Karnataka Assembly Elections 2023 को असल मुद्दों से भटका रही है Reservation and Caste Politics
राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 2011 की जनगणना के जातिगत आंकड़े जारी करने की चुनौती दी तो वहीं कांग्रेस अध्यक्ष और कर्नाटक के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने भी प्रधानमंत्री को पत्र लिख कर जाति आधारित जनगणना की मांग कर डाली।
जब राजनेता महंगाई, बेरोजगारी, विकास आदि जैसे प्रासंगिक मुद्दों की बजाय जाति या धर्म की बात करने लगें तो समझ जाइये कि कहीं चुनाव आने वाले हैं या कहीं चुनाव चल रहे हैं। कर्नाटक विधानसभा चुनावों की चल रही प्रक्रिया के बीच जाति आधारित जनगणना की मांग जोर पकड़ने लगी है। अभी तक बिहार की राजनीति में ही जाति आधारित जनगणना का मुद्दा छाया हुआ था लेकिन अब इसने कर्नाटक की चुनावी सियासत में भी दस्तक दे दी है। राहुल गांधी दो दिन के कर्नाटक दौरे पर पहुँचे तो दोनों दिन उन्होंने यह मुद्दा उठाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 2011 की जनगणना के जातिगत आंकड़े जारी करने की चुनौती दी तो वहीं कांग्रेस अध्यक्ष और कर्नाटक के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने भी प्रधानमंत्री को पत्र लिख कर जाति आधारित जनगणना की मांग कर डाली। कांग्रेस को अचानक से ओबीसी समाज की जो चिंता हुई है उस पर भाजपा कटाक्ष कर रही है।
भाजपा का पलटवार
दूसरी ओर भाजपा नेता भी जातिगत राजनीति में उलझ गये हैं। हम आपको बता दें कि हाल ही में कर्नाटक सरकार ने मुस्लिमों के लिए चार प्रतिशत आरक्षण खत्म कर दिया था। कांग्रेस के नेता जनता से वादा कर रहे हैं कि वह यदि सत्ता में आये तो मुस्लिमों के लिए आरक्षण को बहाल करेंगे। कांग्रेस के इस वादे पर पलटवार करते हुए भाजपा नेता और केंद्रीय राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर आरोप लगा रहे हैं कि वोक्कालिगा और लिंगायत समुदाय के साथ-साथ अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को दिए जाने वाले लाभों से वंचित करने के वास्ते, मुसलमानों के लिए चार प्रतिशत आरक्षण को रद्द करने के कर्नाटक सरकार के आदेश को पलटने के लिए कांग्रेस और जनता दल (सेक्युलर) ने हाथ मिला लिया है।
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राजीव चंद्रशेखर ने जद (एस) को कांग्रेस की बी-टीम बताते हुए ट्विटर पर कहा कि भारतीय जनता पार्टी इन समुदायों के साथ मजबूती से खड़ी रहेगी और यह सुनिश्चित करेगी कि वह उनकी प्रगति के लिए उनके साथ हो। उन्होंने विपक्षी पार्टी पर निशाना साधने के लिए ‘हिंदू विरोधी कांग्रेस’ हैशटैग का इस्तेमाल किया। कर्नाटक से भाजपा के सांसद चंद्रशेखर ने ट्वीट किया कि कर्नाटक कांग्रेस के नेता आरक्षण को पलटना चाहते हैं, वहीं राहुल गांधी कर्नाटक में कहते हैं कि वह आरक्षण पर उच्चतम न्यायालय की सीमा का उल्लंघन करना चाहते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए कांग्रेस की झूठी राजनीति और वादे करके पलटने की राजनीति जारी है।'' उन्होंने कहा कि यही कारण है कि मतदाताओं ने भाजपा को चुना क्योंकि हम जो वादा करते हैं उन्हें पूरा करते हैं। हम आपको बता दें कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कर्नाटक में रविवार को एक चुनावी सभा में प्रधानमंत्री मोदी को 2011 में हुई जाति आधारित जनगणना के आंकड़े सार्वजनिक करने की चुनौती दी थी और आरक्षण पर 50 प्रतिशत की सीमा को हटाने की मांग की थी। सोमवार को भी उन्होंने यह मांग दोहराई।
खरगे ने क्या कहा?
