सिब्बल ने उप्र-उत्तराखंड प्रशासन को लिखा पत्र, ‘धर्म संसद’ से पहले निवारक कदम उठाने का किया आग्रह

Kapil Sibal

सिब्बल ने अपने पत्र में लिखा, ‘‘हम विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया के बीच हैं, हम किसी भी व्यक्ति पर अपनी मंशा नहीं थोपना चाहते, लेकिन अगर चुनाव के बीच इस तरह के भाषण दिए जाते हैं, तो वे सामाजिक व्यवस्था को अस्थिर कर देंगे और इसका देश की राजनीति पर गंभीर परिणाम पड़ेगा।’’

नयी दिल्ली| ‘धर्म संसद’ कार्यक्रमों पर उच्चतम न्यायालय के आदेश के एक दिन बाद बृहस्पतिवार को वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकार को पत्र लिखकर इस महीने प्रस्तावित इस तरह के कई कार्यक्रमों में भड़काऊ भाषणों पर रोक लगाने के लिए निवारक कदम उठाने का अनुरोध किया।

सिब्बल ने अपने पत्रों की प्रतियां उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के मुख्यमंत्रियों, गृह सचिवों और पुलिस प्रमुखों के अलावा अलीगढ़ तथा हरिद्वार के पुलिस अधीक्षकों को भेजी हैं।

इसकी प्रति चुनाव आयोग को भी भेजी गई है। सिब्बल ने अलीगढ़ और हरिद्वार के जिलाधिकारियों को पत्र लिखकर इस तरह के आयोजनों को रोकने के लिए धारा 144 लागू करने सहित अन्य निवारक उपाय करने का आग्रह किया है।

सिब्बल ने अपने पत्र में लिखा, ‘‘हम विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया के बीच हैं, हम किसी भी व्यक्ति पर अपनी मंशा नहीं थोपना चाहते, लेकिन अगर चुनाव के बीच इस तरह के भाषण दिए जाते हैं, तो वे सामाजिक व्यवस्था को अस्थिर कर देंगे और इसका देश की राजनीति पर गंभीर परिणाम पड़ेगा।’’

सिब्बल ने अपने पत्र में आगे कहा, ‘‘हम आपसे अनुरोध करते हैं कि आप अपनी शक्तियों के तहत ऐसे निवारक कदम उठाएं, जो आवश्यक हैं, जिसमें आपराधिक प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 144 और राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम,1980 की धारा 3 और 5 शामिल हैं।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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