को मान्यता दी और आम जनता को इस संबंध में संवेदनशील होने का आह्वान किया ताकि उन्हें भेदभाव का सामना नहीं करना पड़े।

फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए एलजीबीटीक्यू समुदाय की सदस्य चयनिका ने कहा, ‘‘हम निराश हैं लेकिन आगे बढ़ना चाहते हैं... हमारे पास निराश या संतुष्ट होने के लिए कोई जगह नहीं है। हम अपना संघर्ष जारी रखेंगे।’’

समुदाय की एक अन्य सदस्य वर्षा वर्मा ने फैसले में आशा की किरण की ओर इशारा किया। वर्मा ने कहा, ‘‘शादी नहीं, लेकिन उच्चतम न्यायालय ने माना कि हमें सुरक्षा का अधिकार है।

अब हम उच्चतम न्यायालय से कह सकते हैं कि शक्ति वाहिनी फैसले के तहत समलैंगिक जोड़ों को सुरक्षा दी जा जानी चाहिए। अब, राज्यों में, शक्ति वाहिनी प्रकोष्ठ सक्रिय हो सकते हैं और इसका उपयोग समलैंगिक महिलाओं को सुरक्षा प्रदान करने के लिए करें। सुरक्षा अब राज्य की जिम्मेदारी है, जो एक बहुत ही सकारात्मक बात है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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