दूसरी ओर, कांग्रेस अध्यक्ष खरगे की ओर से प्रधानमंत्री को भेजे गये पत्र की बात करें तो आपको बता दें कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से आग्रह किया है कि देश में हर 10 साल पर होने वाली जनगणना को कराया जाए और व्यापक जाति आधारित जनगणना को इसका अभिन्न हिस्सा बनाया जाए। खरगे ने 16 अप्रैल की तारीख वाले इस पत्र में प्रधानमंत्री से कहा है, ‘‘मैं एक बार फिर जाति आधारित नवीनतम जनगणना कराने का आग्रह करता हूं। मेरे सहयोगी और मैंने संसद के दोनों सदनों में कई बार यह मांग उठाई है। अन्य विपक्षी दलों ने भी इस मांग को रखा है।’’ खरगे ने पत्र में कहा है, ‘‘आप जानते हैं कि संप्रग सरकार ने पहली बार 2011-12 के दौरान करीब 25 करोड़ परिवारों को कवर करते हुए सामाजिक, आर्थिक और जाति जनगणना कराई थी। मई, 2014 में आपकी सरकार आने के बाद कांग्रेस और अन्य सांसदों ने इसे जारी करने की मांग की, लेकिन कई कारणों से जातिगत आंकड़े जारी नहीं किए गए।’’ कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, ‘‘मुझे आशंका है कि नवीनतम जाति जनगणना के अभाव में सामाजिक न्याय और सशक्तिकरण कार्यक्रमों विशेष रूप से ओबीसी के उत्थान के लिए बेहद आवश्यक डाटा बेस अधूरा है। यह जनगणना केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है।’’ उन्होंने आग्रह किया कि जनगणना जल्द कराई जाए और जाति आधारित जनगणना को इसका हिस्सा बनाया जाए।
इसके अलावा, कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने भी ट्वीट किया, ‘‘जितनी आबादी, उतना हक़! ।'' उन्होंने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष खरगे जी ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर मांग की है कि 2021 की जनगणना जल्द से जल्द कराई जाए। साथ ही जाति जनगणना को इसका अभिन्न अंग बनाया जाना चाहिए। इससे सामाजिक न्याय और सशक्तीकरण को मजबूती मिलेगी।’’ हम आपको बता दें कि साल 2021 में प्रस्तावित जनगणना कोरोना वायरस महामारी के कारण नहीं हो सकी थी।
बिहार में क्या चल रहा है?
वहीं दूसरी ओर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की बात करें तो आपको बता दें कि उन्होंने अपने गृहनगर पटना जिले के बख्तियारपुर से जाति आधारित सर्वेक्षण का दूसरा चरण शुरू किया। जाति आधारित गणना की कवायद में जुटे अधिकारियों ने मुख्यमंत्री के बख्तियारपुर स्थित आवास पर सर्वे के दौरान नीतीश व उनके परिवार के सदस्यों से जानकारी इकट्ठा की। जाति आधारित गणना के दूसरे चरण का शुभारंभ करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, “यह बिहार सरकार द्वारा की गई एक अच्छी पहल है। जाति आधारित गिनती के दौरान लोगों की आर्थिक स्थिति और उनकी जाति से संबंधित आंकड़े एकत्र किए जाएंगे ताकि राज्य सरकार को पता चल सके कि कितने लोग गरीब हैं और उन्हें मुख्यधारा में लाने के लिए किस तरह के कदम उठाए जाने चाहिए।’’ हम आपको बता दें कि सर्वेक्षण का दूसरा चरण 15 मई तक चलेगा। पहला चरण 21 जनवरी को पूरा हो गया था।
यहां यह भी उल्लेखनीय है कि केंद्र की वर्तमान सरकार द्वारा अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के अलावा अन्य जाति आधारित गणना करने में असमर्थता व्यक्त करने के मद्देनजर बिहार सरकार ने अपने स्तर पर यह कवायद शुरू की।
-गौतम मोरारका
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