‘सात दरोगा के हाथ-पैर तुड़वाकर यहां पहुंचा हूं’ अपने बयान पर संजय निषाद ने अब दी सफाई

Sanjay Nishad
ANI
अंकित सिंह । Mar 19 2025 5:56PM

संजय निषाद ने कहा कि मैंने ये बयान क्यों दिया, इसका एक और एंगल है। मैंने ये बयान इसलिए दिया क्योंकि 7 जून 2015 को रेल आंदोलन के दौरान रक्षक ही भक्षक बन गए। जब हम रेलवे की जमीन पर थे, तो सीआरपीएफ वहां आ गई। वो केंद्र सरकार की जमीन थी, केंद्रीय सुरक्षा थी।

उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री और निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. संजय निषाद एक बार फिर से सुर्खियों में हैं। एक कार्यक्रम के दौरान मंत्री ने कहा कि हम यहां ऐसे नहीं पहुंचे हैं, सात दरोगा के हाथ-पैर तुड़वाकर उसे गड्ढे में फेंकवा कर तब मैं यहां पहुंचा हूं। उनके इस बयान के बाद सियासत तेज हो गई। हालांकि, अब उन्होंने इसको लेकर सफाई दी है। संजय निषाद ने कहा कि मैंने ये बयान क्यों दिया, इसका एक और एंगल है। मैंने ये बयान इसलिए दिया क्योंकि 7 जून 2015 को रेल आंदोलन के दौरान रक्षक ही भक्षक बन गए। जब हम रेलवे की जमीन पर थे, तो सीआरपीएफ वहां आ गई। वो केंद्र सरकार की जमीन थी, केंद्रीय सुरक्षा थी।

इसे भी पढ़ें: उत्तर प्रदेश: सांप्रदायिक तनाव भड़काने के लिए गौशाला में मांस रखने के आरोप में दो लोग गिरफ्तार

मंत्री ने दावा किया ति राज्य सरकार ने जबरन हम पर गोली चलवाई... अगर रक्षक ही भक्षक बन जाएं तो आत्मरक्षा के लिए कुछ भी करना पड़ेगा। इसलिए सुरक्षा के लिए... बयान दिखाया गया है लेकिन किस संदर्भ में कहा गया यह भी दिखाया जाना चाहिए। इससे पहले गोरखपुर में होली मिलन समारोह में निषाद ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए दावा किया कि कुछ नेता विभाजन पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं। प्रदेश के कैबिनेट मंत्री संजय निषाद ने कहा, ‘‘जुमे की नमाज के दौरान लोग एक-दूसरे से गले मिलते हैं और होली मनाते समय भी वे ऐसा ही करते हैं। दोनों ही पर्व मिल-जुलकर रहने के हैं, फिर भी कुछ नेता यह एकता नहीं चाहते।’’ 

इसे भी पढ़ें: उत्तर प्रदेश: कौशांबी में दो पक्षों के बीच विवाद के मामले में छह आरोपी गिरफ्तार

उन्होंने कहा, ‘‘एक खास वर्ग के लोगों के दिमाग में जहर भरकर उन्हें गुमराह किया जा रहा है। वे भी इस देश के नागरिक हैं। अगर उन्हें रंगों से दिक्कत है तो उन्हें घर के अंदर नहीं रहना चाहिए...उन्हें देश छोड़ देना चाहिए।’’ निषाद ने इस बात पर भी जोर दिया कि समाज का एक खास वर्ग रंगों का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल करता है, चाहे वह कपड़ों में हो, घर की सजावट में हो या फिर कारोबार में। उन्होंने किसी वर्ग का नाम लिये बगैर कहा, ‘‘वे कपड़ों को रंगते हैं, अपने घरों को रंगते हैं और चमकीले कपड़े पहनते हैं। अगर उन्हें वाकई रंगों से दिक्कत होती तो वे इन गतिविधियों में कैसे शामिल होते?’’

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़