एकनाथ शिंदे के लिए अभी असली उड़ान बाकी है, उद्धव ठाकरे के खिलाफ BJP ने बना ली तगड़ी रणनीति
अगर बीएमसी चुनाव में भाजपा और एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले शिवसेना सफलता पाने में कामयाब होती है तो कहीं ना कहीं उद्धव ठाकरे और उनके परिवार के लिए यह बहुत बड़ा झटका होगा। इससे न सिर्फ उद्धव ठाकरे की शिवसेना कमजोर होगी बल्कि भविष्य पर भी ग्रहण लग सकता है।
महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के नतीजे के बाद अब सब की निगाहें बीएमसी चुनाव पर है। भारत की सबसे अमीर नागरिक निकायों में से एक पर शिवसेना का लंबे समय से कब्जा रहा है। हालांकि अब शिवसेना विभाजित हो गई है जिसके बाद कहीं ना कहीं उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे के बीच असली लड़ाई देखने को मिलेगी। बीएमसी का 5 साल का कार्यकाल 2022 में ही समाप्त हो चुका है। लेकिन अब तक चुनाव नहीं हो पाए।
इसे भी पढ़ें: महाराष्ट्र चुनाव में हार के बाद एमवीए छोड़ सकते हैं Uddhav Thackeray, अकेले लड़ सकते हैं स्थानीय चुनाव, इस फैसले के पीछे बड़ी वजह ये है?
बीएमसी के नगर आयुक्त राज्य सरकार द्वारा नियुक्त प्रशासक के रूप में कार्य करते हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि जैसे ही महाराष्ट्र में नई सरकार का गठन होगा, उसके तुरंत बाद बीएमसी का चुनाव कर लिया जाएगा। माना जा रहा है कि महाराष्ट्र में भाजपा का मुख्यमंत्री बनना तय है। लेकिन भाजपा कहीं ना कहीं एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना को बीएमसी चुनाव में मजबूत करने की कोशिश करेगी। भाजपा को यह भी अच्छे से पता है कि अगर एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री नहीं बनते हैं तो शिवसेना कार्यकर्ताओं की भावनाएं उनके प्रति और ज्यादा होगी और बीएमसी चुनाव में इसका फायदा भी हो सकता है।
अगर बीएमसी चुनाव में भाजपा और एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले शिवसेना सफलता पाने में कामयाब होती है तो कहीं ना कहीं उद्धव ठाकरे और उनके परिवार के लिए यह बहुत बड़ा झटका होगा। इससे न सिर्फ उद्धव ठाकरे की शिवसेना कमजोर होगी बल्कि भविष्य पर भी ग्रहण लग सकता है। यही कारण है कि अभी भाजपा एकनाथ शिंदे को लेकर और आगे बढ़ाने की कोशिश में है। बीएमसी चुनाव कोविड-19 महामारी और ओबीसी सीटों के बारे में सुप्रीम कोर्ट में मामलों और पहले की परिसीमन प्रक्रिया के कारण नहीं हो सके। बीएमसी को सात जोन में बांटा गया है, जिनमें प्रत्येक में 3 से 5 वार्ड हैं।
कुल मिलाकर, मुंबई को 24 प्रशासनिक वार्डों में विभाजित किया गया है, जिन्हें आगे 227 नागरिक चुनावी वार्डों या निर्वाचन क्षेत्रों में विभाजित किया गया है। बीएमसी के चुनाव भारत के सबसे उत्सुकता से लड़े जाने वाले नागरिक निकाय चुनावों में से एक हैं। 2017 के बीएमसी चुनावों के बाद, शिवसेना 84 सीटों के साथ सबसे आगे है, उसके बाद बीजेपी (82), कांग्रेस (31), एनसीपी (9), एमएनएस (7) और अन्य (14) हैं।
इसे भी पढ़ें: महाराष्ट्र में EVM के खिलाफ अभियान शुरू करेगी कांग्रेस, कागजी मतपत्रों की वापसी की मांग
पिछले 25 सालों से मुंबई में सेना-बीजेपी गठबंधन लगातार सत्ता पर काबिज है. मुंबई, जिसमें मुंबई शहर और मुंबई उपनगर के दो जिले हैं, में छह लोकसभा सीटें और 36 विधानसभा सीटें हैं। विधानसभा चुनावों में, भाजपा के नेतृत्व वाली महायुति ने 36 में से 22 सीटें जीतकर मुंबई पर अपना दबदबा बना लिया। महायुति के लिए, भाजपा ने 15 सीटें जीतीं, शिवसेना ने छह और राकांपा ने एक सीट जीती। जहां तक महा विकास अघाड़ी का सवाल है, शिवसेना (यूबीटी) ने 10 सीटें और कांग्रेस ने तीन सीटें जीतीं। समाजवादी पार्टी (सपा) ने एक जीत हासिल की।
अन्य न्यूज़